Friday, July 19, 2019

''इंदिरा नेहरु को''

                                                                                                                                        ''इंदिरा नेहरु को''
                                                                                                                                     21 फरवरी , 1933
एक पिता का अपनी पुत्री के नाम पत्र 

प्यारी इंदु ,
कल मैंने तुम्हारे पास दो किताबे भेजी है | एक तो बच्चो की किताब है | इसका नाम ''टूटलिओ '' -- मुझे उम्मीद है कि बच्चो के मतलब की किताबन पाना तुम अपनी बढ़ी हुई शान के खिलाफ नही समझोगी | मैंने यह इसलिए भेजी क्योकि मैंने कही पढ़ी था कि वह बहुत अच्छी है और ''एलिस इन वंडरलैंड '' के मुकाबले की है | एलिस को एक जमाने से पसंद करता रहा हूँ इसलिए मैं एक ऐसी किताब मंगाने के लालच से नही बच सका जो इतनी अच्छी समझी जाए कि अमर एलिस से उसका मुकाबला हो | खैर टूटलिओ बिलकुल मुख्तलिफ है , लेकिन मुझे इसमें मजा आया और बहुत - सी तस्वीरो पर हँसी आये बिना नही रह सकी | मुझे उम्मीद है कि इस किताब ने तुम्हारा और दूसरे बच्चो का दिल बहलाया होगा |
दूसरी किताब है ''बर्नाड शा का नाटक 'सेंट जान '' | क्या तुम्हे याद है कि पेरिस में हमने फ्रांसीसी भाषा में इस नाटक को देखा था , जिसमे एक ठिगनी - सी रुसी महिला दिलकश जीन बनी थी ? बाद में हमने यह नाटक अंग्रेजी में भी देखा था , लेकिन मुझे याद नही कि तब तुम हमारे साथ थी या नही | यह एक बहुत अच्छा नाटक है -- इसके कुछ हिस्से तुम्हे जरा फीके लग सकते है | लेकिन कहानी शानदार है और बार बार पढने लायक है | चूँकि जिन तुम्हारी पुरानी चहेती और नायिका है , तुम इसे पसंद करोगी | किताब में एक नाटक और है , जो शायद तुम्हे पसंद ना आये | दोनों लम्बी भूमिकाये भी शायद तुम्हे फीकी मालूम हो |
तुम अपने काम में मशगुल होगी और इम्तिहान की तैयारी में लगी होगी | फिर भी मैं समझता हूँ कि कभी कभी और किताब पढने के लिए कुछ वक्त निकल लेती होगी | यही वजह है कि मैंने तुम्हारे पास 'सेंट जान' भेजी है |
मम्मी ने मुझे लिखा है कि बिरजू भाई के साथ कोई साहब उनसे मिलने के लिए आस्ट्रिया से आये थे और वह तुम्हे पढ़ाई के लिए फ़ौरन वियना ले जाने को तैयार थे | वियना एक अदभुत खुबसूरत जगह है , वह संगीत का नगर है | वियना वाले बड़े मजेदार लोग होते है लेकिन इस वक्त उनका मुल्क एक भयानक मुसीबत में फंसा है | फूफी ने मुझे बताया कि एक जर्मन महिला जो हाल में आनन्द भवन आकर ठहरी थी , तुम्हारी तालीम के लिए जर्मनी में इंतजाम कर देने के लिए उत्सुक थी | तुम्हारे पिता और माता के अलावा ढेर सारे लोग तुम्हारी भावी शिक्षा में दिलचस्पी लेते दीखते है | शायद किसी दिन , जो ज्यादा दूर नही है , तुम हमको यहाँ किसी कदर अकेला छोड़कर दूर देश जाकर अपनी पढ़ाई करोगी | जेल में लम्बी मुद्दते बिताकर हमने अपने को इसकी ट्रेनिग दे ली है | जो भी हो , हम इसे बेशक बर्दाश्त कर लेंगे क्योकि तुमसे बार बार मिलने और तुमको अपने पास रखने की खुदगर्ज ख़ुशी से कही ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि तुम अच्छी ट्रेनिग हासिल करो और तुम्हे हर मौक़ा मिले ताकि तुम्हारे आगे जो काम हो उसके लिए तुम अपने को तैयार कर सको | लेकिन अभी तो यह सब भविष्य की बात है और इसके बारे में ऐन इसी वक्त हमे परेशान होने की जरूरत नही है | फिलहाल तो तुम्हे अपना मौजूदा काम करते रहना है और इसे अच्छी तरह से करना है ताकि तुम किन्ही इम्तिहानो में या इस तरह की किसी भी चीज पर जो तुम्हारे सामने आये आसानी से सफलता हासिल कर सको | और फिलहाल मुझे देहरादून जेल में बने रहना है |
मगर मैं यह पसंद करूंगा कि अपने भविष्य के बारे में अपने निजी विचार तुम मुझे लिखो | तुम्हे याद होगा कि अपने हाल के एक ख़त में इस बारे में मैंने तुमसे पूछा था | आगे जिन्दगी में तुम अपने लिए क्या काम पंसंद करोगी ? किन विषयों में और किस काम में तुम्हारी दिलचस्पी है ? बेशक जैसे - जैसे हम बड़े होते जाते है , हम इसके बारे में अपनी राय बहुत - कुछ बदलते जाते है | छोटे लड़के के जीवन का आदर्श इंजन का ड्राइवर होता है | लेकिन फिर भी अगर तुम कभी - कभी मुझे लिखती रहो कि तुम्हारे नन्हे से दिमाग में कैसे विचार आ रहे है तो मुझे ख़ुशी होगी | मुझे मालूम हुआ है कि बम्बई में तुम्हे दोबारा टीका लगा हैं टीका मुझे नापसंद है , लेकिन मेरा ख्याल है कि इसे लगाना ही पड़ता है |
दोल्म्मा या दादी - अब तुम उन्हें क्या कहती हो ? गालिबन अगले महीने पूना जायेंगी | बापू चाहते है कि वह कुछ अरसे के लिए वहाँ उनके पास ठहरे | कल जब मैं यह ख़त लिख रहा था तो मसूरी के चारो तरफ पहाडियों पर बर्फ गिर रही थी और शाम को मैं जब घुमने निकला तो पहाडियों की चोटियों बर्फ से जगमग थी |
प्यार -- तुम्हार - पापू
प्रस्तुती - सुनील दत्ता - स्वतंत्र पत्रकार - समीक्षक

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21 -07-2019) को "अहसासों की पगडंडी " (चर्चा अंक- 3403) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. बहुत बढ़िया

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