Wednesday, January 15, 2020

गांधी जी का नाम 1940 मे सुना

राष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर

गांधी जी का नाम 1940 मे सुना

उन्ही दिनो मैं आर्यसमाज के गहरे संपर्क मे आया | मऊ का आर्यसमाज मंदिर काफी सजग और सचेत था | आर्यसमाज के लोग राष्ट्रीय आंदोलनो से बहुत ही गहरे जुड़े हुये थे | वही पर मैंने आर्यसमाजियों के साथ पहले पहल प्रभात फेरिया निकाली | राष्ट्रीय भावना के बारे मे मैं आर्यसमाज के कारण ही सचेत हुआ | एक और कारां था । 1940 का व्यक्तिगत सत्याग्रह | मेरे गाँव के एक समछ्बीला सिंह मेरे चाचा थे | उन्होने मेरे दरवाजे पर ही सत्याग्रह किया | उन दिनो मेरे लिए आजादी का मतलब थोड़ा - बहुत स्पष्ट हो चुका था | लोगकहते थे की अंग्रेज़ चले जाएँगे तो देश से गरीबी चली jaayegi | angrej देश को लूट रहे है | इस एहसास की वझ से मैं सत्याग्रह से अपना लगाव महसूस करता था | उन्ही दिनो मैंने कांग्रेसकी पहली मीटिंग देखि थी | सुंदर व्यक्तित्व ए एक युसुफ कुरेशी थे | वे बहुत अच्छा गाते थे | सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है , देखना है ज़ोर कितना बाजू -ए - कातिल मे है | तब मेरी पहचान के दूसरे सत्याग्रही थे अवध बिहारी पाण्डेय जी पास के सुलगनीपुर गाँव के थे | पाण्डेय जी जाने - माने कांग्रेसी नेता थे | पहली बार गांधी जी का नाम मैंने 1940 मे ही सुना होगा | हो सकता है , उससे पहले भी सुना हो | गांधी जी को देख नही पाया | उनके बारे मे उत्सुकता बहुत थी | वे वे जेबी बिहार जाने वाले थे तो उनके दर्शन के लिए मैं पटना जाने को तैयार था ,लेकिन जा नही पाया |

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