Friday, January 10, 2020

प्रथम महिला छाताधारी ----डा गीता घोष

प्रथम महिला छाताधारी ----डा गीता घोष

17 जुलाई , 1959 का एक अविस्मर्णीय दिन ! भारतीय महिलाओ की एक और छ्लांग - ऐसी छ्लांग , जो उचाइयों को छूनेवाली सभी पूर्व छ्लांगों से भिन्न थी | भिन्न ई नही अद्दितीय भी --- इस रूप मे की यह छ्लांग ज्ञान - विज्ञान की किसी उचाई को छूने के लिए धरती से आकाश की तरफ नही वरन आकाश मे बहुत उचाई से उठकर वहाँ से धरती की तरफ , धीरे - धीरे शान से , साहस से उतरने की छ्लांग थी | भारतीय वायु सेना की एक डाक्टर कुमारी गीता घोष चांदा ने उस दिन यह छ्लांग लगाकर भारतीय महिलाओ की प्रगति के इतिहास मे एक पन्ना और जोड़ दिया | डा गीता घोष पहली भारतीय महिला है जिनहोने वायुयान से छ्तृ द्वारा उतरने का साहसिक अभियान किया था | इस प्रथम ऐतिहासिक कूद के एक दिन पूर्व ही मौसम खराब हो गया था | सारी रात बहुत बारिश होती रही | इतनी तूफानी हवाए चली मानो परकृति भी एक कोमलांगी के ऐसे पुरुषोचित प्रयास को चुनौती दे रही हो | दूसरे दिन सुबह आकाश के घ्तातोपके वावजूद आग्रा हवाई अद्देपर बहुत से लोग इकठ्ठा हो गए थे -- यह देखने के लिए की एक महिला कैसे छ्तृ से उतरने का साहस करती है | पहली बार एक महिला की छ्तरी से कूद ! त्राह - त्राह की श्काए लोगो के मन मे उठ रही थी | उस पर मौसम का रंग देखकर यह शंका और प्रबल हो उठी की या तो आज की कूद स्थगित हो जाएगी या कोई दुर्घटना हो जाएगी | आसमान का रंग अजीब था | कभी बादल घुमड़ आते , कभी हवा उन्हे इधर - उधर छितरा देती | वायु का ज़ोर कम होता फिर बढ़ जाता विंग कमांडर की आखे वायु के रुख एव्न उसकी गति मापने वाले यंत्र पर लगी थी | लोग प्रतीक्षा कर रहे थे | हवा की गति 'पहली कूद ' के अनुकूल नही हो पा रही थी | किन्तु यह क्या ? हवाई जहाज से एक छ्तरी निकली , फिर दूसरी ,विंग कमांडर ने कूदने का आदेश दे दिया था | खतरा न उठाए , डबल्यूएच छाताधारी कैसा ? दूसरी छ्तरी पर अधिक आखे लगी थी | जब तक पैराशूट की डोरिया खुली , उन तीन सेकेंड मे जैसे हवा भी देखने के लिए थम ज्ञी थी | दूसरे ही पल हवा मे लहराती गुड़िया के समान धीरे धीरे उयत्रकार डा गीता जमीन पर आ ज्ञी | उनके जमीन छूने पर जेबी एकाएक कोई हलचल नही हुई तो दर्शको की सांस एक बार फिर रुक ज्ञी , पर अगले क्षण ही पैराशूट से सावन को मुकटकर हसती गीता दर्शको की तरफ बढ़ी और साथ ही बज उठी सैकड़ो हजारो हाथो की तालिया | तालियो के बीच डा गीता ने विशेष मुद्रा के साथ अभिवादन कर अपनी पूर्ण सफलता का संकेत दिया और उसी तरह शांत गंभीर सी एक ओर खड़ी हो गयी |

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