Saturday, March 14, 2020

कबीर

कबीर साहब के पास आने - जाने वाले एक मिथिला निवासी ने काशी मरने से मुक्ति एवं मगहर मरने से अमोक्ष की प्राप्ति की बात कही इसी बात पर काशी छोड़ अतीर्थ मगहर न जाने का निवेदन किया | कबीर साहब अपनी दृढ भक्ति और गहन आत्मानिष्ठा के स्वर में लोगो को व्यामोह की ओर इशारा किये | बीजक में इस प्रसंग का एक प्रसिद्द पद है और पूरी कबीर वाणी में मगहर की चर्चा मात्र दो ही स्थानों पर मिलती है | बीजक शब्द 103 तथा दूसरा गुरुग्रंथ साहब के एक पद में मगहर में प्रथम दर्शन पाने की चर्चा मिलती है |
लोगा तुमही मति के भोरा |
ज्यो पानी - पानी मिली गयऊ, त्यों धूरी मिला कबीरा |
जो मैथिल को साँचा व्यास , तोहरा मरन होए मगहर पास |
मगहर मरे मरन नही पावे , अन्तै मरै तो राम लजावे |
मगहर मरै सो गदहा होए , भल परतीतराम सो खोय |
क्या काशी क्या उसर मगहर , जो पे हृदय राम बसेंमोरा |
जो काशी तन तजे कबीरा , रामहि कौन निहोरा ||

अमर शहीद - ए - वतन अशफाक उल्ला_खां को समर्पित

अमर शहीद - ए - वतन अशफाक उल्ला_खां का जन्म - शहादत व मजार स्थल का अब तक सफर

जहां अक्सर आना जाना लगा रहता हैं। कौमी एकता की मिसाल अशफ़ाक कहते हैं :-
👍बिस्मिल हिंदू हैं कहते हैं, 'फिर आऊंगा,फिर आऊंगा,फिर आकर ऐ भारत मां तुझको आजाद कराऊंगा.'...जी करता है मैं भी कह दूं पर मजहब से बंध जाता हूं,मैं मुसलमान हूं पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूं..हां, खुदा अगर मिल गया कहीं तो अपनी झोली फैला दूंगा और जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही मांगूंगा.'
👍हम भारत माता के रंगमंच पर अपना पार्ट अदा कर चुके हैं. हमने गलत अथवा सही, जो कुछ भी किया, स्वतंत्रता प्राप्ति की भावना से किया. कुछ लोग हमारे काम की प्रशंसा करेंगे और कुछ निंदा भी. किन्तु हमारे साहस और वीरता की प्रशंसा हमारे दुश्मनों तक को करनी पड़ेगी.
👍तुम समझते होगे कि काल-कोठरियों ने मुझे दुबला कर दिया है, मगर बात ऐसी नहीं है. मैं आजकल बहुत कम खाता हूं और इबादत में ज्यादा समय गुजारता हूं. कम खाने से इबादत में खूब मन लगता है.
👍यह सोचकर कि सात करोड़ मुसलमान भारतवासियों में मैं सबसे पहला मुसलमान हूं जो भारत माता की स्वतंत्रता के लिए फांसी पर चढ़ रहा हूं, मैं मन ही मन अभिमान का अनुभव कर रहा हूं.
👍"ये ताला तोडऩा पूड़ी-सब्जी खाने वालों का काम नहीं है"
(काकोरी ट्रेन लूट के दौरान खजाने का ताला तोड़ते वक्त अपने शाकाहारी साथियों की चुटकी लेते हुए) 
अमर शहीद - ए - वतन अशफाक उल्ला_खां को समर्पित