Monday, July 20, 2015

दृढ विश्वास --------------------- 21-7-15

व्यासदेव के चमत्कार से गोपिया यमुना को पार  की



द्वापर युग में एक महान साधक हुए है व्यासदेव | उन्हें अनेक सिद्दिया प्राप्त थी , जिनकी वजह से वे असम्भव को भी सम्भव बना  देते थे | इस साधना के पीछे ईश्वर में दृढ विश्वास भी एक बड़ा कारण था |
एक बार कुछ गोपिया यमुना तट पर उस पार जाने के लिए खड़ी थी | परन्तु उन्हें नौका जैसा कोई साधन नजर नही आ रहा था , जिसके जरिये वे यमुना को पार कर सके | तभी वह व्यासदेव जी पहुचे | गोपियों को चिंतित देख उन्होंने इसका कारण  पूछा | गोपियों ने उन्हें अपनी समस्या बताई | इस पर व्यासदेव बोले -- मैं नदी पार करा सकता हूँ , पर एक समस्या मेरी भी है | मुझे बहुत भूख लगी है और इस भूख को मिटाने का साधन तुम्हारे पास है | ' गोपिया बोली ' -- ' महाराज , हमारे पास तो दूध , दही , मक्खन  इत्यादि है | भोजन तो है नही | ' व्यासदेव शांत सवर में बोले -- ' मैं भी तो इन्ही के विषय में कह रहा हूँ | इन्ही से तो मेरी भूख शांत होगी | ' गोपियों ने अपने सर पर रखे पात्रो को नीचे  उतारा और व्यासदेव को दूध , दही , मक्खन  आदि परोसने लगी | व्यासदेव ने गोपियों द्वारा परोसे गये सभी पर्दाथो  को उदरस्थ किया और वही विश्राम करने लगे | तब गोपियो ने   उनसे कहा -- महाराज , हमारे यमुना - पार जाने का क्या हुआ ? यह सुनकर व्यासदेव उठे और बोले - अरे हाँ , चलो तुम सबको यमुना पार लिए चलता हूँ | यह कहकर वे यमुना के जल के निकट पहुच यमुना मैया को प्रणाम कर ऊँचे स्वर में बोले -- हे यमुना मैया यदि आज मुझ व्यासदेव ने अन्न - जल का एक कण भी अपने पेट में न डाला हो और पूरा दिन भूखे रहकर व्यतीत किया हो तो तेरा जल दो भागो में बट जाए और हम सब बीच के मार्ग से चले जाए | उनके यह कहते ही यमुना का जल दो भागो में बटने लगा | उन्होंने आश्चर्यचकित गोपियों का हाथ पकड़ा और उस मार्ग से उन्हें यमुना पार पहुचा दिया | उस पार पहुचकर विस्फारित नेत्रों से गोपियों ने व्यासदेव से कहा --- ' आपने अभी तो हमसे लेकर इतना दूध , दही  मक्खन , मिश्री  आदि खाया था और अभी आपने कहा कि यदि मैंने दिनभर में कुछ न खाया हो तो .. उनकी बात काटते हुए व्यासदेव कहने लगे -- गोपिकाओ , मैंने जो कुछ कहा  , दृढ विश्वास के आधार पर कहा|

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-07-2015) को "मिज़ाज मौसम का" (चर्चा अंक-2044) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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