सिंह की तरह गर्जना है --
स्वरागिनी जन विकास समिति द्वारा सेवा सदन में दिनाक 10 सितम्बर दिन शनिवार को सेवा सदन में भारतीय नारी दशा और दिशा पर राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित की गयी |
स्वरागिनी संगीत संस्था व स्वरागिनी जन विकास समिति के अध्यक्षा श्रीमती अंजना सक्सेना ने कहा कि हमारा देश विविधताओ में एक है देश में अराजकता बढती जा रही है आज समाज किस दिशा की और मुड रहा है समाज में रहने वालो को खुद ही पता नही ऐसे में कबीर साहब प्रासंगिक हो जाते है और हम व हमारे साथियो ने अपनी संस्था के माध्यम से जनचेतना लाने के लिए स्लम एरिया के साथ गाँव - गिरांव में - - शिक्षा स्वास्थ्य , सूफी संगीत संगीत के साथ ही हमारे भविष्य के लिए हमारे क्रांतिवीरो ने अपने वर्तमान की चिंता किये बिना अपना वर्तमान हमारे लिए आहूत कर दी थी यही स्वरागिनी सामाजिक जन विकास समिति का मुख्य उद्देश्य है कि हम इन सारे विषयों पर जनजागरण करे | स्वागत के क्रम में संस्था के संरक्षक श्री सचिन सक्सेना ने कहा कि आज वर्तमान में देश अस्त - व्यस्त है धर्मांध का जोर है ऐसे में जो संवेदी प्रबुद्द जन है उन्हें समाज के इन विषमताओ के खिलाफ सामने आना चाहिए इस समस्याओं पर हमारी संस्था ने एक छोटी सी पहल कि है हम आप उपस्थित जनों से आशीर्वाद कि आशा रखते है
संगोष्टी का आरम्भ बनारस से आये अवाम का सिनेमा के प्रवक्ता व नेशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश के महासचिव कबीर द्वारा विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि मैं भारतीय नारी हूँ -- भारतीय नारी मेरी कहानी अभिशप्त कि है , इस कहानी के प्रसार पर वेदना का विस्तार है , रक्त का रंग उस पर चढा है दुर्भाग्य के कीचड़ में वह सनी है | मैं नारी हूँ |
पितृसत्ताक - युग से पूर्व मातृसत्ताक युग कि भारतीय नारी , जिसने वनों का शासन किया , जनों का निग्रह | तब मैं नितांत नग्नावस्था में गिरी शिखरों पर कुलाँच भर्ती थी गुफा - कंदराओ में शयन करती थी वन - वृक्षों को आपाद मस्तक नाप लेती थी तीव्र्गतिका नदियों का अवगाहन करती थी शक्ति परिचायक मेरे अंगो में तब स्फूर्ति थी | शशक कि गति का मैं मैं परिहास , मृग कि कुलाच का तिरस्कार | सूअर को मैं अपने पत्थर के भाले पर तौल लेती थी और सिंह कि लटो से मैं बच्चो के झूले बांधती थी |सिंघ्वाहिनी थी तब मैं काल्पनिक दुर्गा नही प्रयोग सिद्द चण्डी थी मैं | व् गोष्ठी के क्रम को आगे बढाते हुए प्रो लक्ष्मण शिंदे ने कहा कि आज वर्तमान में नारी शकतीशाली हुई है पर आज भी नारी का तिरस्कार जारी है उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि नारी स्वंय पहल करे आज नारी पुरुषो से कन्धा मिलाकर काम कर रही है |
गोष्ठी कि विशिष्ठ वक्ता सामाजिक कार्यकत्री सुश्री पुष्पा सिन्हा ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि आज कि
औरतो ने विकास किया है पर आज भी भारत कि महिलाए आधे से ज्यादा आबादी में उनकी जिन्दगी कि कथा त्रासदी की है इसके साथ ही उन्होंने कही कि ऐसा नही है कि सिर्फ आम आदमी कि नारिया पीड़ित है जो समाज के उच्च तबका है उनके यहाँ कि नारीअपने पर होने वाले अत्याचारों को व्यक्त नही कर पाती है न ही वो अपने आसुओ को निकाल नही पाती है इनसे अच्छा तोआम आदमी की औरते है जो कम से कम खुलकर रो लेती है | पुष्पा दीदी ने कहा कि आज भी गाँव - गिरांव में नब्बे प्रतिशत औरते ही काम करती है और उनके पति दिन भर ताश खेलते रहते वही बाई काम से लौटकर फिर अपने घर का काम समेटती है और इसके बाद भी पुरुष प्रताड़ित करता है | औरत कि सारी कमाई मर्द के जेब में चला जाता है इसके साथ ही पुष्पा दीदी ने आगे कहा कि ऐसा नही कि यह नीचले तबके में ही है यह समाज के हर तबके में स्त्री प्रताड़ित है हां प्रताड़ना का स्वरूप अलग होता है और इन सब बातो के लिए नारी स्वय जिम्मेवार है |भारतीय नारी को अपने स्वंय के मनोबल को दृढ करना होगा यह सोचना होगा कि सामने वाला कुछ नही कर सकता अगर हमारा संकल्प मजबूत है हमारी आँखों में '' संघर्ष सामने है सही पर जोर लगाकर बंधन तोड़ दूंगी | आगे कि मंजिल सर करुँगी जिन्होंने लाल सूरज को छिपाकर रखा है || गुरुग्राम, संगोष्ठी कि अध्यक्षता करते हुए हरियाणा से पधारे स्वनामधन्य श्री श्याम "स्नेही" जी ने सेमीनार के केंद्र बिंदु "भारतीय नारी की दशा-दिशा" के संदर्भ में बोलते हुए जहाँ एक ओर पुरुष प्रताड़ित महिला की शब्दों में समुचित व्याख्या की श्रोता स्वत: उस बहती गंगा में अवगाहन करने लगे।वहीं दूसरी ओर महिला के कर्तव्य और अधिकार के साथ सनातन संस्कृति के रक्षिका के रुप में भी चिन्हित किया। देश और मानवता की जन्मदात्री जननी बताया वहीं, अवांछित और अराजक तत्वों के हाथों तब्दील होते समाज विरोधी ताकतों से अवगत कराया। जिसमें बोतल पर पलते बच्चों के अन्धकार पूर्ण भविष्य की ओर इशारा किया। कबीर को उद्धृत करते हुए राष्ट्र एकता के निमित्त कालोचित प्रासंगिक बताया, वहीं उनके अन्तरभावों को प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। गुरुग्राम, हरियाणा से पधारे स्वनामधन्य श्री श्याम "स्नेही" जी ने सेमीनार के केंद्र बिंदु "भारतीय नारी की दशा-दिशा" के संदर्भ में बोलते हुए जहाँ एक ओर पुरुष प्रताड़ित महिला की शब्दों में समुचित व्याख्या की श्रोता स्वत: उस बहती गंगा में अवगाहन करने लगे।वहीं दूसरी ओर महिला के कर्तव्य और अधिकार के साथ सनातन संस्कृति के रक्षिका के रुप में भी चिन्हित किया। देश और मानवता की जन्मदात्री जननी बताया वहीं, अवांछित और अराजक तत्वों के हाथों तब्दील होते समाज विरोधी ताकतों से अवगत कराया। जिसमें बोतल पर पलते बच्चों के अन्धकार पूर्ण भविष्य की ओर इशारा किया। कबीर को उद्धृत करते हुए राष्ट्र एकता के निमित्त कालोचित प्रासंगिक बताया, वहीं उनके अन्तरभावों को प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। स्वरागिनी संगीत संस्था व स्वरागिनी जन विकास समिति के अध्यक्षा श्रीमती अंजना सक्सेना ने कहा कि आह्मारा देश विविधताओ में एक है देश में अराजकता बढ़ी हुयी है आज समाज किस दिशा कि और मुद रहा है समाज में रहने वालो को खुद ही पता नही ऐसे में कबीर साहब पार्स्न्गिक हो जाते है और हम व हमारे साथियो ने अपनी संता के माध्यम से जनचेतना लाने के लिए स्लम एरिया के साथ गाँव - गिरांव में \शिक्षा स्वास्थ्य , सुफु स्नागीत संगीत के साथ ही हमारे भविष्य के लिए हमारे कारनिवीरो ने अपने भविष्य कि चिंता किये बिना अपना वर्तमान हमारे लिए आहूत कर दी थी यही स्वरागिनी सामाजिक जन विकास समिति का मुख्य उद्देश्य है |इस गोष्ठी में श्रीमती सीमा मोटे , श्रीमती निर्मला सिंह .,श्री हरे राम वाजपेयी श्री नयन राठी श्रीमती सुभद्रा खापर्डे डा सुरेश पटेल शुशीला सेन ओमप्रकाश सोमानी समाजसेवी व साहित्यकारों का अंगवस्त्रम द्वारा उनका अभिनन्दन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत स्वरागिनी संगीत संस्था के उदिता आशय कशिश , कुशल , ईशान उदित द्वारा कबीर के दोहे से किया गया उसके बाद श्रीमती अलका कपूर द्वारा कबीर भजन गया गया | धन्यवाद ज्ञापन कबीर गायक डा दशरथ यादव जी ने किया इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगो में श्री सचिन सक्सेना . नरेंद्र बागौरा . ओम विजय वर्गीय , संजय श्रीवास्तव , महेश यादव श्रीमती अर्चना वर्गीय , श्रीमती अमिता , मीरा राजदान , श्रीमती रेखा यादव श्रीमती हंजा बाई श्री तेजू लाल यादव आदि लोग उपस्थित रहे |
स्वरागिनी जन विकास समिति द्वारा सेवा सदन में दिनाक 10 सितम्बर दिन शनिवार को सेवा सदन में भारतीय नारी दशा और दिशा पर राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित की गयी |
स्वरागिनी संगीत संस्था व स्वरागिनी जन विकास समिति के अध्यक्षा श्रीमती अंजना सक्सेना ने कहा कि हमारा देश विविधताओ में एक है देश में अराजकता बढती जा रही है आज समाज किस दिशा की और मुड रहा है समाज में रहने वालो को खुद ही पता नही ऐसे में कबीर साहब प्रासंगिक हो जाते है और हम व हमारे साथियो ने अपनी संस्था के माध्यम से जनचेतना लाने के लिए स्लम एरिया के साथ गाँव - गिरांव में - - शिक्षा स्वास्थ्य , सूफी संगीत संगीत के साथ ही हमारे भविष्य के लिए हमारे क्रांतिवीरो ने अपने वर्तमान की चिंता किये बिना अपना वर्तमान हमारे लिए आहूत कर दी थी यही स्वरागिनी सामाजिक जन विकास समिति का मुख्य उद्देश्य है कि हम इन सारे विषयों पर जनजागरण करे | स्वागत के क्रम में संस्था के संरक्षक श्री सचिन सक्सेना ने कहा कि आज वर्तमान में देश अस्त - व्यस्त है धर्मांध का जोर है ऐसे में जो संवेदी प्रबुद्द जन है उन्हें समाज के इन विषमताओ के खिलाफ सामने आना चाहिए इस समस्याओं पर हमारी संस्था ने एक छोटी सी पहल कि है हम आप उपस्थित जनों से आशीर्वाद कि आशा रखते है
संगोष्टी का आरम्भ बनारस से आये अवाम का सिनेमा के प्रवक्ता व नेशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश के महासचिव कबीर द्वारा विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि मैं भारतीय नारी हूँ -- भारतीय नारी मेरी कहानी अभिशप्त कि है , इस कहानी के प्रसार पर वेदना का विस्तार है , रक्त का रंग उस पर चढा है दुर्भाग्य के कीचड़ में वह सनी है | मैं नारी हूँ |
पितृसत्ताक - युग से पूर्व मातृसत्ताक युग कि भारतीय नारी , जिसने वनों का शासन किया , जनों का निग्रह | तब मैं नितांत नग्नावस्था में गिरी शिखरों पर कुलाँच भर्ती थी गुफा - कंदराओ में शयन करती थी वन - वृक्षों को आपाद मस्तक नाप लेती थी तीव्र्गतिका नदियों का अवगाहन करती थी शक्ति परिचायक मेरे अंगो में तब स्फूर्ति थी | शशक कि गति का मैं मैं परिहास , मृग कि कुलाच का तिरस्कार | सूअर को मैं अपने पत्थर के भाले पर तौल लेती थी और सिंह कि लटो से मैं बच्चो के झूले बांधती थी |सिंघ्वाहिनी थी तब मैं काल्पनिक दुर्गा नही प्रयोग सिद्द चण्डी थी मैं | व् गोष्ठी के क्रम को आगे बढाते हुए प्रो लक्ष्मण शिंदे ने कहा कि आज वर्तमान में नारी शकतीशाली हुई है पर आज भी नारी का तिरस्कार जारी है उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि नारी स्वंय पहल करे आज नारी पुरुषो से कन्धा मिलाकर काम कर रही है |
गोष्ठी कि विशिष्ठ वक्ता सामाजिक कार्यकत्री सुश्री पुष्पा सिन्हा ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि आज कि
औरतो ने विकास किया है पर आज भी भारत कि महिलाए आधे से ज्यादा आबादी में उनकी जिन्दगी कि कथा त्रासदी की है इसके साथ ही उन्होंने कही कि ऐसा नही है कि सिर्फ आम आदमी कि नारिया पीड़ित है जो समाज के उच्च तबका है उनके यहाँ कि नारीअपने पर होने वाले अत्याचारों को व्यक्त नही कर पाती है न ही वो अपने आसुओ को निकाल नही पाती है इनसे अच्छा तोआम आदमी की औरते है जो कम से कम खुलकर रो लेती है | पुष्पा दीदी ने कहा कि आज भी गाँव - गिरांव में नब्बे प्रतिशत औरते ही काम करती है और उनके पति दिन भर ताश खेलते रहते वही बाई काम से लौटकर फिर अपने घर का काम समेटती है और इसके बाद भी पुरुष प्रताड़ित करता है | औरत कि सारी कमाई मर्द के जेब में चला जाता है इसके साथ ही पुष्पा दीदी ने आगे कहा कि ऐसा नही कि यह नीचले तबके में ही है यह समाज के हर तबके में स्त्री प्रताड़ित है हां प्रताड़ना का स्वरूप अलग होता है और इन सब बातो के लिए नारी स्वय जिम्मेवार है |भारतीय नारी को अपने स्वंय के मनोबल को दृढ करना होगा यह सोचना होगा कि सामने वाला कुछ नही कर सकता अगर हमारा संकल्प मजबूत है हमारी आँखों में '' संघर्ष सामने है सही पर जोर लगाकर बंधन तोड़ दूंगी | आगे कि मंजिल सर करुँगी जिन्होंने लाल सूरज को छिपाकर रखा है || गुरुग्राम, संगोष्ठी कि अध्यक्षता करते हुए हरियाणा से पधारे स्वनामधन्य श्री श्याम "स्नेही" जी ने सेमीनार के केंद्र बिंदु "भारतीय नारी की दशा-दिशा" के संदर्भ में बोलते हुए जहाँ एक ओर पुरुष प्रताड़ित महिला की शब्दों में समुचित व्याख्या की श्रोता स्वत: उस बहती गंगा में अवगाहन करने लगे।वहीं दूसरी ओर महिला के कर्तव्य और अधिकार के साथ सनातन संस्कृति के रक्षिका के रुप में भी चिन्हित किया। देश और मानवता की जन्मदात्री जननी बताया वहीं, अवांछित और अराजक तत्वों के हाथों तब्दील होते समाज विरोधी ताकतों से अवगत कराया। जिसमें बोतल पर पलते बच्चों के अन्धकार पूर्ण भविष्य की ओर इशारा किया। कबीर को उद्धृत करते हुए राष्ट्र एकता के निमित्त कालोचित प्रासंगिक बताया, वहीं उनके अन्तरभावों को प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। गुरुग्राम, हरियाणा से पधारे स्वनामधन्य श्री श्याम "स्नेही" जी ने सेमीनार के केंद्र बिंदु "भारतीय नारी की दशा-दिशा" के संदर्भ में बोलते हुए जहाँ एक ओर पुरुष प्रताड़ित महिला की शब्दों में समुचित व्याख्या की श्रोता स्वत: उस बहती गंगा में अवगाहन करने लगे।वहीं दूसरी ओर महिला के कर्तव्य और अधिकार के साथ सनातन संस्कृति के रक्षिका के रुप में भी चिन्हित किया। देश और मानवता की जन्मदात्री जननी बताया वहीं, अवांछित और अराजक तत्वों के हाथों तब्दील होते समाज विरोधी ताकतों से अवगत कराया। जिसमें बोतल पर पलते बच्चों के अन्धकार पूर्ण भविष्य की ओर इशारा किया। कबीर को उद्धृत करते हुए राष्ट्र एकता के निमित्त कालोचित प्रासंगिक बताया, वहीं उनके अन्तरभावों को प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। स्वरागिनी संगीत संस्था व स्वरागिनी जन विकास समिति के अध्यक्षा श्रीमती अंजना सक्सेना ने कहा कि आह्मारा देश विविधताओ में एक है देश में अराजकता बढ़ी हुयी है आज समाज किस दिशा कि और मुद रहा है समाज में रहने वालो को खुद ही पता नही ऐसे में कबीर साहब पार्स्न्गिक हो जाते है और हम व हमारे साथियो ने अपनी संता के माध्यम से जनचेतना लाने के लिए स्लम एरिया के साथ गाँव - गिरांव में \शिक्षा स्वास्थ्य , सुफु स्नागीत संगीत के साथ ही हमारे भविष्य के लिए हमारे कारनिवीरो ने अपने भविष्य कि चिंता किये बिना अपना वर्तमान हमारे लिए आहूत कर दी थी यही स्वरागिनी सामाजिक जन विकास समिति का मुख्य उद्देश्य है |इस गोष्ठी में श्रीमती सीमा मोटे , श्रीमती निर्मला सिंह .,श्री हरे राम वाजपेयी श्री नयन राठी श्रीमती सुभद्रा खापर्डे डा सुरेश पटेल शुशीला सेन ओमप्रकाश सोमानी समाजसेवी व साहित्यकारों का अंगवस्त्रम द्वारा उनका अभिनन्दन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत स्वरागिनी संगीत संस्था के उदिता आशय कशिश , कुशल , ईशान उदित द्वारा कबीर के दोहे से किया गया उसके बाद श्रीमती अलका कपूर द्वारा कबीर भजन गया गया | धन्यवाद ज्ञापन कबीर गायक डा दशरथ यादव जी ने किया इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगो में श्री सचिन सक्सेना . नरेंद्र बागौरा . ओम विजय वर्गीय , संजय श्रीवास्तव , महेश यादव श्रीमती अर्चना वर्गीय , श्रीमती अमिता , मीरा राजदान , श्रीमती रेखा यादव श्रीमती हंजा बाई श्री तेजू लाल यादव आदि लोग उपस्थित रहे |
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