Friday, January 25, 2019

'' सिर्फ जीना ही नही है जिन्दगी ,

'' सिर्फ जीना ही नही है जिन्दगी ,
लोग मर कर भी जिया करते है |''

स्नेही साथियो
आज आपसे आजमगढ़ के स्वाधीनता आन्दोलन की बात करना चाहता हूँ , उसी क्रम में आज से आजमगढ़ का स्वाधीनता इतिहास लिखने की कोशिश कर रहा हूँ |

कुइट इंडिया ( अंग्रेजो , भारत छोडो ) और डू - आर - डाई


करो या मरो

क्रांतियो की पृष्ठ भूमि
वर्धा के प्रस्ताव की सरकारी प्रतिक्रिया - जुलाई 42 में वर्धा में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 'कुइट इंडिया ' अंग्रेजो भारत छोडो कर देशवासियों करो या मरो - का जो प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हुआ , यद्धपि वह अत्यंत गोपिनिय रखा गया था , फिर भी सरकार ने अपने सधे , मंजे गुपत्च्रो की सुरागरसी द्वारा उसका भेद जान लिया | पता पाते ही भारत से लन्दन तक मिनटों में तार दौडाए गये और तुरंत इस बात पर दृढ निश्चय कर लिया गया कि चाहे जिस कीमत पर हो , उसे जनता तक पहुचने से रोका जाए | उसे रोकने और शासन द्वारा देश को रौदने की तभी से तैयारिया होने लगी | शासन के सभी अंग चुस्त कर दिए गये और दमन की समस्त कार्य - प्रणाली निश्चित कर ली गयी | कयोकी सरकार को यह तो ज्ञात हो चुका था की कार्य समिति के उअक्त पारित प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक आगाली ८ अगस्त को बम्बई में बुलाई जा चुकी है | यदि बम्बई की बैठक में प्रस्ताव पास होकर देश भर में प्रसारित हो जाएगा तो फिर कंट्रोल करना कठिन होगा |
बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक -
कांग्रेस महासमिति की बम्बई वाली 8 अगस्त 42 की ऐतिहासिक बैठक में सम्मलित होने के लिए देश भर के अखिल भारतीय सदस्यों के अतिरिक्त बहुत से नेतागण भी बड़ी उमंगो के साथ गये हुए थे | महाराष्ट्र के तो प्राय: सभी कांग्रेस जन वहां उपस्थित थे | उस बैठक में वर्धा वाले कार्य समिति के प्रस्ताव को पास होने में देर न लगी | जब एक स्वर से '' भारत छोडो '' का नारा पास हो गया और देश वासियों के लिए ''करो या मरो '' का संदेश सुना दिया गया तो हुकूमत ने उसे पांडाल से बाहर बहने वाली हवा से भी स्पर्श न होने देने के प्रयास में जुट गया | साड़ी तैयारिया तो पहले से हो चुकी थी | अत: 9 अगस्त को प्रात: पाव फटने से पूर्व ही उसने बैठक के पांडाल पर धावा बोल दिया और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के साथ देश के कोने - कोने से गये हुए अन्य प्रमुख नेताओं एवं बम्बई के 40 प्रमुख कांग्रेस जानो को भी गिरफ्तार कर लिया | सबको गिरफ्तार करने के बाद विक्टोरिया टर्मिनल स्टेशन पर खड़ी स्पेशल ट्रेन पर पंहुचा दिया गया | गिरफ्तारिया ऐसे अचानक ढंग से हुई की बहुत से लोग अपना ऐनक , बटुआ , झोला पुस्तके तथ कपडे आदि भी भली भांति नही ले पाए | कुछ थोड़े से लोग ही बच निकले जिन्होंने देश के विभिन्न भागो में पहुच कर बम्बई का संदेश प्रसारित किया | उसके बाद से अफवाहे उडनी आरम्भ हुई की उन्हें पूर्वी अफ्रिका युगांडा में जलावतन किया जाएगा | किन्तु बाद में ज्ञात हुआ था की महात्मा गांधी को यरवदा जेल के पास एक बंगले में और बम्बई वालो को स्पेशल ट्रेन सुतार कर यरवदा - जेल ले जाकर बंद कर दिया गया था | शेष लोगो को टोंड स्टेशन से उतार कर अहमद नगर वाले चान्द्बिबी के किले में बंद किया गया था | यह जानते हुए की जनता पहले से विद्रोह की भावना विद्यमान हो चुकी है , सरकार ने स्वंय ही ऐसा कर के विद्रोह को और प्रज्ज्वलित कर दिया | हुकूमत की तरफ से यह कार्य इतनी संजीदगी के साथ किया गया की किसी को उस समय यह पता ही न चल सका की गिरफ्तारी के बाद नेता को कहाँ भेझा जाएगा | बस उसके बाद से देश भर में जबरदस्त हड़ताले हुई और उस बीच तरह - तरह की जो अफवाहे उडनी शुरू हुई उनके अनुसार कहीं पर यह अनुमान लगाया की नेताओं को गोलिया मार दी गयी , कहीं पर - फांसिया दे दी गयी और कहीं - कहीं पर उनको देश निकला कर दिए जाने की भी खबरे आने लगी | जिसे देखिये वही भरी चिंता में व्यग्र दिखाई पडा | यह भी नही की उसके बाद सरकारी रवैया चुपकी साधने का रहा हो | बल्कि 9 अगस्त की शाम को अल्न्दन से भारत - मंत्री मिस्टर एमरी ने अपने ब्राडकास्ट - भाषण द्वारा जो वक्तव्य दिया उसमे स्वंय ही बताया - किर्प्स - मिशन की असफलता के बाद कांग्रेस - नेताओं के दुराग्रह वाले रुख के कारण बातचीत असफल हो गयी | ब्रिटेन के प्रस्तावों को ठुकरा देने के परिणाम यह हुआ की उससे भारतीय लोकमत अत्यधिक निराश हुई और कांग्रेस के नेतृत्व से उसका विश्वास बुरी तरह उठ गया है | साथ ही उन्होंने कांग्रेस द्वारा अपनाए जाने वाले कार्यक्रमों का केट करते उए यह भी बता दिया की कांग्रेस ध्व्सात्मक कार्य करने लगी है और उसने यातायात के साधनों को नष्ट करके सरकारी दफ्तरों पर अधिकार जमाने का कार्य किया है | एमरी तो इससे प्रसन्न थे की उन्होंने गांधी जी तथा अन्य नेताओं को एक दुसरे से अलग करके जनता अ भी सम्पर्क छोड़ा दिया है विस्फोट की कड़ी को काट दिया है | वे इसलिए भी अत्यधिक संतुष्ट थे की वाइसराय की शासन - परिषद के तत्कालीन 15 सदस्यों में से 11 भारतीयों ने भी नेताओं की इस गिरफ्तारी का म्र्थान किया था मि एमरी का उक्त ब्राडकास्ट सुन कर अधिक शंकाए बढ़ गयी | फिर तो बम्बई के बाद देश भर में एक साथ ही हर छोटे बड़े स्थानों में कांग्रेस के लोग जो धुआधार गिरफ्तारिया शुरू हुई और कांग्रेस के दफ्तरों पर जिस मुस्तैदी के साथ प्पुलिस के छापे पड़ने लगे और ताले जेड जाने लगे उन्हें देखकर देश की जनता के कोर्ध और बढ़ गये | जो 10 - 11 तारीख में बम्बई से बच क्र निकल आये थे वो देश भर में फ़ैल गये |जब तक तत्कालीन अध्यक्ष सरदार बल्लभ भाई पटेल के नामाकं सहित जिला कमेटियो तक सुचना पहुचती तब तक मि एमरी के ब्राडकास्ट ने पुरे देश में भूचाल खड़ा कर दिया उसके अनुसार देश भर में आन्दोलन शुरू हो गये | क्रमश -- भाग एक

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