Friday, May 24, 2019

हमारी प्यारी धरती ---- खतरे में

हमारी प्यारी धरती ---- खतरे में


वर्ष 1945 से 2019 के बीच इस विश्व में कुल 2056 आणविक परिक्षण हुए है , जिसमे से संयुक्त राज्य अमरीका में 1030 , रूस में 715 फ्रांस में 210 , चीन में 45 इंग्लैण्ड में 45 नार्थ कोरिया में 6 और भारत में 3 और पाकिस्तान में 2 परीक्षण हुए | आणविक विखण्डन की घटना पहली बार 17 दिसम्बर 1938 को दो जर्मन वैज्ञानिकों - ओटो हाँन व फ्रीटज स्ट्रासमैंन - के समक्ष घटी | युरेनियम के अणुओ की न्यूट्रान से प्रतिक्रिया करवाते हुए उन्हें एक नया तत्व मिला - बेरियम | इस प्रतिक्रिया के दौरान युरेनियम का अणु- विभाजन हो गया और इससे बेरियम के साथ - साथ एक महाऊर्जा उत्पन्न हुई | इसी घटना से पैदा हुए भयंकर तबाही की सम्भावना वाले आणविक हथियार | आज विश्व के 9 देशो के पास 14215 आणविक शस्त्र है जिसमे से 92% अमरीका और रूस के पास है | यह सारे हथियार इस पृथ्वी को कई बार नष्ट करने के लिए पर्याप्त है | विश्व का पहला आणविक परीक्षण अमरीका के न्यू मेकिसको में 16 जुलाई 1945 में किया गया | इसी वर्ष अमरीका के राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान के दो नगरो - हिरोशिमा और नागासाकी - पर अगस्त 6 और अगस्त 9 -1945 को आणविक बम गिराने का आदेश दिया | ये आणविक विस्फोट मनुष्यता के इतिहास में सर्वाधिक विनाश और संहार के प्रतीक बन गये | लगभग 250000 लोग धरती से मानो लुप्त हो गये |
इन विस्फोटो के दशको पश्चात तक जापान में हजारो लोग आणविक विकिरण के प्रभाव से कैंसर से पीड़ित होते रहे , हजारो लोगो की कैंसर से मौत होती रही जो लोग बचे उन्होंने अपग और रुगण बच्चो को जन्म दिया | विश्व भर में जिन जगहों पर हजारो आणविक परीक्षण हुए वहां उनके प्रभाव में कोई आकंडे उपलब्ध नही है , क्योकि प्रत्येक देश अपनी इन जानकारी को गोपनीय रखता है | इन आणविक परीक्षणों के अतिरिक्त बहुत - सी दुर्घटनाये हुई जिनसे वातावरण में आणविक विकिरण का रिसाव हुआ | वर्ष 1964 में एक अमरीकी सैटेलाईट जिसमे प्लूटोनियम था , अन्तरिक्ष में विस्फोटित हो गया जिससे बड़ी मात्रा में आणविक प्रदूषण धरती के वातावरण में आ गया | वर्ष 1978 में एक रुसी सैटेलाईट जो आणविक ऊर्जा से संचालित था , दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसके टुकड़े उत्तरी कनाडा में जा गिरा | आणविक हथियार लेकर जाते दो अमरीका वायुयान स्पेन और ग्रीनलैंड में वर्ष 1966 और 1968 में दुर्घटनाग्रस्त होकर गिरे |
इनके अलावा इंग्लैण्ड , अमरीका और स्विट्जरलैंड के आणविक रिएक्टरो में दुर्घटनाये हुई जिनसे भारी नुक्सान हुआ | इन सभी दुर्घटनाओ में से सर्वाधिक भयंकर रही रूस के चेनोर्विल और जापान के फुकुशिमा की आणविक दुर्घटनाये | चेनोर्विल में हुई दुर्घटना से एक लाख से अधिक लोगो ने हमेशा के लिए अपने घर , नौकरिया और सामजिक सुरक्षा गँवा दिए | 1986 में घटी इस भयंकर घटना के कारण हजारो लोग कैंसर के शिकार हुए | इस घटना क दुष्परिणाम के सही सही आकंडे आज भी ज्ञात नही है | जापान के फुकुशिमा में 11 मार्च 2011 को एक तीव्र भूंकप के बाद समुद्र से 15 मीटर सुनामी उठी जिसने फुकुशिमा - दाईची आणविक केंद्र के तीन आणविक सयंत्रो को अपनी चपेट में ले लिया | पहले तीन दिन में यह तीनो सयंत्र पिघल गये और समुद्र के जल में भारी आणविक रिसाव हुआ | इस क्षेत्र से लगभग एक लाख लोगो को निकाला गया और 1000 लोगो की मौत हो गयी | पिछले 8 दशको में हुए इन सभी आणविक विस्फोटो , परीक्षणों और दुर्घटनाओ से धरती के वातावरण में भारी मात्रा में आणविक विकिरण का रिसाव हुआ | यह रेडियोएक्टिव सामग्री बहुत हल्की होती है और हवा के साथ दूर - दूर तक आसानी से फ़ैल जाती है , | वर्षा के चलते तो यह धरती में चली जाती है , लेकिन बात यही नही खतम होती - इस भयानक सामग्री की बहुत बड़ी मात्रा हमारी हिम खंडो में जाकर समा गयी है जो विश्व भर में फैले हैं | मई 2019 में वियना में हुई एक वैज्ञानिक सभा में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने विश्व को एक बड़े खतरे से अवगत कराया | उनके परीक्षणों से पता चला है कि आर्कटिक , आइसलैंड , एल्पस -ककाक्स पर्वतों , ब्रिटिश कोलम्बिया और अन्टार्कटिका के हिम खंडो में रेडियो - एक्टिव तत्व भारी मात्रा में जमा हो गये है | बर्फ एक ऐसा प्रदार्थ है जिसमे आणविक सामग्री कई दशको तक सक्रिय अवस्था में रह सकती है | बढती हुई जागतिक उष्मा से इन हिम - खंडो के पिघलने की सम्भावना तेजी से बढ़ रही है | इन सभी हिम खंडो में रहने वाले प्राणियों के शरीरो में सामान्य से 10 गुना अधिक कैसियम पाया गया है जो एक आणविक प्रदार्थ है | आज भी आये दिन एक दुसरे देश को आणविक हमले की धमकी देता दिखाई देता है | अब विश्व में एक भी आणविक परिक्षण नही होना चाहिए और विश्व भर के देशो के वैज्ञानिकों को इन हिम - खंडो को सुरक्षित रखने के उपाए निकालने होंगे | यदि हमारे राजनेता युद्ध का उन्माद फैलाते या युद्ध की तैयारी करते दिखे तो सबके द्वारा उनका जमकर विरोध होना चाहिए , क्योकि प्रशन किसी को सबक सिखाने या किसी से बदला लेने का नहीं हमारे जीवन और भविष्य का हैं |
आभार ----येस ओशो

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26 -05-2019) को "मोदी की सरकार"(चर्चा अंक- 3347) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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    1. अनिता जी आपका आभार आपने मेरे लेख को स्थान दिया

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