Sunday, October 6, 2019

आगरा रेड फोर्ट - भाग दो -

आगरा रेड फोर्ट - भाग दो -
अदभुत है रेड फोर्ट
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इस गेट से अन्दर जाने के बाद सामने ही खुबसूरत महल पर नजर पड़ती है यह है जहाँगीर महल यह लाल पत्थरों की बनी दो मंजिला इमारत है , अकबर ने इसे अपने पुत्र के लिए बनवाया था इसकी छत और दीवारे आकर्षित रंगों से सजी हुई है इसमें सुनहरी रंग भी शामिल है | कुछ समय बाद इसी तरफ की ईमारत जहाँगीर ने बनवाई थी जब उसने अकबर द्वारा जोधाबाई के लिए बनी इमारत नष्ट कर दी | लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह इमारत अकबर ने जहाँगीर की पत्नी के लिए बनवाई कारण ऐसी ही एक इमारत फतेहपुर सिकरी में भी है |
इसके चार कोने अलग - अलग कामो के लिए थे जोधाबाई इसका पूर्वी हिस्सा पुस्तकालय के लिए इस्तेमाल करती थी पश्चिमी हिस्सा मंदिर के लिए उत्तरी हिस्सा बातचीत के लिए तथा चित्रकारी के लिए दक्षिण तरफ का हिस्सा प्रयोग करती थी | यह महल हिन्दू तथा मध्य एशिया की कला के संगम का प्रतीक था |
अंगूरी बाग़ --
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यह ख़ास महल के सामने स्थिति है | यह अकबर द्वारा पत्नी तथा अन्य हराम की औरतो के लिए बनवाया गया था | इसके लिए मिटटी कश्मीर से लाइ गयी थी | यह बाग़ दो मंजिला इमारतों से तीन कोनो से घिरा है बाद में जहांगीर ने अंगूर की खेती करवाकर उससे शराब बनवाता था |
ख़ास महल --
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ख़ास महल को शाहजहाँ द्वारा सफेद संगमरमर का शानदार महल बनवाया गया था | यह हरम की औरतो द्वारा इस्तेमाल किया जाता था | इसे आरामगाह भी कहा जाता था | यह शाहजहाँ द्वारा चित्रकारी के लिए तथा सोने के लिए इस्तेमाल किया जाता था | ये कहावत है कि यहाँ सभी मुग़ल राजाओ के चित्र थे जो भरतपुर के जाट रराजा द्वारा नष्ट कर दिए गये |
दीवाने - ए- ख़ास --- दीवान - ए - ख़ास अथवा शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था यह सफेद संगमरमर से सन 1637 में बनवाया गया यह नदी के किनारे स्थिति है | दीवान - ए- ख़ास एक ऐसी जगह जहाँ बादशाह अपने तमाम मंत्रियो और गुप्त लोगो के बैठकर बाते करते थे | शाहजहाँ का प्रसिद्द मयूर सिंहासन यही पर रखा गया था | कुछ समय उपरान्त यह औरंगजेब द्वारा दिल्ली ले जाया गया | फिर यह सिंहासन कुछ हमला करने वाले लोगो द्वारा हासिल कर लिया गया अब यह तेहरान में मौजूद है |
शीश महल --
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यह जगह हराम की औरतो द्वारा श्रृंगार करने के लिए प्रयोग की जाती थी | यह शाहजहाँ द्वारा सन 1630 में बनवाया गया था , उसने यह अपने परिवार के सदस्यों के लिए बनवाया यह तुर्की ढंग से बना नहाने के घाट जैसा था | जिसमे दो हाल , दो टंकिया - एक गर्म पानी और दूसरा ठंडे पानी के लिए थी | छोटी बत्तियो की रौशनी में मुग़ल बादशाह अपनी पत्नियों के साथ ऐश तथा आराम किया करते थे |
सम्मान बुर्ज --
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जेसमीन टावर , सम्मन बुर्ज मुसम्मन बुर्ज एक ही इमारत का नाम है , जो की जहाँगीर द्वारा अपनी पत्नी नूरजहाँ के लिए बनवाया गया था | कुछ समय बाद यह शाहजहाँ द्वारा मुमताज महल के लिए वापस बनवाया गया | यह काम करिश्मा है , इसमें अमूल्य तथा रागिन पत्थरों का कम किया गया है | यह ही वो जगह है जहां औरंगजेब द्वारा शाहजहाँ को कैद किया गया था | यह शाहजहाँ का मरण स्थान है , जहाँ उसने अपनी आखरी साँसे अपनी प्रिय बेटी जहाँआरा के गोद में ली थी तब वे ताज की तरफ देख रहे थे |
नगीना मस्जिद ---
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नगीना मस्जिद बादशाह औरंगजेब द्वारा सन १६७५ में बनवाई गयी उन्होंने हरम की औरतो के लिए यह मस्जिद बनवाई थी | यह मच्छी के उत्तर पश्चिमी तरफ है इसकी दक्षिण दीवार में एक दरवाजा है जो की मीना बाजार को जाता है |
दीवान -ए - आम -- दीवान -ए आम जनता के लिए हाल का निर्माण लाल पत्थर से अकबर द्वार करवाया गया और यह मच्ची भवन के के पश्चिमी तरफ स्थित है | यह शाहजहाँ द्वारा फिर से बनवाया गया | इसकी वृत्तखंड और छत पर संगमरमर पे कशीदाकारी का कम किया हुआ है |
मीना मस्जिद -- यह बादशाह औरंगजेब द्वारा शाहजहाँ के प्रयोग के लिए बनवाई गयी जब वे आगरा किले में कैद थे | यह सफेद संगमरमर का बना हुआ है | इसके अन्दर का नाम 22 गुना 13 फीट है और इसके आगे 22 स्क्वायर फीट बरामदा है |
मीना बाजार - यह बाजार अकबर द्वारा हरम की सुन्दर औरतो के लिए बनवाई गयी थी | यह लाल पत्थर की बनी थी यह एक बाजार था जहाँ अमूल्य वस्तुए खरीदी और बेचीं जाती | कोई भी मर्द इस बाजार में नही जा सकता था | आगरा रेड फोर्ट देखने के बाद मैं .राज और राजीव बढ़ चले इटावा की तरफ -- जारी

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-10-2019) को     "झूठ रहा है हार?"   (चर्चा अंक- 3482)  पर भी होगी। --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    श्री रामनवमी और विजयादशमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर जानकारी युक्त संस्मरण।

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