अतीत -----------
एक दिन खुदीराम बोस एक मंदिर में गये | वहा कुछ लोग मंदिर के सामने भूखे - प्यासे धरना देकर पड़े थे | पूछने पर पता चला कि ये सभी लोग किसी - न - किसी असाध्य रोग से पीड़ित है , इसी कारण मन्नत मानकर यहाँ भूखे - प्यासे पड़े है कि भगवान इन्हें स्वप्न में दर्शन देंगे , तब ये अपना धरना समाप्त करेगे |
इस पर खुदीराम बोले -- ' मुझे भी तो एक दिन इसी प्रकार भूखे - प्यासे धरना देना है | ' पास में खड़े एक व्यक्ति ने उनसे पूछा -- ' तुम्हे ऐसा कौन - सा असाध्य रोग हो गया है , जो तुम यहाँ पर धरना दोगे | "
खुदीराम मुस्कुराकर बोले -- ' क्या गुलामी से भी बढ़कर कोई असाध्य रोग हो सकता है | मुझे तो गुलामी के रोग को दूर करना है " |
एक दिन खुदीराम बोस एक मंदिर में गये | वहा कुछ लोग मंदिर के सामने भूखे - प्यासे धरना देकर पड़े थे | पूछने पर पता चला कि ये सभी लोग किसी - न - किसी असाध्य रोग से पीड़ित है , इसी कारण मन्नत मानकर यहाँ भूखे - प्यासे पड़े है कि भगवान इन्हें स्वप्न में दर्शन देंगे , तब ये अपना धरना समाप्त करेगे |
इस पर खुदीराम बोले -- ' मुझे भी तो एक दिन इसी प्रकार भूखे - प्यासे धरना देना है | ' पास में खड़े एक व्यक्ति ने उनसे पूछा -- ' तुम्हे ऐसा कौन - सा असाध्य रोग हो गया है , जो तुम यहाँ पर धरना दोगे | "
खुदीराम मुस्कुराकर बोले -- ' क्या गुलामी से भी बढ़कर कोई असाध्य रोग हो सकता है | मुझे तो गुलामी के रोग को दूर करना है " |
यही फर्क होता है सिर्फ अपने लिए सोचने और देश के लिए कुछ कर गुजरने ने के लिए ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति
प्रेरक प्रसंग खुदी राम बोस का ... देश भक्तों के क्या कहने ...
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