अपना शहर मगरुवा
हद हो गईल नोट बंदी के सबकर इज्जत दांव पर -- मगरू
आखिर कल मगरुवा संजय जी के बगल में आकर बैठ गया दुआ सलाम किया और लगा पूछने संजय बाबू से कि नोट बंदी पे राय का ह आपके ? संजय बाबू लगे कहने यार का बताई गयनी हम आपन पइसा निकाले जब हमार नम्बर आइल तब खिड़की बंद हो गएल सरवा अब का करी न्योता कैसे होई लगली सोचे तबले उ बैंक वाला कहलस रेजगारी हवे पांच हजार दू रुपया वाला लेबा त बोला
का करती उहे लेहनी संजय राय से बात कईनि उ कहने भइया खुदे हमारे खचिया भर के सिक्का ह कौउनो तरीके से हमार मित्र लोगन सम्मान बचा लेहने | अब का बताई नोट बंदी पर इ कौन सम्विधान में लिखल बा की तोहार जमा पइसा बस इतने निकली एतना जरा कही लिखल ह त बतावा तबले रंजन बोल देहने की हम त अपने दुकान में इ कह देहनी की जेकरे पइसा न हवे उ दवाई ले जाये ओकरे जब होई तब दे देइ मगरू ने मुस्कुरा के कहा बहुत बड़ा काम कईला भाई लेकिन आज तक भूमिहारन के एक्को पइसा केहू पचा न पईलस -- बगले एक एगो लोकनिर्माण के बाबू सुधीर श्रीवास्तव जी चाय पियत रहने फट्टे बोलने भइया तोके किस्स्वा मालुम हवे की ना बनारस में एक जगह सब बिरादरी के खोपड़ी टंगल रहे एकगो खोपड़ी में ताला बंद रहे ए गो विदेशी आयेल उ लगल खोपड़ी देखे सब बिरादरी के खोपड़ी जब देख लेहलस आख़री में पुछ्लस कि इसमें ताला क्यों बंद है ? जे देखावत रहे उ कहलस यह खोपड़ी भूमिहार की है |मगरू ने कहा वैसे रंजन राय जहा झूठन गिरा देवेने उ नेता एम् एल ए एम् पी मंत्री बन जालाल कुछ दिन पहिले एक जगह जूठन गिरउने उहो बड़ा नेता हो गयिने | जय हो - जय हो
हद हो गईल नोट बंदी के सबकर इज्जत दांव पर -- मगरू
आखिर कल मगरुवा संजय जी के बगल में आकर बैठ गया दुआ सलाम किया और लगा पूछने संजय बाबू से कि नोट बंदी पे राय का ह आपके ? संजय बाबू लगे कहने यार का बताई गयनी हम आपन पइसा निकाले जब हमार नम्बर आइल तब खिड़की बंद हो गएल सरवा अब का करी न्योता कैसे होई लगली सोचे तबले उ बैंक वाला कहलस रेजगारी हवे पांच हजार दू रुपया वाला लेबा त बोला
का करती उहे लेहनी संजय राय से बात कईनि उ कहने भइया खुदे हमारे खचिया भर के सिक्का ह कौउनो तरीके से हमार मित्र लोगन सम्मान बचा लेहने | अब का बताई नोट बंदी पर इ कौन सम्विधान में लिखल बा की तोहार जमा पइसा बस इतने निकली एतना जरा कही लिखल ह त बतावा तबले रंजन बोल देहने की हम त अपने दुकान में इ कह देहनी की जेकरे पइसा न हवे उ दवाई ले जाये ओकरे जब होई तब दे देइ मगरू ने मुस्कुरा के कहा बहुत बड़ा काम कईला भाई लेकिन आज तक भूमिहारन के एक्को पइसा केहू पचा न पईलस -- बगले एक एगो लोकनिर्माण के बाबू सुधीर श्रीवास्तव जी चाय पियत रहने फट्टे बोलने भइया तोके किस्स्वा मालुम हवे की ना बनारस में एक जगह सब बिरादरी के खोपड़ी टंगल रहे एकगो खोपड़ी में ताला बंद रहे ए गो विदेशी आयेल उ लगल खोपड़ी देखे सब बिरादरी के खोपड़ी जब देख लेहलस आख़री में पुछ्लस कि इसमें ताला क्यों बंद है ? जे देखावत रहे उ कहलस यह खोपड़ी भूमिहार की है |मगरू ने कहा वैसे रंजन राय जहा झूठन गिरा देवेने उ नेता एम् एल ए एम् पी मंत्री बन जालाल कुछ दिन पहिले एक जगह जूठन गिरउने उहो बड़ा नेता हो गयिने | जय हो - जय हो
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