Thursday, August 15, 2019

बादशाह खान

बादशाह खान ( खान अब्दुल गफ्फार खान )

देश की आजादी और उत्तर - पश्चिम सीमांत क्षेत्र की पठान आबादी के सर्वोमुखी विकास जैसे उदात्त उद्देश्यों के लिए जीवन भर अहिंसक संघर्ष जारी रखने वाले बादशाह खान सही मायने में मानवता के सच्चे खिदमतगार थे | उन्होंने अपना सारा जीवन अंग्रेजो के शोषण से मुक्ति , पठानों के जीवन में सुधार और पठानों के भीतर हिन्दा द्द्वेश को कम करने में लगाया | जीवन भर अनेक कष्टों - अन्यायों को सहते हुए भी बादशाह खान ने गहरी सहनशीलता ,दृढ़ता और लक्ष्य के पीटीआई अटूट निष्ठा का परिचय दिया | गांधी जी से प्रभावित बादशाह खान ने सार्वजनिक जीवन में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य प्रतिष्ठित करने की ऐसी मिसाल कायम की जो आज भी प्रेरणादायक है | लोगो ने प्यार व सम्मान से उन्हें बादशाह खान व सीमांत गांधी फ्रन्टियर गांधी के नाम से संबोधित किया |
पाकिस्तान - अफगानिस्तान की वही सरहदी जमीन जहाँ आज आतंकवादियों और कट्टरपंथियों का खौफ मौजूद है और हिंसा का बोलबाला रहा है ; उसी इलाके में कभी गुजें थे खुदा के बन्दों के रूप में मानवता की सच्ची खिदमत करने वाले अहिंसक सेनानियों के गीत | इसी पठान इलाके से निकला था खुदा का वह नेक बन्दा जिसने मानवता की खिदमत के लिए अहिंसक तरीके से जीवन भर संघर्ष किया था | पठानों के बदले की भावना , हिंसा की प्रवृत्ति काफी प्रबल थी विभिन्न कबीले और कबीलों के भीतर भी विभिन्न गुट व परिवार आपसी दुश्मनियो की हिंसा से बुरी तरह तरसत थे | छोटी - छोटी बातो पर कलह , कबीलों - गुटों के बीच षड्यंत्र लड़ाई - झगड़े काफी आम बात थी और इसी पठान समाज को अन्दर से कमजोर कर दिया था | स्वाभिमान को लगी जरा सी ठेस को बदले की आक्रोशपूर्ण भावना में तब्दील हो हिंसक लड़ाइयो का रूप लेते देर नही लगती थी | अंग्रेजो से पठान कबीलों की छिटपुट संघर्ष तो चलते ही रहते थे ; पर सम्पूर्ण देश की आजादी के व्यापक उद्देश्यों का यहाँ अभाव था | पठान कबीलों पर अपना कठोर नियंत्रण रखने वाले मुल्लाओ को न्ग्रेजो ने इतनी छुट दे राखी थी कि वे पठानों में किसी राजनितिक - सामाजिक सुधार को होने से रोके | इस वातावरण में पठानों में सामाजिक सुधार का बीड़ा उठाना और हिंसक प्रवृत्ति के पठानों को देश की आजादी जैसे व्यापक उद्देश्यों के लिए अहिंसक सैनिको में तब्दील करना सचमुच बेहद आश्चर्यजनक उपलब्द्धि थी | खान अब्दुल गफ्फार खान ने यही प्रयास किया और इसलिए वे पठानों के ही नही सम्पूर्ण देशवासियों के दिलो के बादशाह बन गये | पठानों में छिपे साहस , दृढ़ता , स्वाभिमान और अनुशासन को पूर्णत: अहिंसक संघर्ष में तब्दील करके बादशाह खान ने सही मायने में ''अहिंसा ' के सिद्दांत को प्रतिपादित किया | क्रमश :

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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