खुला कब्रिस्तान ---- जहा आज भी शव सुरक्षित है ---
कल्पना कीजिये कि आप माउंट एवरेस्ट को फतेह करने जा रहे है | आप अपनी चढाई के आखरी दौर में है , शिकार को चूमने के लिए आप बेताब है तभी आप एक ऐसी जगह पहुचते है जहा का दृश्य देख कर आप की रूह कापं जाती है जहा आप को कई कलाईबर्स के शव फ्रोजन अवस्था में दिखाई देते है , तो समझ लीजिये माउंट एवेरेस्ट को फतेह करना हर कलाईबर्स का सपना होता है | लेकिन इसको फतेह करना इतना आसान नही है | पहले जब तकनीक इतनी विकसित नही थी तब हर चार में से एक कलाईबर्स कि मौत इस प्रयास में होती थी और आज जबकि तकनीक काफी विकसित हो गयी फिर भी हर हजार में से बीस कलाईबर्स मौत इस प्रयास में होती है | इनमे से अधिकतर की मौत ऐसी जगह होती है जहा से इनके शवो को निचे लाना असम्भव होता है | यह जगह कहलाती है '' रेनबो वैली ''
कल्पना कीजिये कि आप माउंट एवरेस्ट को फतेह करने जा रहे है | आप अपनी चढाई के आखरी दौर में है , शिकार को चूमने के लिए आप बेताब है तभी आप एक ऐसी जगह पहुचते है जहा का दृश्य देख कर आप की रूह कापं जाती है जहा आप को कई कलाईबर्स के शव फ्रोजन अवस्था में दिखाई देते है , तो समझ लीजिये माउंट एवेरेस्ट को फतेह करना हर कलाईबर्स का सपना होता है | लेकिन इसको फतेह करना इतना आसान नही है | पहले जब तकनीक इतनी विकसित नही थी तब हर चार में से एक कलाईबर्स कि मौत इस प्रयास में होती थी और आज जबकि तकनीक काफी विकसित हो गयी फिर भी हर हजार में से बीस कलाईबर्स मौत इस प्रयास में होती है | इनमे से अधिकतर की मौत ऐसी जगह होती है जहा से इनके शवो को निचे लाना असम्भव होता है | यह जगह कहलाती है '' रेनबो वैली ''
रेनबो वैली
, माउन्ट एवेरेस्ट पर उसके शिकार से कुछ नीचे स्थित है | | यह नाम सुनने
में जितना अच्छा लगता है , यह जगह उतनी ही भयावह है | माउंट एवेरेस्ट का यह
हिस्सा कलाईबर्स के लिए मौत की घाटी है | यहाँ पर अब तक सैकड़ो की मौत हो
चुकी है | उनमे से अधिकतर के शव भी अभी तक वही पड़े है | क्योकि यहाँ से शवो
को नीचे उतरना लगभग नामुमकिन है | हेलीकाप्टर इसकी आधी ऊँचाई तक ही पहुच
पाते है | अत्यधिक ठंड व बर्फ के कारण यहाँ पड़े हुए शव काफी हद तक संरक्षित
बने हुए है | इसलिए इस जगह को खुला कब्रिस्तान कहा जाता है | यहाँ पर
कलाईबर्स का सामान भी इधर - उधर बिखरा पड़ा है अभी तक पहचाना गया सबसे
पुराना शव georgemallory का है जो की 1924 में तूफ़ान में फंसकर मारे गये थे
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साभार -- दो अगस्त -- दैनिक आज
साभार -- दो अगस्त -- दैनिक आज
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