Friday, February 12, 2016

इहलोक से शिवलोक -- 13-1-16

इहलोक से शिवलोक --
हिन्दुओं के लिए कैलास शिवलोक भी और साक्षात शिव का स्वरूप भी |
कैलास की ही छत्रछाया में लहराती हुए पवित्र झील है मानसरोवर , जिसे ब्रम्हा के माँस की उत्त्पत्ति माना जाता है | नीरव - जनशून्य मरुभूमि पर स्थित कैलास - मानसरोवर सर्वोच्च तीर्थ मात्र नही , यहाँ सर्वत्र छिटका है परिवर्तनधर्मा प्रकृति का अनोखा इन्द्रधनुषी रंग ; बेहद मोहक , अतीव सुंदर | क्षिति , जल पावक , गगन और समीर यहाँ अलग ही रूप धरते है | सुभद्रा जी ने चंद अल्फाजो में जो कागज के कैनवास पे खीचा है कोई यायावर ही यह कर सकता है सच है कि सुभद्रा जी राहुल बाबा नही बन सकती दायित्व लिया है , लेकिन यह जरुर कह सकता हूँ कि जिस तरह से फकीराना अंदाज में इन्होने मानसरोवर को महसूस किया पढने से लगता है कि हृदय के अन्दर बैठा वो स्पन्द अपने आस - पास महसूस हो रहा है | साधुवाद सुभ्रदा जी आपको

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-02-2016) को "आजाद कलम" (चर्चा अंक-2252) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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