Friday, February 12, 2016

महान देश की नारियो ने शुरू किया था मुक्ति आन्दोलन --- अंजना सक्सेना 13-2-16


महान देश की नारियो ने शुरू किया था मुक्ति आन्दोलन --- अंजना सक्सेना
नॅशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश 'प्रतिरोध की संस्कृति ' अवाम का सिनेमा '
कैथी फिल्म फेस्टिवल ' के संयुक्त तत्त्वाधान में मुहीम का दूसरा दिन शंखनाद से शुरू हुआ अलग - अलग लोक कलाओं से सजा मंच अपना संदेश देने में पूर्ण रूप से सफल रहा सबसे ख़ास बात रही मैं सेंटर से पैदल ही मुहीम स्थल की ओर आ रहा था कुछ दूर आगे बढा था गोबर पाठ रही एक भर्द्र महिला ने मुझसे पूछा बाबू वल्लभ ( पाण्डेय जी ) जउन मेला लगइले हवे अब इ मेला कहा उठ के जाई , कुछ और आगे बढा बगल से एक नौजवान गुजर रहा था पूछ बैठा इ शूटिंग कब ले चली तब तक मंच अ चूका था संचालन का समय हो गया था सो मैं सीधे मंच पर आया | दुसरे दिन की परिचर्चा व कवि सम्मेलन '' के लिए मैंने मंच पर लखनऊ से आई मेरी छोटी बहन निवेदिता श्रीवास्तव , इलाहाबाद से आई दीदी सरस दरबारी , व माधवी मिश्रा को आमंत्रित किया साथ ही '' भारतीय क्रान्ति में नारियो का योगदान परिचर्चा के लिए इंदौर से आई साहित्यकार व कबीर सुर साधिका श्रीमती अंजना सक्सेना के साथ शिकागो से आई गुड्डो दादी को बुलाया --
परिचर्चा से पहले कविता पाठ शुरू किया श्रीमती माधवी मिश्रा जी ने उसके बाद सरस दरबारी जी द्वारा स्त्री विमर्श पर खुबसूरत रचना सुनने को मिला और छोटी बहन के काव्य पाठ ने पुरे माहौल को स्त्री विमर्श पर सोचने को मजबूर कर दिया उनके इस कविता द्वारा
आधुनिका!
हाँ इसी नाम से पुकारती है दुनिया मुझे
या यूँ कहो,
दुत्कारती है मुझे।
उत्कंठा मानव जीवन के रस रंग से परिचित होने की
हूँ प्रपंच से बेपरवाह, जीवन से भरपूर हृदय की।
मेरे मानस में अंकित हैं जो सीमा रेखाएं
सीमा रेखाएं हैं
अति क्षुद्र, उनसे समाज की।
नहीं बनना मुझको सीता,
शक्की पति की परिणीता।
नहीं बनना मुझको गांधारी
अंधे पुरूष की अंधी नारी।
मैं अपनी कहानी आप लिखुंगी
एक नया इतिहास लिखुंगी।
प्रेम का पंथ चलाउंगी
इंसान बन कर दिखाउंगी।
हाँ, फिर आधुनिका पुकारेगी दुनिया मुझे
या यूँ कहो स्वीकारेगी मुझे।।
‪#‎निवेदिता‬
काव्यपाठ के तुरंत बाद ' भारतीय क्रान्ति में नारियो का योगदान ' पर
मुख्य वक्ता श्रीमती अंजना सक्सेना ने अपने विचार रखते हुए कैफ़ी के इन नज्मो से शुरू किया |
'' कोई तो सूद चुकाए कोई तो जिम्मा ले
उस इन्कलाब का जो आज तक अधूरा सा है ||
देश के क्रांतिकारी वीरो और वीरागनाओ का इतिहास महज उनके गौरवशाली शहादत का ही नही अपितु 1947 में राष्ट्र को प्राप्त ' समझौतावादी स्वतंत्रता ' के विपरीत ' क्रांतिकारी - स्वतंत्रता ' के लक्ष्यों , उद्देश्यों का भी इतिहास है | उनके ये लक्ष्य इस राष्ट्र को ब्रिटिश राज से मुक्ति के साथ - साथ उसकी आर्थिक , शैक्षणिक , सांस्कृतिक पर निर्भरता व परतंत्रता के सम्बन्धो से भी मुक्ति के लिए निर्धारित किये गए थे | इन्ही लक्ष्यों के अनुरूप वे अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को चलाते भी रहे थे | यह हिंसा और अहिंसा का प्रश्न नही है , बल्कि क्रांतिकारी स्वतंत्रता के उद्देश्यों और लक्ष्यों का सवाल है | लेकिन इतिहास की बिडम्बनापूर्ण कटु सच्चाई यह है कि उन महान क्रांतिकारी वीरागनाओ के प्रमुख लक्ष्य व उद्देश्य देशवासियों के लिए आज भी अज्ञात है | वर्तमान दौर में राष्ट्र की और राष्ट्र की बहुसख्यक जनसाधारण की निरंतर बढती और घराती समस्याओं में इन क्रान्तिकारियो और उनके उद्देश्यों लक्ष्यों को जानना नितांत प्रासंगिक है
1857 के स्वतंत्रता आन्दोलन के पहले से ही भारतीय नारियो में ब्रिटिश हुक्मरानों के विरुद्द गुस्सा उबल रहा था , ऐसे में महारानी लक्ष्मीबाई का ब्रिटिश हुक्मरानों के विरुद्द जंग का ऐलान करके ब्रिटिश साम्राज्य को यह चेता दिया था अब आने वाले कल में तुम्हारा पताका गिरेगा और क्रांतिवीरो के साथ कंधे - से कंधा मिलकर भारतीय नारियो ने इस मुहीम की अलख जगाई इस शुरुआत के बाद सन्यासी विद्रोह की प्रेरणा दिया था लक्ष्मीबाई की बुआ जिन्हें लोग देवी तेस्वनी के नाम से जानते है इसके साथ ही बंगाल की देवी चौधरानी जैसी वीरागनाओ से ब्रिटिश साम्राज्यवाद कापती रही ब्रिटिश शासन उन्हें जीवन पर्यन्त पकड़ नही सकी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए दुर्गा भाभी , आजाद हिन्द फ़ौज में कैप्टन लक्ष्मी सहगल के साथ ही तबके पूर्वी हिदुस्तान और अब बांग्ला देश में स्थित चटगाँव के एक गरीब परिवार से निकली वीरागना प्रीतिलता वादेदार को अब कौन जनता है | वीरागना प्रीतिलता वादेदार सूर्यसेन की शिष्या थी अग्रेजो से अपने साथियों के मौत का हिसाब इस वीरागना अग्रेजो के एक क्लब में खिड़की में बम बांधकर और पिस्टल से अनेको अंग्रेज अफसरों को मार गिराया खुद भी खयाल हो गयी जब वो भाग न सकी तो उन्होंने पोटेशियम सायनाइड खा कर इस देश के लिए अपना बलिदान कर दिया |
हमारे तीसरे सत्र क्रांतिकारी फिल्म इन्कलाब और फीचर फिल्म मदर इण्डिया का प्रदर्शन किया गया |

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