तीसरा दिन कैथी
व्यवस्था को आम किसान के हितो को सुरक्षित करनी पड़ेगी न की उनको राम - रहीम के भरोसे छोड़ दे -- डा राजीव श्रीवास्तव
नॅशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश 'प्रतिरोध की संस्कृति ' अवाम का सिनेमा '
कैथी फिल्म फेस्टिवल ' के संयुक्त तत्त्वाधान में मुहीम का तीसरा दिन प्रथम सत्र में विलुप्त होती लोक संगीत व परम्परा हुडुक - गोड़उ नाच जो हमारी पूर्वांचल की लोक संस्कृति है उनके कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शन रहा समापन के अवसर पर परिसम्वाद '' आत्महत्या करते किसान सरकारे मौन '' विषय पर समाजवादी साथी डा सोमनाथ त्रिपाठी ने कहा भारत का किसान अनादि कल से छला जा रहा है , पहले के युगों में राजाओ , जमीदारो द्वारा लुटा गया फिर ब्रितानी राज में उसका शोषण जारी रहा आजाद भारत में भी किसानो के हित चिन्तक दूर - दूर तक कही नजर नही आते आज किसानो को फिर लाम बंद होना पडेगा | दिल्ली से आये फिल्म मेकर , वरिष्ठ पत्रकार बड़े भाई डा राजीव श्रीवास्तव ने चर्चा को आगे बढाते हुए कहा कि सोमनाथ जी के बातो को शामिल करते हुए कहना चाहूँगा कि 1990 से पहले किसानो की यह हालत नही थी इस देश में डब्लू .टी . ओ के साथ ( नई आर्थिक नीति व डंकल प्रस्ताव ) ने किसानो को आत्महत्या करने को मजबूर कर दिया साथ ही भूमि अधिग्रहण का खेल जो आज किसानो के साथ खेला जा रहा है वो तो देश के लिए खतरनाक साबित होगा सराकर की आंकड़ो के अनुसार छ: लाख से उपर किसानो ने आत्महत्या किया है आखिर क्या बात है 1990 से पहले देश का किसान खुशहाल था कौन सी वजह ऐसी बन रही है की किसानो की आत्महत्या की संख्या बढती जा रही है | उन्होंने आगे कहा कि देश में कंक्रीटो के जगल बसाने से देश का विकास नही होगा न ही स्मार्ट सिटी बनाने से अगर देश के विकास को और आगे ले जाना है तो व्यवस्था को आम किसान के हितो को सुरक्षित करनी पड़ेगी न उसके राम - रहीम के भरोसे छोड़ दे बुन्देलखंड में लगातार किसान आत्महत्या कर रहे है देखने में आ रहा है व्यवस्था मौन है , आज फिर एक बार किसानो को उठना होगा अपने उस अधिकार के लिए जो देश की समविधान ने उन्हें दिया है | अभी तो लड़ना है साथियो | तीसरे स्तर में दशरथ माझी पे बनाई गयी लघु वित्तचित्र के साथ दो बीघा जमीन का प्रदर्शन किया गया |
व्यवस्था को आम किसान के हितो को सुरक्षित करनी पड़ेगी न की उनको राम - रहीम के भरोसे छोड़ दे -- डा राजीव श्रीवास्तव
नॅशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश 'प्रतिरोध की संस्कृति ' अवाम का सिनेमा '
कैथी फिल्म फेस्टिवल ' के संयुक्त तत्त्वाधान में मुहीम का तीसरा दिन प्रथम सत्र में विलुप्त होती लोक संगीत व परम्परा हुडुक - गोड़उ नाच जो हमारी पूर्वांचल की लोक संस्कृति है उनके कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शन रहा समापन के अवसर पर परिसम्वाद '' आत्महत्या करते किसान सरकारे मौन '' विषय पर समाजवादी साथी डा सोमनाथ त्रिपाठी ने कहा भारत का किसान अनादि कल से छला जा रहा है , पहले के युगों में राजाओ , जमीदारो द्वारा लुटा गया फिर ब्रितानी राज में उसका शोषण जारी रहा आजाद भारत में भी किसानो के हित चिन्तक दूर - दूर तक कही नजर नही आते आज किसानो को फिर लाम बंद होना पडेगा | दिल्ली से आये फिल्म मेकर , वरिष्ठ पत्रकार बड़े भाई डा राजीव श्रीवास्तव ने चर्चा को आगे बढाते हुए कहा कि सोमनाथ जी के बातो को शामिल करते हुए कहना चाहूँगा कि 1990 से पहले किसानो की यह हालत नही थी इस देश में डब्लू .टी . ओ के साथ ( नई आर्थिक नीति व डंकल प्रस्ताव ) ने किसानो को आत्महत्या करने को मजबूर कर दिया साथ ही भूमि अधिग्रहण का खेल जो आज किसानो के साथ खेला जा रहा है वो तो देश के लिए खतरनाक साबित होगा सराकर की आंकड़ो के अनुसार छ: लाख से उपर किसानो ने आत्महत्या किया है आखिर क्या बात है 1990 से पहले देश का किसान खुशहाल था कौन सी वजह ऐसी बन रही है की किसानो की आत्महत्या की संख्या बढती जा रही है | उन्होंने आगे कहा कि देश में कंक्रीटो के जगल बसाने से देश का विकास नही होगा न ही स्मार्ट सिटी बनाने से अगर देश के विकास को और आगे ले जाना है तो व्यवस्था को आम किसान के हितो को सुरक्षित करनी पड़ेगी न उसके राम - रहीम के भरोसे छोड़ दे बुन्देलखंड में लगातार किसान आत्महत्या कर रहे है देखने में आ रहा है व्यवस्था मौन है , आज फिर एक बार किसानो को उठना होगा अपने उस अधिकार के लिए जो देश की समविधान ने उन्हें दिया है | अभी तो लड़ना है साथियो | तीसरे स्तर में दशरथ माझी पे बनाई गयी लघु वित्तचित्र के साथ दो बीघा जमीन का प्रदर्शन किया गया |
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