एक मुलाक़ात
शून्य से शिखर की ओर
अगर मनुष्य दृढ संकल्पि हो तो वो अपना मुकाम हासिल कर सकता है , यह अपने कर्म क्षेत्र में सचिन सक्सेना ने कर दिखाया है | श्री बिहारी लाल सक्सेना के तीन पुत्रो में सबसे छोटे सचिन के बड़े भाई डॉक्टर रवि सक्सेना जी जो सूरत मेडिकल कॉलेज में प्रफ़ेसर के पद से रिटायर्ड हों कर अब भोपाल एम॰पीं में चिरायु मेडिकल कॉलेज में डीन के पद पर कार्यरत हैं , उनके बाद के भाई रायपुर छत्तीसगढ़ में हाउज़िंग बोर्ड में कमिश्नर रहे है |
सचिन अपने जीवन के सफर की बात कुछ शायराना अंदाज में शुरू करते है जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है , जब मैं इंजीयरिंग करके इंदौर लौटा तो उस वक्त मेरे जेहन में सरकारी नौकरी करने का था मैं एक दिन बड़े भाई के यहाँ बैठा हुआ था उन्होंने पूछा अब क्या करना है ? मैंने तुरंत जबाब दिया कि मर्सडीज पे चलना है बड़े भाई साहब ने उत्तर दिया सरकारी नौकरी से तो नही कर सकते मैंने कहा देखते है तब मैंने अपने मित्र श्री ओम् प्रकाश विजयवेर्गिय के साथ सीता कन्स्ट्रक्शन & सीता होम्स प्रा. लि. कम्पनी बनाई | उसके बाद सफर हुआ लक्ष्य तय था धुन का पक्का हूँ इस सफर में बहुत से आंधी व तूफ़ान का सामना हुआ फिर भी उन रास्तो में निर्विघ्न आज तीस सालो से हम दोनों मित्र कदम से कदम मिलाकर बढ़ते चले जा रहे है | बात को मैंने रोका पूछा कि तब के समय में और आज के समय में अन्तर सचिन मुस्कुराये और जबाब दिया समय लगातार बदलता है | सबसे जरूरी है समय के हिसाब से अपने को ढालना अपनी सोच को वृहद् करना तभी सफलता मिलेगी |
आई डी एल के बारे में कहना है हर चीज के लिए अलग - अलग आई . डी एल . होता है साहित्य की बात करते हुए कहते है कि माता - पिता से वरासत में मिली है साहित्य पढने का शौक है मुझे संगीत में रूचि रखता हूँ | अपने शगल के बारे में चर्चा करते हुए कहते है किलांग ड्राइव वो भी तेज गाड़ी चलना साथ में कार के अन्दर तेज आवाज में संगीत सुनना आने वाली पीढियों के लिए कहते है कि आज की पीढ़ी ज्यादा समझदार हो गयी है आदमी अपने कर्मो से सिख लेता है अपने स्वत: के विचारो से व्यक्ति को आगे बढना चाहिए | सचिन को अपने बेस्ट वर्क ( पुलिस हाउजिंग ) को समय के अन्दर मानक के अनुसार काम करने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा वेस्ट वर्क एवार्ड दिया गया है हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है |
शून्य से शिखर की ओर
अगर मनुष्य दृढ संकल्पि हो तो वो अपना मुकाम हासिल कर सकता है , यह अपने कर्म क्षेत्र में सचिन सक्सेना ने कर दिखाया है | श्री बिहारी लाल सक्सेना के तीन पुत्रो में सबसे छोटे सचिन के बड़े भाई डॉक्टर रवि सक्सेना जी जो सूरत मेडिकल कॉलेज में प्रफ़ेसर के पद से रिटायर्ड हों कर अब भोपाल एम॰पीं में चिरायु मेडिकल कॉलेज में डीन के पद पर कार्यरत हैं , उनके बाद के भाई रायपुर छत्तीसगढ़ में हाउज़िंग बोर्ड में कमिश्नर रहे है |
सचिन अपने जीवन के सफर की बात कुछ शायराना अंदाज में शुरू करते है जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है , जब मैं इंजीयरिंग करके इंदौर लौटा तो उस वक्त मेरे जेहन में सरकारी नौकरी करने का था मैं एक दिन बड़े भाई के यहाँ बैठा हुआ था उन्होंने पूछा अब क्या करना है ? मैंने तुरंत जबाब दिया कि मर्सडीज पे चलना है बड़े भाई साहब ने उत्तर दिया सरकारी नौकरी से तो नही कर सकते मैंने कहा देखते है तब मैंने अपने मित्र श्री ओम् प्रकाश विजयवेर्गिय के साथ सीता कन्स्ट्रक्शन & सीता होम्स प्रा. लि. कम्पनी बनाई | उसके बाद सफर हुआ लक्ष्य तय था धुन का पक्का हूँ इस सफर में बहुत से आंधी व तूफ़ान का सामना हुआ फिर भी उन रास्तो में निर्विघ्न आज तीस सालो से हम दोनों मित्र कदम से कदम मिलाकर बढ़ते चले जा रहे है | बात को मैंने रोका पूछा कि तब के समय में और आज के समय में अन्तर सचिन मुस्कुराये और जबाब दिया समय लगातार बदलता है | सबसे जरूरी है समय के हिसाब से अपने को ढालना अपनी सोच को वृहद् करना तभी सफलता मिलेगी |
आई डी एल के बारे में कहना है हर चीज के लिए अलग - अलग आई . डी एल . होता है साहित्य की बात करते हुए कहते है कि माता - पिता से वरासत में मिली है साहित्य पढने का शौक है मुझे संगीत में रूचि रखता हूँ | अपने शगल के बारे में चर्चा करते हुए कहते है किलांग ड्राइव वो भी तेज गाड़ी चलना साथ में कार के अन्दर तेज आवाज में संगीत सुनना आने वाली पीढियों के लिए कहते है कि आज की पीढ़ी ज्यादा समझदार हो गयी है आदमी अपने कर्मो से सिख लेता है अपने स्वत: के विचारो से व्यक्ति को आगे बढना चाहिए | सचिन को अपने बेस्ट वर्क ( पुलिस हाउजिंग ) को समय के अन्दर मानक के अनुसार काम करने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा वेस्ट वर्क एवार्ड दिया गया है हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है |
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