उज्जैन में विश्व की अदभुत मूर्ति शिल्प इस मंदिर में श्रीराम व लक्ष्मण
के मुछे है साथ ही इन तीनो के एक पैर सीधा है दूसरा उत्तर की तरफ मुडा हुआ
है |
सिंहस्थ में महेश यादव जी के बाबु जी के साथ अन्य जगहों को देखने का अवसर मिला उसी में एक मंदिर है रामजानकी मंदिर पुरातत्वीय प्रमाणों के आधार पर प्रतीत होता कि इन मंदिरों का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह जी द्वारा 17 वी शताब्दी में कराया गया था |
इसके चारो ओर परकोटा तथा कुण्ड मराठो के समय 18 वी शताब्दी में निर्मित किये गये थे |
इन मंदिरों के बहार मराठा कालीन चित्रों की विशेषता है भित्तियों पर बने बोद्ल्या बुआ महाराज धोलिबा संत तुकोबा आदि के चित्र है |
सिंहस्थ में महेश यादव जी के बाबु जी के साथ अन्य जगहों को देखने का अवसर मिला उसी में एक मंदिर है रामजानकी मंदिर पुरातत्वीय प्रमाणों के आधार पर प्रतीत होता कि इन मंदिरों का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह जी द्वारा 17 वी शताब्दी में कराया गया था |
इसके चारो ओर परकोटा तथा कुण्ड मराठो के समय 18 वी शताब्दी में निर्मित किये गये थे |
इन मंदिरों के बहार मराठा कालीन चित्रों की विशेषता है भित्तियों पर बने बोद्ल्या बुआ महाराज धोलिबा संत तुकोबा आदि के चित्र है |
इस मदिर की सबसे बड़ी विशेषता कि यहाँ मंदिर में श्रीराम , लक्ष्मण व सीता
की मूर्तियों के पैर टेढ़े है साथ ही श्रीराम व लक्ष्मण की मुछे भी है | वह
के लोगो के कथानुसार श्रीराम जब वन गमन में ही इस तरफ आये थे तब उनके दाढ़ी -
मोछ थे साथ ही यहाँ से उत्तर की तरफ वे जब पहाडो की तरफ गये तो उनका एक
पाँव सीधा था दुसरा उत्रर की ओर था |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (06-06-2016) को "पेड़ कटा-अतिक्रमण हटा" (चर्चा अंक-2365) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रोचक प्रस्तुति
ReplyDeleteमूछ वाले राम-लक्ष्मण पहले कही नहीं देखे थे ..