दो घंटे में पटना -
पटना तो बहुत बार जाना हुआ बस इतना ही रहा कि गोधुली वेला पे गया अपना कार्य किया और प्रात: वह से निकल गया , अबकी अभिषेक के साथ आधुनिक पटना को कुछ समय में देखने का मौका मिला |
द्वापर -त्रेता काल के इतिहास के साथ ही आधुनिक काल के इतिहास को समेटे हुए है पाटलिपुत्र आधुनिक कल में नये पटना का सृजन हुआ उसी सृजन को करीब तीन घंटो में सिर्फ चंद हिस्से को दिखाया अभिषेक आनन्द ने पहला बिहार म्यूजियम बेशक यह कहना उचित होगा मैंने अभी तक बहुत सारे संग्रहालय को देखा है
उन संग्रहालयो में सबसे आधुनिक है पटना का संग्रहालय इस संग्रहालय में प्रवेश द्वार से जब आप अन्दर आयेंगे तो सबसे पहले बाल वीथिका मिलेगा आपको उस विधिक की ख़ास बात है उसमे मूर्तियों और आधुनिक माध्यमो से बच्चो की जिज्ञासा को बताना इसके साथ ही इस संग्रहालय में एक अनोखी चीज अभी बन रही है वो है मानव द्वारा उन सरे भौतिक सामानों को एक सूत्र में पिरोना इसमें आपको रसोई घर के इस्तेमाल से लेकर वाशिंग मशीन के साथ ही कमोड का इस तरेह प्रयोग हुआ है जो अदभुत है |
साथ ही पुरातन शिलालेख के साथ पुरातन मूर्ति शिल्प की प्रस्तुती अनोखी है | दूसरा देखा बुद्ध स्मृति पार्क इसको प्रथम दलाई लामा ने ध्यान का केंद्र चुना अब जगह अपनी अलग छटा बिखेर रही है | यह मात्र पार्क नही है इसमें ध्यान केंद्र के साथ अमूल्य बौद्ध विचार धरा को समझने के लिए पुस्तकालय है | इस पार्क की सबसे अहम् हिस्सा शाम छ: बजे शुरू होने वाला रेजर लाईट एन साउंड कार्यक्रम सिर्फ तीस मिनट में पाटलिपुत्र के प्राचीनतम इतिहास से आधुनिक पटना तक की जानकारी उपलब्ध कराती है | मैं आभार व्यक्त करता हूँ अभिषेक आनन्द का उसने इन दोनों स्थानों को दिखाया मुझे |
पटना तो बहुत बार जाना हुआ बस इतना ही रहा कि गोधुली वेला पे गया अपना कार्य किया और प्रात: वह से निकल गया , अबकी अभिषेक के साथ आधुनिक पटना को कुछ समय में देखने का मौका मिला |
द्वापर -त्रेता काल के इतिहास के साथ ही आधुनिक काल के इतिहास को समेटे हुए है पाटलिपुत्र आधुनिक कल में नये पटना का सृजन हुआ उसी सृजन को करीब तीन घंटो में सिर्फ चंद हिस्से को दिखाया अभिषेक आनन्द ने पहला बिहार म्यूजियम बेशक यह कहना उचित होगा मैंने अभी तक बहुत सारे संग्रहालय को देखा है
उन संग्रहालयो में सबसे आधुनिक है पटना का संग्रहालय इस संग्रहालय में प्रवेश द्वार से जब आप अन्दर आयेंगे तो सबसे पहले बाल वीथिका मिलेगा आपको उस विधिक की ख़ास बात है उसमे मूर्तियों और आधुनिक माध्यमो से बच्चो की जिज्ञासा को बताना इसके साथ ही इस संग्रहालय में एक अनोखी चीज अभी बन रही है वो है मानव द्वारा उन सरे भौतिक सामानों को एक सूत्र में पिरोना इसमें आपको रसोई घर के इस्तेमाल से लेकर वाशिंग मशीन के साथ ही कमोड का इस तरेह प्रयोग हुआ है जो अदभुत है |
साथ ही पुरातन शिलालेख के साथ पुरातन मूर्ति शिल्प की प्रस्तुती अनोखी है | दूसरा देखा बुद्ध स्मृति पार्क इसको प्रथम दलाई लामा ने ध्यान का केंद्र चुना अब जगह अपनी अलग छटा बिखेर रही है | यह मात्र पार्क नही है इसमें ध्यान केंद्र के साथ अमूल्य बौद्ध विचार धरा को समझने के लिए पुस्तकालय है | इस पार्क की सबसे अहम् हिस्सा शाम छ: बजे शुरू होने वाला रेजर लाईट एन साउंड कार्यक्रम सिर्फ तीस मिनट में पाटलिपुत्र के प्राचीनतम इतिहास से आधुनिक पटना तक की जानकारी उपलब्ध कराती है | मैं आभार व्यक्त करता हूँ अभिषेक आनन्द का उसने इन दोनों स्थानों को दिखाया मुझे |
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