Monday, December 18, 2017

यात्रा संस्मरण भाग दो 18-12-17

संस्मरण भाग दो -
चंद डाक्टर ही ऐसे है जो सेवा भाव रखते है नही तो ......
टी टी ने कहा हमे पता है आप लोगो की यह आदत है
करीब तीन घंटे लेट पटना पहुच गयी थी फरक्का एक्सप्रेस अमरेन्द्र से तब तक मैं घुल मिल चूका था | पटना में हम लोगो के कूपे में कुछ लोग अनाधिकृत घुस कर कब्जा जमा चुके थे , हम सब क्या कहते खामोश रहे | कुछ देर बाद टी टी आया उसने हम लोगो का टिकट चेक करने के बाद उनसे टिकट मागा देखकर उसने हिदायत दी अगले स्टेशन पर उतर कर डब्बा बदल लेना उसी समय भद्र महिला लगी सफाई देने की ट्रेन छुट रही थी सो जल्दी से इसमें चढ़ गये है टी टी ने कहा हमे पता है आप लोगो की यह आदत है बिना वजह सफाई मत दो यह कहके आगे बढ़ गया और वो परिवार बस हंस कर बैठा रहा अपना गन्तव्य आने पर उतर गया |
हम दोनों ने बात शुरू की अमरेन्द्र ने दिल्ली के अस्पतालों की चर्चा करते हुए बोला अंकल जी केजरीवाल ने बहुत बड़ा कदम उठाया दो अस्पतालों का लाइसेंस खत्म करके मैंने भी उसकी बातो का स्वागत किया आगे बोला हमने कहा पंडित जी सही मायने में देश का पहला ऐसा मुख्यमंत्री है जो आम जन का है अब वो कहा तक सफल हो पायेगा यह तो भविष्य तय करेगा कारपोरेट कभी नही चाहता कि वो रहे हर तिकड़म कारपोरेट लगा रहा है पर सफल नही हो रहा है | केजरीवाल और उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया जी यह दोनों लोग सही मायने में आम आदमी के मुलभुत जरुरतो पर काम कर रहे है | आम आदमी के स्वास्थ्य - शिक्षा और रोजमर्रा की जिन्दगी से जुड़े चीजो पर दिल्ली की सरकार ध्यान दे रही है अमरेन्द्र ने भी कहा कि यह बहुत बड़ी बात है | अमरेन्द्र ने कहा अंकल जी देश के चंद डाक्टरों को छोड़ दिया जाए तो अन्य डाक्टरों ने इसको सेवा भाव की जगह धंधा बना दिया है | नये शोध के साथ शारीरिक पैमाना बदल दिया जाता है डा स्वंय मरीज पैदा कर रहे है अब क्या बताये आपको हम मैं अपनी अम्मा को बड़े से बड़े अस्पताल में दिया पर अंत में आकर एक सामान्य दात्र से ठीक हुई हमारे बड़ी बहन को रीढ़ की हड्डी में समस्या आई हमने उनके इलाज के लिए दिल्ली हो या अन्य बड़े अस्पताल इनके दाक्रो को दिखाया सब यही कहते की आपरेशन करना होगा यह बताना मुश्किल है की कितना सही होगा एक दिन हमारे जान्ने वाले ने एक आयुर्वेद के डाक्टर का नाम लिया बड़ी मुश्किल से उनसे मुलाक़ात हुई हमारे उन्होंने हमारी दीदी की सारी रिपोर्ट देखि दवा शुरू किया उन्होंने आज मेरी दीदी एक दम सही है डाक्टरी पेशे में कुछ लोग ऐसे अ गये है जो लाशो का व्यापार कर रहे है इतने पवित्र पेशे को पैसे की ह्बिश ने बदनाम कर दिया | रात बहुत हो चुकी थी सो हम सब लम्बी तान दिए | इन बातो को मैं सोचता रहा सत्य ही तो अमरेन्द्र बोल रहा है पहले के डाक्टर सिर्फ नब्ज देखकर दवा देते थे अब नये डाक्टर बिना जाँच के एक कदम नही चलते है |

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