Friday, December 8, 2017

काफी हाउस भाग दो 8-12-17

काफी हाउस भाग दो
ऐतिहासिक दिन
नियमित जाते रहे पूर्व प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर जी काफी हाउस
जन चेतना की आवाज रही काफी हाउस आभार
16 अगस्त 2011 हजरतगंज के जहागीराबाद बिल्डिंग में स्थित काफी हाउस के लिए एक ऐतिहासिक दिन था | उस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाने के नाम पर वे तमाम लोग आये जो पिछले चालीस व पचास सालो में काफी हाउस आते रहे है |
नवासी वर्ष के वरिष्ठ पत्रकार विध्यासागर से लेकर लखनऊ के तीन बार के मेयर डा दाउजी गुप्त , इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश हैदर अब्बास , वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह , अजय कुमार वरिष्ठ अर्थशास्त्री हिरनमय – धर साहित्यकारों में रविन्द्र वर्मा , वीरेन्द्र यादव वकील सिद्दीकी , रवि भट्ट वन्दना मिश्रा रंगकर्मी राकेश , सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश पन्त , जवाहर अग्रवाल , शैलेश अस्थाना , राजेश पाण्डेय , भोला बाबू कांग्रेस के नेता रामकुमार भार्गव , पूर्व मंत्री व कांग्रेस के नेता सत्यदेव त्रिपाठी , पत्रकार अशोक निगम आदि लोगो का जुटान हुआ आने वालो में वे लोग भी शामिल थे जो आज भी नियमित है जैसे लखनऊ विश्व विद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग के डा रमेश दीक्षित , सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष कपूर , कांग्रेस के अरुण प्रकाश आदि |
इस बैठक को सफल बनाने के लिए काफी हॉउस वर्कर्स सोसायटी की सचिव अरुणा सिंह ने काफी प्रयास किया था | आये हुए लोगो को उन तमाम विशिष्ठ लोगो की कमी खली जिनका पिछले पचास सालो में निधन हो गया था | काफी हाउस की इस ऐतिहासिक बैठक में लोगो ने काफी हाउस से जुडी अपनी यादे व संस्मरण रखे जो बड़े रोचक थे | तमाम लोगो ने बताया की इंकलाबी शायर मजाज कहाँ बैठते थे और पूर्व प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर जी काफी हाउस के किस कोने को रौनक करते थे | सबने वायदा भी किया की अब पहले की तरह काफी हाउस में में आना शुरू कर देंगे |
वरिष्ठ पत्रकार विद्यासागर इस बैठक से काफी उत्साहित दिखाई दे रहे थे | वे अकेले व्यक्ति थे जो पचास साल से नियमित काफी हाउस आते रहे | उन्होंने भी वायदा किया की वे भी समय – समय पर काफी हाउस आने का प्रयास करेंगे | 16 अगस्त की बैठक में आने लोग इतना भावुक हो गये की उनकी आँखे उन तमाम लोगो को खोज रही थी जो वर्षो पहले आते थे पर अब इस दुनिया में नही है | वे खासतौर से काफी हाउस के उन बेयरो को भी खोज रही थी जो सबके मित्र थे और काफी पिलाने के साथ पैसा न हो तो अपनी तरफ से उधार भी देते थे |
अब फिर से काफी हाउस आबाद हो गया है नई पीढ़ी के साथ पुराने लोगो ने भी आना शुरू कर दिया है | अभी कुछ दिन पहले लखनऊ विश्व विद्यालय की पूर्व कुलपति व सामाजिक कार्यकर्ता रुपरेखा वर्मा , वरिष्ठ साहित्यकार मुद्रा राक्षस तथा अन्य लोगो के साथ काफी हाउस में वार्ता करती दिखाई दी |
इसी तरह पूर्व मेयर दाउजी गुप्त के साथ सुभाष कपूर पत्रकार ताहिर अनूप श्रीवास्तव नियमित हो गये है | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी भी जब आना होता हो बता देते थे | डा रमेश दीक्षित के साथ कामरेड अतुल अनजान , अगर वो लखनऊ में होते तो साथ में बैठकी करते थे | अभी हाल में जब सुरेन्द्र राजपूत को उत्तर प्रदेश की काग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने काग्रेस की मीडिया प्रचार कमेटी का सदस्य नियुक्त किया तो उन्होंने तमाम मित्रो को खासतौर से वे जो रोज उनके साथ सिकन्दर बाग़ में सुबह की सैर करते है काफी हाउस में निमंत्रित किया | उस दिन आने वालो में के जी मेडिकल कालेज के डा नसीम जमाल , वरिष्ठ बन विभाग अधिकारी व शायर मो अहसन , पूर्व बैंक अफसर इकबाल हाईकोर्ट के वकील धुर्व कुमार जहाज के कप्तान आई ए खान और बाद में अरुण प्रकाश भी इस लेखक के साथ शामिल हुआ | सबने काफी पी व नसीम जमाल और मो अहसन से शायरी सुनी मिनी लोहिया के नाम से प्रसिद्द समाजवादी विचारधारा के पोषक और ओजस्वी वक्ता जनेश्वर मिश्रा जी जब लखनऊ आते थे तो सारा समय काफी हाउस में ही बीतता था | वरिष्ठ राजनेता व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया की उन्होंने और चन्द्रशेखर जी ने 1951 से बैठना शुरू कर दिया था |
एक बार लखनऊ प्रेस क्लब में भोजन के बाद चन्द्रशेखर जी जब लखनऊ में बिताये हुए दिनों को याद कर रहे थे तो उन्होंने मुझे बताया कि वे ए पी सेन रोड पे रहते थे और वहाँ से रिक्शे में काफी हाउस आते थे | हजरतगंज पैदल ही टहलते थे वरिष्ठ पत्रकार विद्यासागर ने , जो काफी हाउस में पांच दशको तक नियमित बैठते रहे बताया की चन्द्रशेखर जी की टेबिल तय थी और वे 11 बजे के करीब काफी हाउस आते थे और कई घंटे चर्चा में व्यस्त रहते थे |
चन्द्रशेखर जी के साथ काफी हाउस में नियमित बैठने वालो में वरिष्ठ पत्रकारों की टोली विद्यासागर बिष्ण कपूर लक्ष्मीकांत तिवारी एस एम् जफर रमेश पहलवान राजनितिक नेताओं में उनके परम मित्र श्री पद्माकर लाल ,हसन वकील ,राजा बक्शी स्वतंत्रता सेनानी व पुलिस के वरिष्ठ अफसर बलिया के पारसनाथ मिश्र जी भी थे | कार्टूनिस्ट राम उग्रह भी साथ बैठते थे | कुछ वर्षो पहले पूर्व प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर जी से तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह के घर पर मारीशस के प्रधानमन्त्री के सम्मान में आयोजित भोज में मेरी भेट हो गयी | चन्द्रशेखर जी के साथ वरिष्ठ पत्रकार प्रभास जोशी भी थे | चन्द्रशेखर जी ने उनसे कहा की अब प्रदीप मिल गये है तो लखनऊ काफी हाउस की खबर लेते है | वे विस्तार पूर्वक काफी हाउस के समाचार लेते रहे | उन्हें ख़ुशी हुई की उनका अपना पुराना अड्डा काफी हाउस जो काफी समय से बंद चल रहा था , फिर से आबाद हो गया है | उसके बाद लखनऊ आने पर चन्द्रशेखर जी अपने पुराने सहयोगी ओमप्रकाश श्रीवास्तव के साथ काफी हाउस गये | चन्द्रशेखर जी की आँखे जिन परचितो को ढूढ़ रही थी वे वहाँ नही मिले | इसके बाद चन्द्रशेखर जी वी आई पी गेस्ट हाउस चले गये | काफी हाउस में बैठे लोग व बेयरे भी पूर्व प्रधामंत्री को अचानक अपने बीच पाकर अचम्भित रह गये | कुछ घंटो के बाद जब मैं चन्द्रशेखर जी से मिला तो शिकायत भरे लहजे में कहा की तुम्हारी सुचना पर काफी हाउस गया पर कोई परचित नही मिला | उसके बाद नाम लेकर तमाम परचितो के बारे में पूछते रहे | जब वरिष्ठ पत्रकार विद्यासागर जी के बारे में बताया तो कहने लगे की शाम को उनके घर चला जाए |
विद्यासागर जी के घर चन्द्रशेखर जी काफी हाउस में बिठाये हुए दिनों और मित्रो की चर्चा करते रहे | चन्द्रशेखर जी ने बताया कि दिल्ली में भी वे ब्लिट्ज में जुड़े ए .राघवन व गिरीश माथुर के काका नगर कालोनी में स्थित आवास पर अक्सर जाते थे | ------ क्रमश: आभार प्रदीप कपूर

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-12-2017) को "प्यार नहीं व्यापार" (चर्चा अंक-2813) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अब तो टीम टॉम लेकर चलने वाले बड़े-बड़े होटलों वाले हो गए नेता लोग
    तब और अब में जमीं आसमाँ का अंतर आया है
    अच्छी प्रेरक प्रस्तुति

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