Thursday, August 23, 2018

किसानो के लिए आंतक का पर्याय बने छुट्टा पशु

किसानो के लिए आंतक का पर्याय बने छुट्टा पशु
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कृषि क्षेत्र सदियों से प्राकृतिक आपदा का शिकार बनता रहा है | कभी सुखा कभी अति वृष्टि कभी ओला व तूफानी हवाओं के साथ बाढ़ की त्रासदी का निवाला बनता रहा है | प्राकृतिक आपदाओं का भुक्त भोगी किसान भी इसे ईश्वरीय प्रकोप मानकर चुपचाप सहन करता आ रहा है | आधुनिक वैज्ञानिक व तकनिकी युग में इन प्राकृतिक प्रकोपों एवं उसके दुष्परिणामो को पूरी तरह से भले ही खत्म न किया जा सके पर उसको मद्धिम जरुर किया जा सकता है | उसके विनाशकारी परिणामो से कृषि व किसान को किसी हद तक सुरक्षा अवश्य प्रदान किया जा सकता है | विडम्बना है की देश के 70 साला आधुनिक विकास और पिछले 27 साल के बहुप्रचारित तीव्र आधुनिक तकनिकी विकास ने कृषि व किसान को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित करने का कोई गंभीर प्रयास नही किया गया | सुखा अकाल से कृषि को बचाने की वस्तुस्थिति यह है की अभी तक देश की कुल कृषि क्षेत्र का 50% से कम रकबा ही सिंचित रकबा माना जाता है |
इन प्राकृतिक आपदाओं से अलग वन्य एवं छुट्टा पशुओ की आपदा अब कृषि व किसान की एक नयी व बड़ी समस्या बनती जा रही है | यह प्राकृतिक आपदा की तरह कभी कभार घटने वाली आपदा नही है बल्कि 24 घंटे फसलो पर हमला बोलने वाली आपदा है | नील गाय , बन सूअर तथा छुट्टा सांड , बछडा , भैसा जैसे पशुओ का झुण्ड खेती को हर समय चरने और बर्बाद करने के लिए तैयार है | किसान अपनी तमाम चौकसी और रखवाली के बावजूद भी इनसे अपनी खेती की रक्षा नही कर पा रहा है | प्राकृतिक आपदाओं के चलते तो किसानो ने कभी खेती नही छोड़ी थी | इन आपदाओं से पूरी तरह बर्बाद खेती को पुन: बिना किसी डर भय के चालू रखा था | पर वन्य एवं छुट्टा पशुओ के आक्रमण अतिक्रमण ने किसानो को बुरी तरह से आतंकित कर दिया है | वह इन पशुओ के प्रकोप से सब्जी , दलहन आदि की खेती को छोड़ता या कम करता जा रहा है | अगर यही स्थिति रही तो आम किसान इन खेतियो को पूरी तरह छोड़ने पर मजबूर हो जाएगा |

क्या इन पशु आपदा को देश की केन्द्रीय व प्रांतीय सरकारे नही जानती ? खूब जान रही है , पर वे इस समस्या को अन्य कृषि समस्याओं - संकटों की तरह उपेक्षित करती रहती है | इसलिए वन्य पशुओ का फसलो पर आक्रमण दशको से , खासकर पिछले 30 - 35 सालो से लगातार बढ़ता जा रहा है | इन सालो में लगभग सभी प्रमुख पार्टियों की सरकारे केंद्र से लेकर प्रांत तक सत्तासीन होती रही है | लेकिन किसी ने उस पर कोई रोक लगाने का कारगर प्रयास नही किया | वन्य पशु सुरक्षा के अंतर्गत उन पशुओ को तो सुरक्षित करने का नारा प्रोग्राम दिया जाता रहा , लेकिन इस पशु आपदा से किसान और उसकी खेती को सुरक्षित करने का कोई गंभीर प्रयास आज तक नही किया गया |
इक्का - दुक्का छुट्टा सांड भैसा गाँवों में पहले भी रहा करते थे | जिन्हें गाँव वाले अपने गाँव की सिवान से बहार खदेड़ते रहते थे | लेकिन उसका आज जैसा झुण्ड पहले नही नजर आता था | भैसा तो आम तौर पर किसान मवेशी व्यापारियों को बेच देता था और बछड़े को बैल के रूप में कृषि कार्य के लिए रख लेता था , पर खेती के आधुनिकीकरण एवं मशीनीकरण ने बछड़ो को भी छुट्टा पशु बना दिया | इनकी संख्या घटाने हटाने की कोई सुनिश्चित व्यवस्था अभी तक नही बन पाई थी | उपर से गोवंश सरक्षण के नाम पर उन्हें छुट्टा पशु बने रहने और फसले चरने की सुरक्षा प्रदान कर दी गयी है |

वन्य जीवो तथा छुट्टा पशुओ से खेती की सुरक्षा की जगह इन पशुओ को मिलती रही सुरक्षा इस बात को उजागर करती है की अब सरकारे कृषि व किसान की सुरक्षा में काम करने वाली नही है | तब तक तो करने वाली नही ही है , जब तक उन पर किसानो का व्यापक दबाव न पड़े | इसी दबाव के लिए स्थानीय स्तर पर किसानो द्वारा वन्य एवं छुट्टा पशुओ से फसलो की सुरक्षा की मांग को बार बार उठाने , पशुओ द्वारा फसलो के नुक्सान की क्षति पूर्ति की मांग करने के साथ इन पशुओ को कृषि क्षेत्र से हटाने की मांग भी उठाने की आवश्यकता है | इन पशुओ को हटाने के लिए सरकार कोई रणनीति अपनाए पर किसान पर किसान को फसलो को चरने व् नष्ट करने की खुली छुट न दें | अन्यथा किसान अपने फसलो की सुरक्षा के लिए पशुओ सुरक्षा के निर्देशों की अवहेलना के लिए आज नही तो कल बाध्य होगा - यह पूरी जिम्मेदारी सरकारों की होगी |
सुनील दत्ता - स्वतंत्र पत्रकार समीक्षक

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-08-2018) को "सम्बन्धों के तार" (चर्चा अंक-3073) (चर्चा अंक-3059) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका आशीर्वाद बना रहे

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