कब्र के छ: फुट उपर की जिन्दगी
साम्राज्यवादी विश्व व्यवस्था में भिन्न राष्ट्रों के नागरिको के जीवन स्तर का यथार्थ इस खबर से स्पष्ट हो जाता है | खबर फिलिपाईन्स के मनिला शहर की है जहा 1904 में निर्मित 130 एकड़ के फैले हुए रोमन कैथलिक कब्रिस्तान में गरीबो की बस्ती बस गयी है | उस बस्ती के सभी लोग रबर शीट या गत्ता बिछाकर सोते है , कब्रों के उपर खाना बनाते है और वही बर्तन धुल लेते है | कुछ कब्र ऐसी भी है जहा कमरे भर की जगह है | यदि कब्रों के खानदान के मालिको की अनुमति मिल जाती है तो कुछ लोग उन जगहों का इस्तेमाल आवास के लिए भी कर लेते है , पास के कुवि से पानी ले लेते है और पौधों को पानी देने वाले शावर से नहा धो लेते है | उनकी सबसे बडो परेशानी यह है कि उन्हें यह सब काम खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है जहा निजता और गोपनीयता का सर्वथा आभाव होता है | कुछ महिलाये तो ऐसी भी है जो अपने पति के कब्र के उपर ही सोती है | आश्चर्य की बात यह है कि मुर्दों की कब्रों पर जिदा लोगो की कालोनी बसी हुई है जिसमे नवजात बच्चे भी उन्ही कब्रों पर सोते है | वाह के निवासी शिफ्टो में काम करते है | बड़े परिवार वाले लोग अस्थायी घरो में बारी - बारी विश्राम करते है तथा बच्चे पास के स्कुलो में पढ़ते है | इन कब्रों के अधिकतम निवासी कब्रिस्तान के कब्रों की देखभाल करते है और शव पेटिका ढोते है | वर्ष में एक दिन '' आल सोल्स डे '' का वे सब बेसब्री से इन्तजार करते है क्योकि उस दिन मृतको के परिवार वालो से उन्हें कुछ रकम मिल जाती है और भरपेट भोजन मिल जाता है | यह दिन इन लोगो के लिए क्रिसमस के त्यौहार जैसा होता है
साम्राज्यवादी विश्व व्यवस्था में भिन्न राष्ट्रों के नागरिको के जीवन स्तर का यथार्थ इस खबर से स्पष्ट हो जाता है | खबर फिलिपाईन्स के मनिला शहर की है जहा 1904 में निर्मित 130 एकड़ के फैले हुए रोमन कैथलिक कब्रिस्तान में गरीबो की बस्ती बस गयी है | उस बस्ती के सभी लोग रबर शीट या गत्ता बिछाकर सोते है , कब्रों के उपर खाना बनाते है और वही बर्तन धुल लेते है | कुछ कब्र ऐसी भी है जहा कमरे भर की जगह है | यदि कब्रों के खानदान के मालिको की अनुमति मिल जाती है तो कुछ लोग उन जगहों का इस्तेमाल आवास के लिए भी कर लेते है , पास के कुवि से पानी ले लेते है और पौधों को पानी देने वाले शावर से नहा धो लेते है | उनकी सबसे बडो परेशानी यह है कि उन्हें यह सब काम खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है जहा निजता और गोपनीयता का सर्वथा आभाव होता है | कुछ महिलाये तो ऐसी भी है जो अपने पति के कब्र के उपर ही सोती है | आश्चर्य की बात यह है कि मुर्दों की कब्रों पर जिदा लोगो की कालोनी बसी हुई है जिसमे नवजात बच्चे भी उन्ही कब्रों पर सोते है | वाह के निवासी शिफ्टो में काम करते है | बड़े परिवार वाले लोग अस्थायी घरो में बारी - बारी विश्राम करते है तथा बच्चे पास के स्कुलो में पढ़ते है | इन कब्रों के अधिकतम निवासी कब्रिस्तान के कब्रों की देखभाल करते है और शव पेटिका ढोते है | वर्ष में एक दिन '' आल सोल्स डे '' का वे सब बेसब्री से इन्तजार करते है क्योकि उस दिन मृतको के परिवार वालो से उन्हें कुछ रकम मिल जाती है और भरपेट भोजन मिल जाता है | यह दिन इन लोगो के लिए क्रिसमस के त्यौहार जैसा होता है
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