प्रधान मंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कूड़ा निस्तारण की समस्या
वाराणसी के रमना में कूड़ा डम्पिंग आस पास के गावों के एक लाख लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है .यह स्थान बी एच यू से मात्र 3 किलोमीटर , संत रविदास मंदिर से 1 किलोमीटर और गंगा तट से 300 मीटर की दूरी पर है. बाढ़ का डूब क्षेत्र होने के कारण यहाँ बाढ़ के दिनों में 8-14 फीट तक पानी आ जाता है , ऐसे में कूड़ा बह कर आगे गांवों और रहायशी इलाकों तक पहुच जाता है तथा बाढ़ घटने पर वापस यही कूड़ा गंगा में भी मिलता है.
वल्लभाचार्य पाण्डेय
सामाजिक कार्यकर्त्ता
साझा संस्कृति मंच , वाराणसी
91-9415256848
वाराणसी के रमना में कूड़ा डम्पिंग आस पास के गावों के एक लाख लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है .यह स्थान बी एच यू से मात्र 3 किलोमीटर , संत रविदास मंदिर से 1 किलोमीटर और गंगा तट से 300 मीटर की दूरी पर है. बाढ़ का डूब क्षेत्र होने के कारण यहाँ बाढ़ के दिनों में 8-14 फीट तक पानी आ जाता है , ऐसे में कूड़ा बह कर आगे गांवों और रहायशी इलाकों तक पहुच जाता है तथा बाढ़ घटने पर वापस यही कूड़ा गंगा में भी मिलता है.
2007
में उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अंतर्गत
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रमना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिगृहीत
भूमि का आज कूड़ा डंपिंग के लिए प्रयोग किया जा रहा है, जबकि भूमि अधिग्रहण
कानून की व्यवस्था के ताहत अधिग्रहीत भूमि का उसी कार्य के लिए प्रयोग
किया जाना चाहिए जिस कार्य के लिए उसका अधिग्रहण किया गया हो,
सवाल यह है कि जब सीवेज ट्रीट मेंट प्लांट स्थापित नही हुआ तो भूमि का
हस्तांतरण कूड़ा डंपिंग के लिए नगरनिगम को कब किया गया , क्या इसके लिए
स्थानीय और प्रभावित होने वाले लोगों से सहमति ली गयी थी.
रमना
के बड़े भूभाग में कई फीट ऊँचे कूड़े की पटान हो चुकी है , निकलने वाली
मीथेन गैस में स्थान स्थान पर लगी आग से दुर्गन्ध युक्त धुवाँ और गैस
निकल कर आसप आपस के लोगों पर दुष्प्रभाव छोड़ रही है, पशु पक्षी, खेती,
बाग़ बगीचे सब प्रभावित हैं , लेकिन कोई पुरसाहाल नही है . कूड़े की ढेर पर
गायें और अन्य पशु पोलिथीन खा रहे है कभी कभार कूड़े की आग में फस जाने से
उनकी मौत भी हो जा रही है, कूड़े से वस्तुएं बीनने वाले बच्चे भी इसी
माहौल में अपनी आजीविका के लिए जान जोखिम में डाले इस स्थान पर दिखाई देते
हैं . पोलिथीन उड़ उड़ कर आस पास में लोगो की छतों पर इकठ्ठा हो जाती है.
स्थानीय लोगों के अनुसार इलाके में सांस, हृदय और त्वचा सम्बन्धी रोगी बढ़े
हैं.
शहर के इतने समीप कूड़ा डम्पिंग करना और दुष्प्रभाव को कम करने का कोई वैज्ञानिक तरीका न अपनाया जाना अंत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.
वाराणसी
में पर्यावरण की प्रति सचेत कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ
संस्थाओं और संगठनों के साथ मिल कर शहर की कूड़े की स्थिति पर एक
डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है जिसमे सभी पहलू
को लेने की कोशिश की जायेगी. इस प्रयास में आई आई टी बी एच यू के मालवीय
उद्यमिता संवर्धन केंद्र , साझा संस्कृति मंच, केयर फॉर एयर अभियान आदि
सदस्य शामिल हैं.
सामाजिक कार्यकर्त्ता
साझा संस्कृति मंच , वाराणसी
91-9415256848
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