हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए- --- जयशंकर गुप्त
शार्प रिपोर्टर मिडिया समग्र मंथन के दूसरे दिन लोकतंत्र , ''साहित्य और हमारा समय '' विषय पे लोकबन्धु के सम्पादक समाजवादी चिन्तक जयशंकर गुप्त जी ने अपने बात दुष्यंत के इन लाइनों ने हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगीशर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए शुरुआत करते हुए कहा किइस आजमगढ़ की धरती का बहुत कर्ज है मुझ पर मैं इस कर्ज को उतार नही पाउँगा मैंने डंके की चोट पर कहता हूँ मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वही बात आपको सुनाता हूँ , आप सबको याद दिलाना चाहता हूँ आज से चार साल पहले माननीय मोदी जी ने कहा था कि राजनीति का अपराधीकरण खत्म करूंगा पर आज संसद में ३६% अपराधी संसद में बैठे जिनके खिलाफ अपराधिक मुकदमे चल रहे है , लेकिन हमारे प्रधानमन्त्री जी को संसद में कोई अपराधी नजर नही आ रहा है इन चार सालो में एक भी अपराधी जिसकी सदस्यता रद्द की गयी क्या ? मुझे तो ऐसा नजर नही आया मैं चुनौती के साथ कहता हूँ आज के समय में कोई स्वंय की चर्चा करता है क्या कभी न्यायपालिका के लोग स्वंय का आत्म मूल्याकन करते है अध्यापक वर्ग स्वंय कभी चिंतन करता है पुलिस कभी स्वंय आत्म मंथन करती है अपने लिए वह क्या कर रही है ? लेकिन पत्रकार आज भी स्वंय के लिए आत्म मंथन करता है तभी यह लोकतंत्र बचा हैउन्होंने आगे कहा कि यही इस देश की ताकत है हम अपना आत्म अवलोकन करना जानते है | क्या मजाक है देश की संसद में बजट का दुसरा सत्र चला ही नही और सब काम सम्पन्न हो गया सरकार यही चाहती है जो कानून अस्तित्व में नही है वो कानून पास हो गया विडम्बना है हमारे देश में लोकतंत्र मजाक बनकर रह गया है यह हाल है हमारे संसद का आज न्यायपालिका का हाल देख ले , यही नही आज जो स्थिति बन रही है यह लोग पूरी मीडिया को अपने कंट्रोल में लेना चाहते है यह जो बोले बीएस मिडिया भी यही बोले लेकिन वो लोग यह भूल रहे है यह देश क्रांतिवीरो का रहा है और आज भी अपनी लेखनी से सच कहने वाले बगावत करते रहेंगे | आज क्या हो रहा है जो सच बोल रहा है या तो उसकी हत्या कर दी जा रही है या तो उसे खरीदने की कोशिश हो रही है | इसी क्रम को आगे बढाते हुए भडास मीडिया के सम्पादक यशवंत सिंह ने कहा दुनिया में इस तकनीक ने बड़ा काम किया है इसी तकनीक का ही कमाल है दुनिया के बड़े - बड़े घोटाले खोलने का पनामा पेपर हो या अन्य घोटाले अंतरराष्ट्रीय रिश्ते डिजिटल मीडिया ने ही बनाये यशवंत सिंह ने कहा अब युद्ध का तरीका बदल गया है अगर आपको लड़ना है तो डिजिटल से युद्ध लादे हमारे स्वंय की आवाज पर कौन प्रतिबंद्ध लगा सकता है हम अपने विचारों को सोशल मीडिया ब्लोग्स के जरिये लड़ेंगे प्रशांत राजा ने कहा कि आज हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है पहले क्या अखबार के मालिकान पहले से बड़े थे नही जब से उन्होंने अपनी नैतिकता बेचीं वो बड़े अमीरों में अ गये आज दैनिक जागरण , भाष्कर , हिन्दुस्तान अन्य बड़े अखबार वो मूल रूप से शुध्ह व्यापार कर रहे हो वो पत्रकारिता नही कर रहे है पर इसी मिडिया से उम्मीद भी है इनमे आज भी बहुत से साथी बहादुरी से पत्रकारिता को उसके आयाम को जिन्दा रखे हुए है | ''आजतक '' के रामकिंकर सिंह ने कहा आज सुन्च्नाओ का दौर ज्यादा है परम्परागत मीडिया सूचनाओं को फ़िल्टर करे जो सुचना आप तक पहुच रही है यह निर्णय तो आपको लेना होंगा उन सूचनाओं पर , देश के लोकतंत्र में बड़ी ताकत है अगर मिडिया इतना ही गलत होता तो देश की जनता आपसे प्रश्नों की बौछार कर देती यह सच है मिडिया बिकी है पर इन्ही में से कुछ लोग ज़िंदा है जब तक मिडिया समग्र मंथन जैसे कार्यक्रम होते रहेंगे तब तक सच माने पत्रकारिता का मानक जिन्दा रहेगा | इसी क्रम को आगे बढाते हुए अखिलेश अखिल ने कहा अगर पत्रकारिता में मिशन नही तो पत्रकारिता नही हो सकती जिसमे पत्रकार के पास मिशन नही , निष्पक्ष नही निडरता नही वो मात्र दलाल हो सकता है वो पत्रकार हो ही नही सकता |अनामी शरण ने कहा कि आज हर आदमी मोबाइल्ची बन गया है पूरा समाज इस नशे का आदि बन गया है यह चाल पूंजीपतियों का है हमारे समाज को नपुंसक बनाने का जब हम चिंतन नही करेंगे तब हम विरोध कैसे करेंगे इसी लिए आम समाज को ऐसे नशे की आदत दाल दो जिसमे चिंतन ही न हो ताकि आम आदमी सत्ता शासन से सवाल ही न करे ,उन्होंने आगे कहा कि संघर्ष छोटे - छोटे शहरों से ही शुरू होता है अब यह युद्ध इसी आजमगढ़ से मिडिया समग्र मथन के द्वारा शुरू हो चूका है मुझे पूरा भरोसा है यह आगे चलकर एक नये आन्दोलन का इतिहास बनेगा |
कार्यक्रम में प्रो ओमप्रकाश ,प्रो ऋषभदेव शर्मा , अतुल मोहन समदर्शी अमर उजाला लखनऊ क्रान्तिकारी अधिवक्ता दीनपाल राय आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किये |
शार्प रिपोर्टर द्वारा साहित्य , गजल व पत्रकारिता के क्षेत्र में दस लोगो को अवार्ड से नवाजा गया | डा योगेन्द्र नाथ शर्मा ( राहुल सांस्कृत्यायन साहित्य सम्मान ) गिरीश पंकज ( मुखराम सिंह स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) जयशंकर गुप्त ( गुन्जेश्वरी प्रसाद स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) प्रो देवराज (भगवत शरण उपाध्याय स्मृति साहित्य सम्मान ) प्रो ऋषभदेव शर्मा ( विवेकी राय साहित्य सम्मान ) पुण्य प्रसून बाजपेयी ( सुरेन्द्र प्रताप सिंह टी .वी पत्रकारिता सम्मान ) यशवंत सिंह ( विजय शंकर वाजपेयी स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) विजय नारायण जी ( शार्प रिपोर्टर लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड ) सतीश रघुवंशी ( शार्प रिपोर्टर युवा पत्रकार सम्मान ) डा मधुर नजमी ( अल्लामा शिब्ली नोमानी स्मृति अदबी अवार्ड ) से समानित किया गया |
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगीशर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए शुरुआत करते हुए कहा किइस आजमगढ़ की धरती का बहुत कर्ज है मुझ पर मैं इस कर्ज को उतार नही पाउँगा मैंने डंके की चोट पर कहता हूँ मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वही बात आपको सुनाता हूँ , आप सबको याद दिलाना चाहता हूँ आज से चार साल पहले माननीय मोदी जी ने कहा था कि राजनीति का अपराधीकरण खत्म करूंगा पर आज संसद में ३६% अपराधी संसद में बैठे जिनके खिलाफ अपराधिक मुकदमे चल रहे है , लेकिन हमारे प्रधानमन्त्री जी को संसद में कोई अपराधी नजर नही आ रहा है इन चार सालो में एक भी अपराधी जिसकी सदस्यता रद्द की गयी क्या ? मुझे तो ऐसा नजर नही आया मैं चुनौती के साथ कहता हूँ आज के समय में कोई स्वंय की चर्चा करता है क्या कभी न्यायपालिका के लोग स्वंय का आत्म मूल्याकन करते है अध्यापक वर्ग स्वंय कभी चिंतन करता है पुलिस कभी स्वंय आत्म मंथन करती है अपने लिए वह क्या कर रही है ? लेकिन पत्रकार आज भी स्वंय के लिए आत्म मंथन करता है तभी यह लोकतंत्र बचा हैउन्होंने आगे कहा कि यही इस देश की ताकत है हम अपना आत्म अवलोकन करना जानते है | क्या मजाक है देश की संसद में बजट का दुसरा सत्र चला ही नही और सब काम सम्पन्न हो गया सरकार यही चाहती है जो कानून अस्तित्व में नही है वो कानून पास हो गया विडम्बना है हमारे देश में लोकतंत्र मजाक बनकर रह गया है यह हाल है हमारे संसद का आज न्यायपालिका का हाल देख ले , यही नही आज जो स्थिति बन रही है यह लोग पूरी मीडिया को अपने कंट्रोल में लेना चाहते है यह जो बोले बीएस मिडिया भी यही बोले लेकिन वो लोग यह भूल रहे है यह देश क्रांतिवीरो का रहा है और आज भी अपनी लेखनी से सच कहने वाले बगावत करते रहेंगे | आज क्या हो रहा है जो सच बोल रहा है या तो उसकी हत्या कर दी जा रही है या तो उसे खरीदने की कोशिश हो रही है | इसी क्रम को आगे बढाते हुए भडास मीडिया के सम्पादक यशवंत सिंह ने कहा दुनिया में इस तकनीक ने बड़ा काम किया है इसी तकनीक का ही कमाल है दुनिया के बड़े - बड़े घोटाले खोलने का पनामा पेपर हो या अन्य घोटाले अंतरराष्ट्रीय रिश्ते डिजिटल मीडिया ने ही बनाये यशवंत सिंह ने कहा अब युद्ध का तरीका बदल गया है अगर आपको लड़ना है तो डिजिटल से युद्ध लादे हमारे स्वंय की आवाज पर कौन प्रतिबंद्ध लगा सकता है हम अपने विचारों को सोशल मीडिया ब्लोग्स के जरिये लड़ेंगे प्रशांत राजा ने कहा कि आज हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है पहले क्या अखबार के मालिकान पहले से बड़े थे नही जब से उन्होंने अपनी नैतिकता बेचीं वो बड़े अमीरों में अ गये आज दैनिक जागरण , भाष्कर , हिन्दुस्तान अन्य बड़े अखबार वो मूल रूप से शुध्ह व्यापार कर रहे हो वो पत्रकारिता नही कर रहे है पर इसी मिडिया से उम्मीद भी है इनमे आज भी बहुत से साथी बहादुरी से पत्रकारिता को उसके आयाम को जिन्दा रखे हुए है | ''आजतक '' के रामकिंकर सिंह ने कहा आज सुन्च्नाओ का दौर ज्यादा है परम्परागत मीडिया सूचनाओं को फ़िल्टर करे जो सुचना आप तक पहुच रही है यह निर्णय तो आपको लेना होंगा उन सूचनाओं पर , देश के लोकतंत्र में बड़ी ताकत है अगर मिडिया इतना ही गलत होता तो देश की जनता आपसे प्रश्नों की बौछार कर देती यह सच है मिडिया बिकी है पर इन्ही में से कुछ लोग ज़िंदा है जब तक मिडिया समग्र मंथन जैसे कार्यक्रम होते रहेंगे तब तक सच माने पत्रकारिता का मानक जिन्दा रहेगा | इसी क्रम को आगे बढाते हुए अखिलेश अखिल ने कहा अगर पत्रकारिता में मिशन नही तो पत्रकारिता नही हो सकती जिसमे पत्रकार के पास मिशन नही , निष्पक्ष नही निडरता नही वो मात्र दलाल हो सकता है वो पत्रकार हो ही नही सकता |अनामी शरण ने कहा कि आज हर आदमी मोबाइल्ची बन गया है पूरा समाज इस नशे का आदि बन गया है यह चाल पूंजीपतियों का है हमारे समाज को नपुंसक बनाने का जब हम चिंतन नही करेंगे तब हम विरोध कैसे करेंगे इसी लिए आम समाज को ऐसे नशे की आदत दाल दो जिसमे चिंतन ही न हो ताकि आम आदमी सत्ता शासन से सवाल ही न करे ,उन्होंने आगे कहा कि संघर्ष छोटे - छोटे शहरों से ही शुरू होता है अब यह युद्ध इसी आजमगढ़ से मिडिया समग्र मथन के द्वारा शुरू हो चूका है मुझे पूरा भरोसा है यह आगे चलकर एक नये आन्दोलन का इतिहास बनेगा |
कार्यक्रम में प्रो ओमप्रकाश ,प्रो ऋषभदेव शर्मा , अतुल मोहन समदर्शी अमर उजाला लखनऊ क्रान्तिकारी अधिवक्ता दीनपाल राय आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किये |
शार्प रिपोर्टर द्वारा साहित्य , गजल व पत्रकारिता के क्षेत्र में दस लोगो को अवार्ड से नवाजा गया | डा योगेन्द्र नाथ शर्मा ( राहुल सांस्कृत्यायन साहित्य सम्मान ) गिरीश पंकज ( मुखराम सिंह स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) जयशंकर गुप्त ( गुन्जेश्वरी प्रसाद स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) प्रो देवराज (भगवत शरण उपाध्याय स्मृति साहित्य सम्मान ) प्रो ऋषभदेव शर्मा ( विवेकी राय साहित्य सम्मान ) पुण्य प्रसून बाजपेयी ( सुरेन्द्र प्रताप सिंह टी .वी पत्रकारिता सम्मान ) यशवंत सिंह ( विजय शंकर वाजपेयी स्मृति पत्रकारिता सम्मान ) विजय नारायण जी ( शार्प रिपोर्टर लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड ) सतीश रघुवंशी ( शार्प रिपोर्टर युवा पत्रकार सम्मान ) डा मधुर नजमी ( अल्लामा शिब्ली नोमानी स्मृति अदबी अवार्ड ) से समानित किया गया |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-04-2017) को "डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती" (चर्चा अंक-2940) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी आपका
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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