Wednesday, February 4, 2015

संत रैदास --- 5-2-15

संत रैदास ---






रैदास के गुरु है रामानन्द जैसे अदभुत व्यक्ति और रैदास की शिष्या है मीरा जैसी अदभुत नारे | इन दोनों के बीच में रैदास की चमक अनूठी है |


रैदास कबीर के गुरुभाई है  | रैदास और कबीर दोनों एक ही संत के शिष्य है | रामानन्द गंगोत्री है जिनसे कबीर और रैदास की धाराए बही है ......... भारत का आकाश संतो के सितारों से भरा है | अनंत - अनंत सितारे है , यद्दपि ज्योति सबकी एक है | संत रैदास उन सब सितारों में ध्रुवतारा  है -- इसीलिए कि शुद्र के घर में पैदा होकर भी काशी के पंडितो को भी मजबूर कर दिया स्वीकार करने को | महावीर का उल्लेख्य नही किया ब्राह्मणों  ने अपने शास्त्रों में | बुद्द की जड़े काट डाली | बुद्द के विचार को उखाड़ फेंका | लेकिन रैदास में कुछ बात है कि रैदास को नही उखाड़ सके और रैदास को स्वीकार भी करना पडा | ब्राह्मणों के द्वारा लिखी गयी संतो की स्मृतियों में रैदास सदा स्मरण किये गये | चमार के घर में पैदा होकर भी ब्राह्मणों ने स्वीकार किया वह भी काशी के ब्राह्मणों ने ! बात कुछ अनेरी है , अनूठी है |


रैदास में कुछ रस है , कुछ सुगंध है जो मदहोश कर दे | रैदास से बहती है कोई शराब , कि जिसने पी वही डोला | और रैदास अड्डा जमा कर बैठ गये थे काशी में , जहा कि सबसे कम संभावना है ; जहा का पंडित पाषाण हो चुका है | सदियों का पांडित्य व्यक्तियों के हृदय को मार  डालता है , उनकी आत्मा को जड़ कर देता है | रैदास वहा  खिले , फूले | रैदास ने वहा हजारो भक्त इकठ्ठा कर लिया | और छोटे - मोटे भक्त नही , मीरा जैसी अनुभूति को उपलब्ध महिला ने भी रैदास को गुरु माना | मीरा ने कहा है : गुरु मिल्या रैदास जी ! कि मुझे गुरु मिल गये रैदास | भटकती फिरती थी ; बहुतो में तलाश था लेकिन रैदास को देखा कि झुक गयी | चमार के सामने राज रानी झुके तो बात कुछ रही होगी | वह कमल कुछ अनूठा रहा होगा ! बिना झुके न रहा जा सका होगा | रैदास कबीर के गुरु भाई है | रैदास और कबीर दोनों एक ही संत के शिष्य है | रामानन्द गंगोत्री है जिनसे कबीर और रैदास की धारा बही है | रैदास के गुरु है रामानन्द जैसे अदभुत व्यक्ति और रैदास की शिष्या है अदभुत नारी | इन दोनों के बीच में रैदास की चमक अनूठी है |

रामानन्द को लोग भूल ही गये होंगे अगर रैदास और कबीर न होते | रैदास और कबीर के कारण रामानन्द याद किये जाते है | जैसे फल से वृक्ष पहचाने है वैसे शिष्यों से गुरु पहचाने जाते है | रैदास का अगर एक भी वचन न बचता और सिर्फ मीरा का यह कथन बचता , गुरु मिल्या रैदास जी , तो काफी था | कयोकी जिसको मीरा गुरु कहे , वह कुछ ऐसे - वैसे को गुरु न कह देगी | जब तक परमात्मा बिलकुल साकार न हुआ हो तब तक मीरा किसी को गुरु न खे देगी | कबीर को भी मीरा ने गुरु नही कहा है | रैदास को गुरु कहा | इसीलिए रैदास को मैं कहता हूँ , वे भारत के संतो से भरे आकाश  में ध्रुवतारा है | ----  ओशो

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