चालीस में पांच नदिया शुद्द है भारत की
भारतीय संस्कृति का विकास नदियों के किनारों से हुआ है नदिया हमारी आस्थाओं का केंद्र है तो यह हमारे जीवन से जुडी है , कुछ स्थानों पे आज भी यह सिचाई का साधन है तो भारत के मल्लाहो की जीवन दायिनी है पूरे देश में गंगा , यमुना नदियों के प्रदुषण की चर्चा आये दिन होता रहता है इसके लिए देश के प्रधानमन्त्री से लेकर अन्य लोग सर फोड़ते है लेकिन एक ताजा अध्ययन बताता है कि देश की तमाम नदिया प्रदुषण की चपेट है | केन्द्रीय प्रदुषण बोर्ड
( सी पी सी बी ) ने देश की चालीस नदियों की प्रदुषण जांच कर दावा किया है कि सिर्फ दक्षिण भारत की चार एवं असम की एक नदी ही स्वच्छता के मानको में खरी उतरी है | बाकी 35 नदिया बुरी तरह से प्रदुषण की चपेट में है | इनमे सतलुज से लेकर साबरमती , तुंगभद्रा और दमनगंगा तक शामिल है |
सी पी सी बी ने2005 से लेकर 2013 तक के आकड़ो को आधार बनाया है | इस अवधि में 40 नदियों की 83 स्थानों पर निगरानी की जिसमे चार मानको का ध्यान रखा गया |
एक बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड ( बी ओ डी ) दूसरा , डिजाल्व आक्सीजन ( डी ओ ) तीसरा , टोटल कोलीफार्म ( टी सी ) तथा चौथा मानक टोटल डिजाल्व सॉलिड ( टी डी एस ) | मुल्त: बी ओ डी पानी में आक्सीजन को इस्तेमाल करने वाले तत्वों को दर्शाता है | जबकि डी ओ कुल आक्सीजन की मात्रा को | टी सी कुल बैक्टीरिया की उपस्थिति और टी डी एस पानी में मौजूद ठोस तत्वों को दर्शाता है | पानी में बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा - विभिन्न स्थानों की जांच में पाया गया है कि पानी की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब इसमें कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी से हुई है | सिर्फ 11 फीसदी स्थानों पर ही कोलीफार्म बैक्टीरिया मानको के अनुरूप मिले |
बाकी जगहों पर यह तय मानक से ज्यादा थे | नियमो के तहत 100 मिलीलीटर पानी में इस बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नही होनी चाहिए | लेकिन अधिकतम संख्या यमुना के कई स्थानों पर 17 करोड़ तक पाई गयी है | इसी प्रकार 51 नमूनों में बी ओ डी की मात्रा ज्यादा पाई गयी जबकि 57 स्थानों पर डी ओ की अधिकता के कारण पानी की गुणवत्ता खराब निकली | इसी प्रकार 39 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता टी डी एस के कारण खराब थी | प्रति लीटर पानी में डी ओ 5 मिग्रा एवं बी ओ डी 3 मिग्रा प्रति लीटर या इससे ज्यादा होना चाहिए | जबकि टी डी एस की मात्रा 500 एम् जी से ज्यादा होनी चाहिए | सर्वेक्षण के दौरान सिर्फ पांच नदिया ही ऐसी निकली जिनका पानी मानक के अनुसार है और वही नदिया पूरे भारत में स्वच्छ है |
भारतीय संस्कृति का विकास नदियों के किनारों से हुआ है नदिया हमारी आस्थाओं का केंद्र है तो यह हमारे जीवन से जुडी है , कुछ स्थानों पे आज भी यह सिचाई का साधन है तो भारत के मल्लाहो की जीवन दायिनी है पूरे देश में गंगा , यमुना नदियों के प्रदुषण की चर्चा आये दिन होता रहता है इसके लिए देश के प्रधानमन्त्री से लेकर अन्य लोग सर फोड़ते है लेकिन एक ताजा अध्ययन बताता है कि देश की तमाम नदिया प्रदुषण की चपेट है | केन्द्रीय प्रदुषण बोर्ड
( सी पी सी बी ) ने देश की चालीस नदियों की प्रदुषण जांच कर दावा किया है कि सिर्फ दक्षिण भारत की चार एवं असम की एक नदी ही स्वच्छता के मानको में खरी उतरी है | बाकी 35 नदिया बुरी तरह से प्रदुषण की चपेट में है | इनमे सतलुज से लेकर साबरमती , तुंगभद्रा और दमनगंगा तक शामिल है |
सी पी सी बी ने2005 से लेकर 2013 तक के आकड़ो को आधार बनाया है | इस अवधि में 40 नदियों की 83 स्थानों पर निगरानी की जिसमे चार मानको का ध्यान रखा गया |
एक बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड ( बी ओ डी ) दूसरा , डिजाल्व आक्सीजन ( डी ओ ) तीसरा , टोटल कोलीफार्म ( टी सी ) तथा चौथा मानक टोटल डिजाल्व सॉलिड ( टी डी एस ) | मुल्त: बी ओ डी पानी में आक्सीजन को इस्तेमाल करने वाले तत्वों को दर्शाता है | जबकि डी ओ कुल आक्सीजन की मात्रा को | टी सी कुल बैक्टीरिया की उपस्थिति और टी डी एस पानी में मौजूद ठोस तत्वों को दर्शाता है | पानी में बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा - विभिन्न स्थानों की जांच में पाया गया है कि पानी की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब इसमें कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी से हुई है | सिर्फ 11 फीसदी स्थानों पर ही कोलीफार्म बैक्टीरिया मानको के अनुरूप मिले |
बाकी जगहों पर यह तय मानक से ज्यादा थे | नियमो के तहत 100 मिलीलीटर पानी में इस बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नही होनी चाहिए | लेकिन अधिकतम संख्या यमुना के कई स्थानों पर 17 करोड़ तक पाई गयी है | इसी प्रकार 51 नमूनों में बी ओ डी की मात्रा ज्यादा पाई गयी जबकि 57 स्थानों पर डी ओ की अधिकता के कारण पानी की गुणवत्ता खराब निकली | इसी प्रकार 39 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता टी डी एस के कारण खराब थी | प्रति लीटर पानी में डी ओ 5 मिग्रा एवं बी ओ डी 3 मिग्रा प्रति लीटर या इससे ज्यादा होना चाहिए | जबकि टी डी एस की मात्रा 500 एम् जी से ज्यादा होनी चाहिए | सर्वेक्षण के दौरान सिर्फ पांच नदिया ही ऐसी निकली जिनका पानी मानक के अनुसार है और वही नदिया पूरे भारत में स्वच्छ है |
No comments:
Post a Comment