बड़ा कमाल
एक सनकी राजा था | एक बार वह अपने वजीर से किसी बात पर नाराज हो गया और उसे जेल की ऊँची मीनार में कैद कर दिया | वजीर के लिए बस बचने की एक ही सम्भावना थी कि वह किसी तरह उस गगनचुम्बी मीनार के ऊपरी तल पर बनी खिड़की के रस्ते बाहर निकले | उस वजीर को जब कैद करके मीनार की तरफ ले जाया जा रहा था , तो लोगो ने देखा कि वह जरा भी चिंतित व दुखी नही है , बल्कि सदा की भाँती आनन्दित और प्रसन्न है | उसकी पत्नी ने रोते हुए उसे विदा दी और पूछा -- ' तुम्हे राजा ने कैद करने का हुकम दिया है , ' फिर भी तुम प्रसंन्न हो ? यह सुनकर वजीर बोला -- ' इसमें दुखी होने की क्या बात है ? यह कैद तो बस कुछ दिनों की है | यदि तुम मेरा साथ दो तो , मैं चुटकियो में यहाँ से बाहर निकल सकता हूँ | '' इस पर पत्नी बोली -- हाँ - हाँ बताओ , मैं तुम्हारी किस प्रकार मदद कर सकती हूँ ? तब वजीर ने उससे कहा -- रेशम का एक अत्यंत पतला सूत भी मेरे पास पहुचाया जा सकता , तो मैं स्वतंत्रत हो जाउंगा | ' उसकी पत्नी ने बहुत सोचा , लेकिन उस ऊँची मीनार पर रेशम का पतला सूत पहुचाने का कोई उपाए उसकी समझ में नही आया | तभी उसे एक फकीर मिला | फकीर ने उससे कहा -- ' भृग नाम के कीड़े को पकड़ो और उसके पैर में रेशम के धागे को बाँध दो और उसको मुछो पर शहद की एक बूंद रखकर उसे मीनार पर चोटी की ओर छोड़ दो | उसी रात को यह उपाए किया गया | वह कीड़ा सामने मधु की गंध पाकर उसे पाने के लोभ में धीर - धीरे उपर चढने लगा | उसने अंतत: एक लम्बी यात्रा पूरी कर ली और उसके साथ रेशम का एक छोर मीनार पर बंद उस वजीर कैदी के हाथ में पहुच गया | उस रेशम के पतले धागे के सहारे ही उसकी मुक्ति की राह खुली क्योकि उससे फिर सूत के धागे से डोरी पहुच गयी और फिर डोरी से मोटा रस्सा पहुँच गया और रस्से के सहारे वह मीनार से निकलकर बाहर आ गया | यह कथा बताती है कि यदि युक्ति से काम लिया जाए तो छोटी - छोटी चीजो के सहारे भी
बड़ा कमाल किया जा सकता है |
एक सनकी राजा था | एक बार वह अपने वजीर से किसी बात पर नाराज हो गया और उसे जेल की ऊँची मीनार में कैद कर दिया | वजीर के लिए बस बचने की एक ही सम्भावना थी कि वह किसी तरह उस गगनचुम्बी मीनार के ऊपरी तल पर बनी खिड़की के रस्ते बाहर निकले | उस वजीर को जब कैद करके मीनार की तरफ ले जाया जा रहा था , तो लोगो ने देखा कि वह जरा भी चिंतित व दुखी नही है , बल्कि सदा की भाँती आनन्दित और प्रसन्न है | उसकी पत्नी ने रोते हुए उसे विदा दी और पूछा -- ' तुम्हे राजा ने कैद करने का हुकम दिया है , ' फिर भी तुम प्रसंन्न हो ? यह सुनकर वजीर बोला -- ' इसमें दुखी होने की क्या बात है ? यह कैद तो बस कुछ दिनों की है | यदि तुम मेरा साथ दो तो , मैं चुटकियो में यहाँ से बाहर निकल सकता हूँ | '' इस पर पत्नी बोली -- हाँ - हाँ बताओ , मैं तुम्हारी किस प्रकार मदद कर सकती हूँ ? तब वजीर ने उससे कहा -- रेशम का एक अत्यंत पतला सूत भी मेरे पास पहुचाया जा सकता , तो मैं स्वतंत्रत हो जाउंगा | ' उसकी पत्नी ने बहुत सोचा , लेकिन उस ऊँची मीनार पर रेशम का पतला सूत पहुचाने का कोई उपाए उसकी समझ में नही आया | तभी उसे एक फकीर मिला | फकीर ने उससे कहा -- ' भृग नाम के कीड़े को पकड़ो और उसके पैर में रेशम के धागे को बाँध दो और उसको मुछो पर शहद की एक बूंद रखकर उसे मीनार पर चोटी की ओर छोड़ दो | उसी रात को यह उपाए किया गया | वह कीड़ा सामने मधु की गंध पाकर उसे पाने के लोभ में धीर - धीरे उपर चढने लगा | उसने अंतत: एक लम्बी यात्रा पूरी कर ली और उसके साथ रेशम का एक छोर मीनार पर बंद उस वजीर कैदी के हाथ में पहुच गया | उस रेशम के पतले धागे के सहारे ही उसकी मुक्ति की राह खुली क्योकि उससे फिर सूत के धागे से डोरी पहुच गयी और फिर डोरी से मोटा रस्सा पहुँच गया और रस्से के सहारे वह मीनार से निकलकर बाहर आ गया | यह कथा बताती है कि यदि युक्ति से काम लिया जाए तो छोटी - छोटी चीजो के सहारे भी
बड़ा कमाल किया जा सकता है |
बहुत ही सुंदर रचना। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
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