दृढशक्ति --------------
डोमनपूरा गाँव में रहने वाले दो छोटे बालक सुभाष व अनिल आपस में गहरे मित्र थे | एक रोज वे सुबह - सुबह अकेले बाहर खेलने निकल गये | वे खेलने में इतने मस्त थे कि उन्हें पता ही नही चला कि वे भागते - भागते कब एक सुनसान जगह पर पहुच गये | उस जगह एक पुराना कुआँ था | उनमे से अनिल भागते हुए गलती से उस कुए में जा गिरा | कुए में गिरते ही वह जोर - जोर से बचाओ - बचाओ की आवाज लगानी शुरू की सुभाष भी मदद के लिए आवाज निकालने लगा पर उस सुनसान जगह पर उन दोनों की आवाज सुनने वाला कोई नही था | इस वजह से उन्हें कोई मदद नही मिल पा रही थी | तभी कुए के पास खड़े सुभाष की नजर पास रखी बाल्टी और रस्सी पर पड़ी | उसने तुरंत वह रस्सी उठायी और उसका एक सिरा वह गड़े एक पत्थर से कास कर बांधा और दूसरा सिरा नीचे कुए में फेंक दिया | कुए में गिर अनिल ने रस्सी का सिरा पकड़कर अपनी कमर में लपेट लिया | अब सुभाष अपनी पूरी ताकत लगा कर आखिर कार अनिल को उपर खीच ले आया और अनिल की जन बचाने में सफल रहा | जब गाँव में जाकर उन दोनों ने यह बात बताई तो किसी ने भी उन पर यकीन नही किया | एक आदमी बोला -- ' तुम एक बाल्टी पानी तो कुए से निकल नही सकते , इसको कैसे बहार खीचा होगा ! तुम झूठ बोल रहे हो | ' इस पर एक बुजुर्ग ने उसकी बात काटते हुए कहा -- सुभाष और अनिल सच बोल रहे है हमे इनकी बात पर यकीन करना चाहिए | सुभाष इसलिए अनिल को निकाल पाया क्योकि इसके पास कोई दूसरा रास्ता नही था इसके अलावा वह इसे यह कहने वाला भी नही था कि ' तुम ऐसा नही कर सकते ' | कहानी का निष्कर्ष यही है कि जिन्दगी में सफलता पाने के लिए हमे ऐसे लोगो की बातो पर ध्यान नही देना चाहिए , जो कहते है कि ' तुम इसे नही कर सकते | ' दुनिया में अधिकतर लोग इसलिए सफल नही हो पाते क्योकि वे ऐसे लोगो की बातो में आ जाते है जो न खुद कामयाब होते है और न इस बात में यकीन करते है कि दुसरे कामयाब हो सकते है | इसलिए अपने दिल की सुने | आप सब कुछ कर सकते है , जो आप करना चाहते है | स्वंय पर संशय करना छोड़े व सफलता की ओर बढ़े |
डोमनपूरा गाँव में रहने वाले दो छोटे बालक सुभाष व अनिल आपस में गहरे मित्र थे | एक रोज वे सुबह - सुबह अकेले बाहर खेलने निकल गये | वे खेलने में इतने मस्त थे कि उन्हें पता ही नही चला कि वे भागते - भागते कब एक सुनसान जगह पर पहुच गये | उस जगह एक पुराना कुआँ था | उनमे से अनिल भागते हुए गलती से उस कुए में जा गिरा | कुए में गिरते ही वह जोर - जोर से बचाओ - बचाओ की आवाज लगानी शुरू की सुभाष भी मदद के लिए आवाज निकालने लगा पर उस सुनसान जगह पर उन दोनों की आवाज सुनने वाला कोई नही था | इस वजह से उन्हें कोई मदद नही मिल पा रही थी | तभी कुए के पास खड़े सुभाष की नजर पास रखी बाल्टी और रस्सी पर पड़ी | उसने तुरंत वह रस्सी उठायी और उसका एक सिरा वह गड़े एक पत्थर से कास कर बांधा और दूसरा सिरा नीचे कुए में फेंक दिया | कुए में गिर अनिल ने रस्सी का सिरा पकड़कर अपनी कमर में लपेट लिया | अब सुभाष अपनी पूरी ताकत लगा कर आखिर कार अनिल को उपर खीच ले आया और अनिल की जन बचाने में सफल रहा | जब गाँव में जाकर उन दोनों ने यह बात बताई तो किसी ने भी उन पर यकीन नही किया | एक आदमी बोला -- ' तुम एक बाल्टी पानी तो कुए से निकल नही सकते , इसको कैसे बहार खीचा होगा ! तुम झूठ बोल रहे हो | ' इस पर एक बुजुर्ग ने उसकी बात काटते हुए कहा -- सुभाष और अनिल सच बोल रहे है हमे इनकी बात पर यकीन करना चाहिए | सुभाष इसलिए अनिल को निकाल पाया क्योकि इसके पास कोई दूसरा रास्ता नही था इसके अलावा वह इसे यह कहने वाला भी नही था कि ' तुम ऐसा नही कर सकते ' | कहानी का निष्कर्ष यही है कि जिन्दगी में सफलता पाने के लिए हमे ऐसे लोगो की बातो पर ध्यान नही देना चाहिए , जो कहते है कि ' तुम इसे नही कर सकते | ' दुनिया में अधिकतर लोग इसलिए सफल नही हो पाते क्योकि वे ऐसे लोगो की बातो में आ जाते है जो न खुद कामयाब होते है और न इस बात में यकीन करते है कि दुसरे कामयाब हो सकते है | इसलिए अपने दिल की सुने | आप सब कुछ कर सकते है , जो आप करना चाहते है | स्वंय पर संशय करना छोड़े व सफलता की ओर बढ़े |
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