लहू बोलता भी हैं -- सैय्यद शाहनवाज कादरी
12 वी रेजिमेंट के सिपाही रंगी खान को 4 जून 1857 को होम्स ने फांसी पर लटका दिया | 23 जुलाई 1857 की शाम से चम्पारण जिले के सुगौली में घुड़सवार पलटन ने बगावत शुरू कर दिया | बागी सैनिको के साथ मेजर होम्स ने चूँकि बहुत जुल्म किये थे , इसलिए घुड़सवार रेजिमेंट के सिपाहियों ने होम्स को ठिकाने लगाने के लिए कसम खा ली थी | 23 जुलाई शाम को जब मेजर होम्स अपनी बीबी दी नासेल और दोस्त डा गार्नर्र के अलावा डाक्टर के लड़के और पोस्टमास्टर विनीट के साथ अपने घर पर चाय पी रहे थे , तभी बागी सिपाहियों ने अचानक हमला करके सभी अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया | वहां मौजूद लोगो में सिर्फ होम्स की बेटी ही बच पायी थी | इस हमले में होम्स की बीबी उनके लड़के डा गार्नर और उनके लड़के के आलावा विनीट भी मारा गया | बागी सैनिक होंम्स का सर काटकर अपने साथ ले गये | होम्स और गार्नर के कत्ल के बाद अंग्रेज अफसर बौखला गये और बागी सैनिको को अलावा उनके घर खानदान और मददगारो को ठिकाने लगाने की तैयारी शुरू कर दिया
अंग्रेज अफसरों ने आसपास के अपने मददगार जमींदारों और राजाओं से मदद लेकर अपने घरवालो की कड़ी हिफाजत का बन्दोबस्त किया | सच तो यह है कि होम्स और गार्नर के कत्ल के बाद अंग्रेज डर गये थे और अपना डर छुपाने के लिए पुरे जिले में जानबूझकर आतंक फैला रहे थे | सरकार ने 30 जुलाई 1857 को पटना शाहाबाद , सारण , चम्पारण और तिरहुत में माशर्ल ला लगा दिया |
मेजर होम्स सहित दुसरे सभी अंग्रेज के कत्ल और विद्रोह के लिए घुड़सवार बटालियन को मुजरिम माना गया | कत्ल के बाद चले केस में समद खान नजीबुल्लाह ताम्बे खान , सूबेदार खान और दूसरी बटालियन कालपी के दुलाल खान की पहचान कर ली गयी | मगर इन सभी का ट्रायल होना ताल दिया गया | बाद में 27 अगस्त 1857 को मुरादाबाद के कमिश्नर जो स्पेशल मजिस्ट्रेट की ड्यूटी में थे के सामने ट्रायल हुआ और घुड़सवार बटालियन के इन पांच बागियों को फांसी पर लटका दिया गया |
प्रस्तुती - सुनील दत्ता - स्वतंत्र पत्रकार - समीक्षक
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