Wednesday, January 24, 2018

कारोबारी लाभ सर्वोपरी 24-1-18

कारोबारी लाभ सर्वोपरी
भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव - विरोध के वावजूद दोनों देशो में बढ़ता कारोबार वस्तुत: कारोबारियों की सर्वोच्चता को ही साबित करता है |


भारत पाकिस्तान के बीच रिश्तो के निरंतर खराब होने की खबर हमेशा बनी रहती है | कभी आपसी वार्ताए चल रही होती है तो कभी महीनों के लिए बंद कर दिया जाता है | कभी सांस्कृतिक आदान - प्रदान को बढावा देने के साथ एक दुसरे के बीच यातायात एवं खेल आदि को बढ़ावा दिया जाता है , तो कभी उन्हें आंशिक या पूर्ण रूप से निलम्बित कर दिया जाता है | इसके साथ ही आपसी सम्बन्धो को लेकर दो परस्पर विरोधी प्रक्रियाए हमेशा चलती रहती है | पहली प्रक्रिया तो दोनों राष्ट्रों को परस्पर विरोधी और कटु प्रतिद्द्वन्द्दी बताने के रूप में चलती रहती है . और दूसरी प्रक्रिया , भारत -- पाक के बीच आयात - निर्यात को कमोवेश बढाते रहने के रूप में चलती रहती है |
इन दोनों प्रक्रियाओं में जहां पहली प्रक्रिया दोनों देशो के विरोध को बढाने - भडकाने की प्रक्रिया है , वही दूसरी प्रक्रिया एक दुसरे के साथ कारोबारी सहयोग करने बढाने की ठोस आर्थिक प्रक्रिया है | अगर विरोध ही इन अभिव्यक्तो से दोनों राष्ट्रों के जनसाधारण तक में एक दुसरे के प्रति विरोध - राष्ट्रीय विरोध के साथ - साथ धार्मिक एवं साम्प्रदायिक विरोध बढ़ता रहा है तो दूसरी और दोनों देशो के उच्च कारोबारी वर्गो में एकजुटता भी बढ़ता रहा है | अगर एक दुसरे के विरोध के लिए उनमे आत्नब्क्वाद कश्मीर समस्या जैसे मुद्दे उनके केन्द्रीय या प्रमुख मुद्दे रहे है , तो कारोबारी एक जुटता में भारत पाक के आयात - निर्यात से लेकर यहाँ और वहाँ की अध्योगिक एवं व्यापारिक कम्पनियों के लाभ -- मुनाफे तथा उनके बाजार का विस्तार , उनका केन्द्रीय मुद्दा बना रहा है |
वर्तमान समय में ये दोनों प्रक्रियाए तेजी पर है | एक तरफ सीमा पार के भीतर आतंकी घुसपैठ से लेकर इस देश और उस देश के रक्षा सैनिक हताहत हो रहे है , तो दूसरी तरफ दोनों देशो के बीच बढ़ते कारोबार से इनमे लगी कम्पनियों के लाभ - मुनाफे बढ़ रहे है | दोनों देशो के कारोबारी फलते - फूलते रहे है | हाँ यह जरुर है की इसमें जहाँ आतंकी घुस्पैठो हमलो और उन पर भारतीय सैनिको की कार्यवाइयो तथा सीमा के इधर - उधर की सिने झड़पो के प्रचारों एवं चर्चाओं को आम समाज में बताया सुनाया जाता रहा है , वही एक दुसरे के साथ बढ़ते कारोबार की सूचनाये आमतौर पर जाहिर नही की जाती | इनकी सूचनाये कभी कभार ही आती है | 15 अप्रैल 2017 के समाचार पत्रों में भारत - पाक के बीच द्दिपक्षीय कारोबार की ऐसी सुचना महीनों बाद प्रकाशित हुई है | इन सुचना के अनुसार भारत - पाक के बीच द्दीपक्षीय कारोबार बढ़कर124.4. करोड़ डालर पहुच गया है | इसमें पकिस्तान से भारत को निर्यात होने वाला निर्यात 28.6 करोड़ डालर रहा है जबकि भारत से पकिस्तान को होने वाला निर्यात95.83 करोड़ डालर का रहा है | जाहिर है की द्दीपक्षीय व्यापार में भारतीय निर्यातक पाकिस्तानी निर्यातको के मुकाबले ज्यादा लाभ में रहे है | हालाकि पिछले साल 2016 -17 में पाकिस्तान से भारत को होने वाले निर्यात में 14% की वृद्धि हुई है , जबकि भारत से पकिस्तान को होने वाले निर्यात में 23% की कमी आई है | अर्थात पकिस्तान के निर्यातक पहले से ज्यादा लाभ में रहे है | लेकिन असली प्रश्न इन दोनों देशो के कारोबारियों के कम या ज्यादा लाभ का नही बल्कि आपसी तनावों के बढ़ते रहने के वावजूद कारोबार एवं कारोबारी सम्बन्धो के बढ़ने का है | बताने की जरूरत नही है की कारोबारियों के बीच बढ़ते सम्बन्ध और उनके कारोबारी लाभ दोनों देशो की सरकारों वर्तमान ही नही पूर्वर्ती सरकारों द्वारा दिए जाने वाले अधिकारों तथा छुटो सहायताओ के साथ चलते बढ़ते रहे है | साफ़ बात है की सरकारों द्वारा इन कारोबारी सम्बन्धो को दोनों राष्ट्रों के कुटनीतिक , सांस्कृतिक सम्बन्धो से भी उपर रखने का कम किया जाता रहा है |
कारोबार और कारोबारी लाभ की इसी सर्वोच्चता का ही परिलक्षण है की इस देश ने सालो पहले से व्यापार के लिए पाकिस्तान को सर्वोच्च अनुकूल देशो की श्रीनि में दाल रखा है | पाकिस्तान ने भारत को ऐसी श्रीनि में तो नही डाला है , मगर भारत से व्यापार को बढाता रहा है | कारोबार में इस दो तरफा वृद्धि के पीछे यहाँ - वहाँ के कारोबारियों द्वारा किसी राष्ट्रीय एवं राजनितिक , सामाजिक एकजुटता को बढाने का उद्देश्य बिलकुल नही है |
उनका उद्देश्य तो अपने कारोबारी लाभ को बढ़ाना ही है | इसीलिए उनके बीच बढ़ते कारोबारी सम्बन्धो एवं लाभों से दोनों देशो के बीच तनाव - विवाद कम करने में भी कोई मदद नही मिलती | लेकिन उनके बीच व्यापारिक प्र्तिद्दन्द्ददिता बढने के साथ उनके बीच आपसी कारोबारी विवादों का असर दोनों देशो के बीच तनाव बढाने के लिए जरुर होता रहा है | यह पहले भी होता रहा है और आगे भी होगा | इसे भली भाँती जानते हुए भी सरकारे आपसी कुनितिक स्वं सामाजिक सम्बन्धो को उपेक्षित करते और खराब करते हुए हुए भी कारोबारी सम्बन्ध एवं लाभ को प्रमुखता देने में लगी रहती है | इसीलिए ये कारोबारी हिस्से दोनों देशो के बीच तनाव - विवादों के समाधान का कोई प्रयास नही करते | उल्टे वे उन्हें ज़िंदा रखते है ताकि कल को उठने वाले कारोबारी विवादों के लिए भी वे उनका इस्तेमाल कर सके |

4 comments:

  1. nice lines, looking to convert your line in book format publish with HIndi Book Publisher India

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (25-01-2018) को "कुछ सवाल बस सवाल होते हैं" (चर्चा अंक-2859) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. उत्कृष्ट व प्रशंसनीय प्रस्तुति.......
    मेरे ब्लाग पर आपके वचारो का इन्तजार

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  4. उत्कृष्ट व प्रशंसनीय प्रस्तुति.......
    मेरे ब्लाग पर आपके विचारो का इन्तजार

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