Friday, October 30, 2015

क्षमाशील 30-=10-15

क्षमाशील
अक्सर मैं अपनी माँ की गोद में सर रखकर उनसे कहानिया सूना करता था एक दिन उन्होंने मुझे यह कहानी सुनाई थी आज सोचा आप लोगो को साझा करूं
एक गाँव के जमीदार ने अपने यहाँ दस खूखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे |
यदि वह किसी से नाराज हो जाए ओ उसे अपने इन्ही जंगली कुत्तो के आगे फिकवा देता था और वे उसकी बोटी - बोटी नोचकर उसे ठिकाने लगा देते | इसी वजह से गाँव के जमीदार का काफी खौफ था |
एक बार कुछ ऐसा हुआ कि जमीदार के एक पुराने विश्वासपात्र नौकर से कोई गलती हो गयी | इससे क्रोध में आकर जमीदार ने उसे उन शिकारी जंगली कुत्तो के आगे फिकवाने का आदेश दे डाला | नौकर बुद्दिमान व चतुर था | वह जमीदार के इस फरमान को सुन तनिक भी विचलित नही हुआ और विनम्र स्वर में बोला -- ' हुजुर आपका हुक्म सर - आखो पर | पर मैं दंड भुगतने से पहले दस दिन की मोहलत चाहता हूँ | ' जमीदार ने उसकी बात मान ली | दस दिन बाद जमीदार के अन्य सेवक उस नौकर को लेकर आये और खूंखार कुत्तो के आगे फेक दिए परन्तु घोर आश्चर्य ! कुते उस नौकर पाकर झपटने के बजाए उसके साथ किलोल करने लगे और पूछ हिलाते हुए उसके आगे पीछे घुमने लग | यह देखकर जमीदार समेत वहा मौजूद तमाम लोगो को बेहद आश्चर्य हुआ | जमीदार ने उस नौकर को अपने पास बुलाया और पूछा ' आखिर ये कुत्ते तुम्हे काटने के बजाए तुम्हारे साथ खेल कैसे रहे है ? ये क्या माजरा है ? मुझे सच - सच बताओ | ' हुजुर , मैंने आपसे जो दस दिन की मोहलत ली थी , उसका एक - एक पल इन बेजुबानो की सेवा में लगा दिया " मैं रोज इन कुतो को नहलाता , खाना खिलाता व हर तरह से उनका ख्याल रखता | ये जंगली कुत्ते खूंखार होने के वावजूद मेरी दस दिनों की सेवा को नही भुला पा रहे है , परन्तु खेद है कि आप मेरी दस वर्षो की स्वामिभक्ति भूल गये और मेरी छोटी सी गलती पर इतनी बड़ी सजा सूना दी | ' यह सुनकर जमीदार को अपनी भूल का एहसास हुआ , उसने नौकर को सजा से मुक्त कर दिया | कई बार हम किसी की बरसों की अच्छाई को उसके एक पल की बुराई के आगे भुला देते है | यह कहानी हमे

होना सिखाती है और बताती है कि हम किसी की हजार अच्छाइयो को उसकी एक बुराई के सामने छोटा न होने दे |

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