नौजवानों के नाम
शहीदे - आजम भगत सिंह का संदेश पुस्तक से
अदालत एक ढकोसला है ;
छह साथियो का एलान
कमिश्नर ट्रिब्यूनल
लाहौर साजिश केस , लाहौर
जनाब ,
अपने छह साथियो की ओर से , जिनमे कि मैं भी शामिल हूँ , निम्नलिखित स्पष्टीकरण इस सुनावी के शुरू में ही देना आवश्यक है | हम चाहते है कि यह दर्ज किया जाए |
हम मुकदमे की कार्यवाही में किसी भी प्रकार भाग नही लेना चाहते , क्योकि हम इस सरकार को न तो न्याय पर आधारित समझते है और न ही कानूनी तौर पर स्थापित | हम अपने विश्वास से यह घोषणा करते है कि ''समस्त शक्ति का आधार मनुष्य है | कोई व्यक्ति या सरकार किसी भी ऐसी शक्ति की हकदार नही है जो जनता ने उसको न दी हो |'' क्योकि यह सरकार इन सिद्धांतो के विपरीत है इसलिए इसका अस्तित्व ही उचित नही है | ऐसी सरकारे जो राष्ट्रों को लुटने के लिए एकजुट हो जाती है उनमे तलवार की शक्ति के अलावा कोई आधार कायम रहने के लिए नही होता | इसीलिए वे वहशी ताकत के साथ मुक्ति और आजादी के विचार और लोगो की उचित इच्छाओं को कुचलती है |
हमारा विश्वास है कि ऐसी सरकारे , विशेषकर अंग्रेजी सरकार जो असहाय और असहमत भारतीय राष्ट्र पर थोपी गयी है , गुंडों , डाकुओ का गिरोह और लुटेरो का टोला है जिसने कत्लेआम करने और लोगो को विस्थापित करने के लिए सब प्रकार की शकतिया जुटाई हुई है | शान्ति व्यवस्था के नाम पर यह अपने विरोधियो या रहस्य खोलनेवाले को कुचल देती है |
हमारा यह भी विश्वास है कि साम्राज्यवाद एक बड़ी डाकेजनी की साजिश के अलावा कुछ नही | साम्राज्यवाद मनुष्य के हाथो मनुष्य के और राष्ट्र के हाथो राष्ट्र के शोषण का चरम है | साम्राज्यवादी अपने हितो , और लुटने की योजनाओं को पूरा करने के लिए न सिर्फ न्यायालयों एवं कानून को कतल करते है , बल्कि भयंकर हत्याकांड भी आयोजित करते है | अपने शोषण को पूरा करने के लिए जंग - जैसे खौफनाक अपराध भी करते है | जहां कही लोग उनकी नादिरशाही शोषणकारी माँगो को स्वीकार न करे या चुपचाप उनकी ध्वस्त कर देने वाली और घृणा योग्य साजिशो को मानने से इनकार कर दे तो वह निरपराधियो का खून बहाने से संकोच नही करते | शान्ति - व्यवस्था की आड़ में वे शान्ति - व्यवस्था भंग करते है | भगदड़ मचाते हुए लोगो की हत्या , अर्थात हर सम्भव दमन करते है |
हम मानते है कि स्वतंत्रता प्रत्येक मनुष्य का अमिट अधिकार है | हर मनुष्य को अपने श्रम का फल पाने - जैसा सभी प्रकार का अधिकार है और प्रत्येक राष्ट्र अपने मुल्भुँत प्राकृतिक ससाधनो का पूर्ण स्वामी है | अगर कोई सरकार जनता को उसके मुल्भुँत अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का केवल यह अधिकार ही नही बल्कि आवश्यक कर्तव्य भी बन जाता है कि ऐसी सरकार को समाप्त कर दे | क्योकि ब्रिटिश सरकार इन सिद्धांतो , जिनके लिए हम लड़ रहे है , के बिलकुल विपरीत है , इसीलिए हमारा दृढ विश्वास है कि जिस भी ढंग से देश में क्रान्ति लायी जा सके और इस सरकार का पूरी तरह खात्मा किया जा सके , इसके लिए हर प्रयास और अपनाए गये सभी ढंग नैतिक स्टारआर उचित है | हम वर्तमान ढाँचे के सामाजिक , आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रो में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के पक्ष में है | हम वर्तमान समाज को पुरे तौर पर एक नये सुगठित समाज में बदलना चाहते है | इस तरह मनुष्य के हाथो मनुष्य का शोषण असम्भव बनाकर सभी के लिए सब क्षेत्रो में पूरी स्वतंत्रता विश्वसनीय बनाई जाए | जब तक सारा सामाजिक ढांचा बदला नही जाता और उसके स्थान पर समाजवादी समाज स्थापित नही होता , हम महसूस करते है कि सारी दुनिया एक तबाह कर देने वाले प्रलय - संकट में है |
जहां तक शांतिपूर्ण या अन्य तरीको से क्रांतिकारी आदर्शो की स्थापना का सम्बन्ध है , हम घोषणा करते है कि इसका चुनाव तत्कालीन शासको की मर्जी पर निर्भर है | क्रांतिकारी अपने मानवीय प्यार के गुणों के कारण मानवता के पुजारी है | हम शाश्वत और वास्तविक शान्ति चाहते है , जिसका आधार न्याय और समानता है | हम झूठी और दिखावटी शान्ति के समर्थक नही जो बुजदिली से पैदा होती है और भालो और बन्दूको के सहारे जीवित रहती है | क्रांतिकारी अगर बम और पिस्तौल का सहारा लेता है तो यह उसकी चरम आवश्यकता से पैदा होता है और आखरी दांव के तौर पर होता है | हमारा विश्वास है कि अमन और कानून मनुष्य के लिए है , न कि मनुष्य अमन और कानून के लिए |
फ्रांस के उच्च न्यायाधीश का यह कहना उचित है कि कानून की आंतरिक भावना स्वतंत्रता समाप्त करना या प्रतिबन्ध लगाना नही , वरन स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना और उसे आगे बढ़ाना है | सरकार को कानूनी शक्ति बनाये गये उन उचित कानूनों से मिलेगी जो केवल सामूहिक हितो के लिए बनाये गये है , और जो जनता की इच्छाओं पर आधारित हो , जिनके लिए यह बनाये गये है | इससे विधायको समेत कोई भी बहार नही हो सकता |
कानून की पवित्रता तक रखी जा सकती है जब तक वह जनता के दिल यानी भावनाओं को प्रकट करता है | जब यह शोषणकारी समूह के हाथो में एक पुर्जा बन जाता है तब अपनी पवित्रता और महत्व को खो बैठता है | न्याय प्रदान करने के लिए मूल बात यह है कि हर तरह के लाभ या हित का खात्मा होना चाहिए | ज्यो ही कानून सामजिक आवश्यकताओ को पूरा करना बंद कर देता है त्यों ही जुल्म और अन्याय को बढाने का हथियार बन जाता है | ऐसे कानून को जारी रखना सामूहिक हितो पर विशेष हितो की दम्भपूर्ण जबरदस्ती के सिवाए कुछ नही है | वर्तमान सरकार के कानून विदेशी शासन के हितो के लिए चलते है और हम लोगो के हितो के विपरीत है | इसलिए इनकी हमारे उपर किसी भी प्रकार की सदाचारिता लागू नही होती |
अत: हर भारतीय की यह जिम्मेदारी बनती है कि इन कानूनों को चुनौती दे और इनका उल्घं करे | अंग्रेज न्यायालय , जो शोषण के पुर्जे है , न्याय नही दे सकते | विशेषकर राजनैतिक क्षेत्रो में , जहां सरकार और लोगो के हितो का टकराव है | हम जानते है कि ये न्यायालय सिवाए न्याय के ढकोसले के है और कुछ नही है
इन्ही कारणों से हम इसमें भागीदारी करने से इनकार करते है और इस मुकदमे की कार्यवाही में भाग नही लेंगे |
5-5-30
जज ने यह नोट किया - यह रिकार्ड में तो रखा जाए लेकिन इसको कापी न दी जाए , क्योकि इसमें कुछ अनचाही बाते लिखी है |
प्रस्तुती सुनील दत्ता -- स्वतंत्रत पत्रकार - समीक्षक
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-02-2017) को "महामृत्युंजय मंत्र की व्याख्या" (चर्चा अंक-2880) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
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