Thursday, June 27, 2019

पंचम दा आज जन्मदिन है

पंचम दा आज जन्मदिन है


मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ठिकाना मुझे चलते जाना है |

आपकी आँखों में कुछ महके हुए से राज है
आपसे भी खुबसूरत आपके अंदाज है |

याद है बारिशो के दिन थे वो पंचम और पहाड़ी के नीचे वादी में धुंध से झाककर निकलती हुई रेल की पटरिया गुजरती थी | धुंध में ऐसे लग रहे थे हम जैसे दो पौधे पास बैठे हो हम बहुत देर पटरियों बैठे हुए उस मुसाफिर का जिक्र करते रहे जिसको आना था पिछली सब लेकिन उसकी आमद का वक्त ढलता रहा | हम बहुत देर पटरियों पर बैठे हुए ट्रेन का इन्तजार करते रहे ट्रेन आई उसका वक्त हुआ और हम यू ही दो कदम चलकर धुंध पर पाँव रखकर गुम हो गये | मैं अकेला हूँ अन्त में -------- |
मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ठिकाना मुझे चलते जाना है |
याद है मेरा पहला गाना तुम्हारे साथ कहा था नीचे चलो तुम्हे गाना सुनाता हूँ और तुम सुबह तक तुम गाडी चलाते रहे और कैसेट पर तुम गाना सुनते रहे | पंचम में एक बहुत बड़ा मासूम सा बच्चा था | जो तुम्हारे अन्दर तुम्हारे मिजाज में जीता था उसको हमने कभी उदास नही देखा | पंचम तुम्हारे साथ सीरियसली गाना लिखना बहुत मुश्किल था तब तुमने कहा था की तुम बन्द बोतल की तरह क्यों सीरियस हो | क्या पता था पंचम तुम चुप हो जाओगे और मैं तुम्हारी आवाज को ढूढता फिरूंगा |


ऐसे गीतों के रचना शिल्पी राहुल देव बर्मन का आज जन्म दिन है |
राहुल अपने आप में एक विलक्ष्ण प्रतिभा थे | 27 जून 1939 में एक ऐसे प्रख्यात संगीतकार सचिन देव बर्मन और माँ मेरे देव के पुत्र के रूप में जन्म लिया | माँ मीरा देव खुद एक अच्छी संगीत साधिका थी | राहुल को बचपन से ही उनकी माँ ने विरासत में संगीत सृजन दिया |
राहुल के पिता सचिन देव बर्मन बहुत बड़े संगीतकार थे | एक दिन अशोक कुमार एस . डी . बर्मन से मिलने उनके घर गये | इस दौरान एस . डी . बर्मन ने अशोक कुमार को संगीत के पांच सुर "" सा रे गा माँ पा ' गाकर सुनाया , जिसके बाद अशोक कुमार ने उनका नाम पंचम रख दिया पंचम दा ने महज नौ वर्ष की उम्र में अपनी पहली धुन बनाई जिसको सुनकर सचिन देव ने उन्हें संगीत शिक्षा दी बर्मन पंचम दा की पूरी शिक्षा कलकत्ता में हुई और इनके पिता ने संगीत शिक्षा के लिए इनको उस्ताद अली अकबर खा से सरोद सिखाया इसके बाद इन्होने समता प्रसाद से तबला सिखा सचिन देव बर्मन चाहते थे की कि पंचम दा संगीत के सारे वाद्य यंत्रो को बजाना सीखे पंचम दा ने अनेको गुरुओ से वाद्य यंत्र बजाना सिखा | पंचम दा संगीत की दुनिया में अपना गुरु सलिल चौधरी को मानते थे | इनके बनाये धुनों को सचिन देव बर्मन ने कागज के फूल और चलती का नाम गाडी में इस्तेमाल किया | सन 1961 में महमूद साहब छोटे नबाब बना रहे थे उस वक्त वो सचिन देव बर्मन को अपने फिल्म में संगीतकार चाहते थे पर वो खाली नही थे उस वक्त राहुल देव बर्मन को उन्होंने अपनी फिल्म छोटे नबाब में लिया और राहुल के संगीत ने उस वक्त फ़िल्मी दुनिया में उस फिल्म से अपना अलग स्थान बना लिया | छोटे नबाब के गीतों ने "" इलाही को सुन ली '' आज हुआ दिल मेरा मतवाला '' की गीतों को जो संगीत दिया उससे पूरी फिल्म जगत में पंचम दा अपने को एक संगीतकार के रूप में स्थापित कर लिए उसके बाद निर्माता नासिर हुसैन की फिल्म '' तीसरी मंजिल '' के सुपरहिट गाने '' आजा आजा मैं हूँ प्यार तेरा '' और ओ हसीना जुल्फों वाली '' जैसी सदाबहार गीतों के जरिये पंचम दा बतौर संगीतकार शोहरत की बुलंदियों को छूने लगे | '' मैं शायर बदनाम मैं चला मैं चला पंचम दा ने भुत बंगला फिल्म में अभिनय भी किया है |राहुल देव बर्मन ने राजेश खन्ना के फिल्मो में जादू भरी संगीत और किशोर कुमार की आवाज का जो प्रयोग किया उससे राजेश खन्ना की फिल्मे हिट होने लगी और राजेश खन्ना सुपरस्टार हो गये |

यह कहना गलत होगा की पंचम दा ने सिर्फ किशोर कुमार के लिए ही सगीत दिया उन्होंने रफ़ी साहब के लिए भी बहुत ही शानदार संगीत से गीतों को सजाया है | पंचम दा एक प्रयोगधर्मी संगीतकार थे उन्होंने अपने संगीत में पूरब और पश्चिम के संगीत का मिश्रण करके नई धुनें बनाई | हालाकि इसके लिए उनकी आलोचना बहुत हुई | उनकी ऐसी धुनों के लिए एक आवाज की तलाश थी यह आवाज उन्हें पाशर्व गायिका आशा भोसले में मिली | लम्बी अवधि तक एक दुसरे का गीत संगीत में साथ निभाते रहे |
राहुल देव बर्मन की पहली शादी रीमा पटेल से हुई थी पर वो जल्दी ही तलाक में बदल गयी | इसके बाद पंचम दा ने आशा भोसले से जीवन भर का नाता जोड़ लिया | संगीत निर्देशन के अलावा पंचम दा कई फिल्मो के लिए अपनी आवाज दी है | आर डी बर्मन ने अपने चार धसक से भी ज्यादा लम्बे फ़िल्मी कैरियर में लगभग तीन सौ से ज्यादा फिल्मो में संगीत दिया है | हिंदी फिल्मो के साथ ही बँगला , तेलगु , तमिल , उडिया ,और मराठी फिल्मो में अपने संगीत के जादू से श्रोताओं को मदहोश किया | | पंचम दा ने गुलजार की शायरी और नज्मो पे भी कमाल का संगीत दिया है | राहुल देव बर्मन को अपने फ़िल्मी कैरियर में तीन बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरूस्कार से नवाजा गया है | इनमे सनम तेरी कसम , मासूम और १९४२ ए लवस्टोरी शामिल है | फिल्म संगीत के साथ -- साथ राहुल देव बर्मन गैर फ़िल्मी संगीत से भी श्रोताओं का दिल जीतने में कामयाब रहे | अमरीका के मशहूर संगीतकार जोस फ्लोरेंस के साथ उनकी निर्मित एलबम '' पटेरा '' काफी लोकप्रिय रही | चार दशक तक अपनी संगीत के स्वर लहरियों से पंचम दा श्रोताओं को आनन्द विभोर किया | आज उन्ही पंचम दा का जन्म दिन है \


सुनील दत्ता --- स्वतंत्र पत्रकार एवं समीक्षक

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-06-2019) को "बाँट रहे ताबीज" (चर्चा अंक- 3380) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. सुंदर जानकारी

    ReplyDelete