Sunday, July 21, 2019

मेरठ बगावत के एक महीने बाद

तहरीके जिन्होंने जंगे - आजादी - ए - हिन्द को परवान चढाया

लहूँ बोलता भीं हैं


मेरठ बगावत के एक महीने बाद
-----------------------------------
देघर बिहार के रोहणी में 12 जून 1857 को पांचवी देशी घुड़सवार सेना के कुछ जवानो ने बगावत कर दी | बिहार सूबे में सन 1857 की यह पहली वारदात थी | बागी सैनिको ने नौकरशाहों से बदला लेने के तहत मेजर मैकडोनाल्ड के घर रात 9 बजे अचानक हमला बोलकर वहां मौजूद लेफ्टिनेंट सर नार्मन लेसली और डाक्टर ग्रांट को तलवार से जख्मी करके मार डाला | इस हमले से बुरी तरह घायल मेजर मैकडोनाल्ड बच गया | इस अचानक हमले से अंग्रेज अफसर बौखला गये | सेना की जांच में बागी सैनिको की कयादत करने वाले के रूप में जो नाम सामने आया , वह मेजर इमाम खान का था | वक्ती तौर पर इमाम खान तो पकड़ में नही आये , लेकिन उनके साथ के टीम सैनिक सलामत अली , अमानत अली , और शेख हारून गिरफ्तार कर लिए गये जिन्हें मेहर मैकडोनाल्ड ने खुद ही कोर्ट मार्शल किया और सरकार से कोई आर्डरलिए बिना उन्हें फांसी का हुकम दे दिया | मेजर ने तीनो शहीदों को हाथी पर खड़ाकर पेड़ पर लटकाने के लिए खुद उनके गर्दन में रस्सी बाँधी और हाथी को दौड़ा दिया | इस तरह उन तीनो बहादुरों की सहादत हुई | लेकिन हर कोशिश के बाद भी मेजर इमाम खान को अंग्रेज गिरफ्तार नही कर पाए | सरकार ने उनकी गिरफ्तारी पर इनाम का एलान भी कर दिया | मेजर इमाम खान ने कुछ सैनिको को साथ लेकर देवघर में लेफ्टिनेंट एस सी ए कपूर के घर पर हमला बोलकर कपूर और असिस्टेंट कमिश्नर आर ई रोनाल्ड को मौत के घाट उतार दिया और बंगले में आग लगा दिया | इस हमले में मौजूद तीसरा अफसर ले रैनी घायल हालात में बच निकला | उसे दो सैनिक डोली में बिठाकर दूर एक गाँव में लेकर गये , जहां से उन्ही सैनिको की मदद से रैनी अपने हेडक्वाटर पहुचा | मेजर इमाम खान के बारे में इसके बाद कही कोई खबर नही मिलती | बिहार में सन 1857 की बगावत की कुछ किताबो में से सिर्फ एक जगह मेजर इमाम खान को गोली मारे जाने की बात कही गयी है , लेकिन तारीख और महीना वहां अंदाजन जुलाई सन 1857 लिखा गया है |
पार्ट - 2
भागलपुर में भी अक्तूबर सन 1857 की बगावत की खबर फैली | अंग्रेजी फ़ौज के अफसर सहादत अली का कत्ल हुआ , लेकिन उसके बाद बगावत को दबा दिया | इस कत्ल के इल्जाम में भागपुर के ही अह्दु खान वुद्घू खान , बहादुर खान , याद अली उम्र 16 साल गिरफ्तार किये गये | बगावत में हामिल होने और अंग्रेज अफसर के कत्ल के इल्जाम में चारो मुस्लिम शहीदों को 10 -12 अक्तूबर 1857 को फांसी दे दी गयी | इसी केस में पांच अन्य सैनिको को फांसी दे दी गयी |
पार्ट - 3
मुंगेर जिले के मोहनपुर गाँव में पठान जमींदारों ने अगस्त 1857 में अंग्रेजी जुल्म के खिलाफ बगावत कर दी | उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करके कचहरी पे हमला कर दिया और सरकारी दस्तावेजो को लुट लिया साथ ही वहां पर आग लगा दिया | इस बगावत के इल्जाम में दस लोग गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया गया जिसमे क्रीम खान की पुलिस पिटाई से जेल में मौत हो गयी रज्जू खान को उम्रकैद की सजा हुई | इन पठानों के साथ गाँव के पांच और अन्य लोगो पर मुकदमा चला उनमे से दो को 14 - 14 और - को 9 - 9 साल की सजा हुई |

प्रस्तुती -- सुनील दत्ता -- स्वतंत्र पत्रकार - समीक्षक
साभार -- सैय्यद शाहनवाज हमद कादरी

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-07-2019) को "नदारत है बारिश" (चर्चा अंक- 3406) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. शानदार विवेचन

    ReplyDelete