Wednesday, July 3, 2019

जनसंख्या विस्फोट के खतरे --

जनसंख्या विस्फोट के खतरे --

समाज के लोग ही बदले तो आने वाला समय बहुत जटिल होगा |

वह जमाना गया , जब आदमी ताकतवर था , अब मशीन ताकतवर है | और मशीन उसी देश के पास अच्छी से अच्छी हो सकेगी , जिस देश के पास जितनी सम्पन्नता होगी और सम्पन्नता उसी देश के पास ज्यादा होगी , जिसके पास प्राकृतिक साधन और जनसंख्या कम होगी | पहली बात आज जनसंख्या शक्ति नही और इसलिए भ्रान्ति में पड़ने का कोई कारण नही हैं | चीन के पास चाहे जितनी जनसंख्या हो तो भी शक्तिशाली अमेरिका होगा | चीन के पास जितनी भी संख्या हो तो भी छोटा सा मुल्क ईंग्लैंड शक्तिशाली है और जापान जैसा मुल्क भी शक्तिशाली हैं | शक्ति का पूरा का पूरा आधार बदल गया हैं | जब आदमी ही एक मात्र आधार था तब तो ये बाते ठीक थी कि जनसंख्या बड़ा मूल्य रखती थी | लेकिन जब आदमी से भी बड़ी शक्ति हमने पैदा कर ली , जो मशीन की हैं | मशीन ताकत है और कोई देश उतना ही सम्पन्न हो सकता है जितना ज्यादा जनसंख्या उसकी कम हो , ताकि उसके पास सम्पत्ति बच सकें , लोगो को खिलाने , कपडे पहनाने इलाज कराने के बाद ; ताकि उस शक्ति को वैज्ञानिक विकास में लगा सकें | दूसरी बात यह समझने जैसी है कि संख्या कम होने से उतना बड़ा दुर्भाग्य नही टूटेगा , जितना बड़ा दुर्भाग्य संख्या के बढ़ जाने से बिना किसी हमले के टूट जाएगा | यानी हमला का तो कोई उपाय भी किया जा सकता है कि कोई बड़ा मुल्क हम पर हमला करे तो हम दुसरो से सहायता ले लें , लेकिन हमारे बच्चे हमलावर सिद्ध हो जाए संख्या के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण तो हम किसी की सहायता न ले सकेंगे | उस वक्त हम बिलकुल असहाय हो जायेंगे | इस वक्त युद्ध इतना बड़ा खतरा नही है जितना बड़ा खतरा जनसंख्या विस्फोट का हैं | खतरा बाहर नही है कि हमे कोई मार डालेगा वरन जो हमारी उत्पाद क्षमता है बच्चे की वही हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा हैं - कि जनसंख्या इतनी हो जाए कि हम सिर्फ मर जाए इस कारण से की न पानी हो न भोजन हो न रहने को जगह हो | तीसरी बात यह है कि जो हम सोचते है कि हिन्दू अपनी संख्या कम कर लें तो मुसलमान से कम न हो जाए , तो इस डर से हिन्दू भी अपनी संख्या कम न करें | मुसलमान भी इस डर से अपनी संख्या कम न करे की कही हिन्दू ज्यादा न आ जाए | इसाई भी यही डर रखे है | जैन भी यही डर रखे है | तो इन सबके डर एक हैं तब परिणाम यह होगा की मुल्क ही मर जाएगा | तो यह डर किसी को तो तोड़ना शुरू करना पडेगा और जो समाज इस डर को तोड़ेगा वह सम्पन्न हो जाएगा | मुसलमानों से उनके बच्चे ज्यादा स्वस्थ्य ज्यादा शिक्षित होंगे ज्यादा अच्छे मकानों में रहेंगे | वे दुसरो समाजो को जिनकी संख्या कीड़े - मकौड़े की तरह बढ़ेगी उनको पीछे छोड़कर आगे निकल जायेंगे औरइसका परिणाम यह भी होगा कि दुसरे समाजो में भी स्पर्धा पैदा होगी इस ख्याल से कि वे गलती कर रहे हैं | आज दुनिया में यह बड़ा सवाल नही है कि हिन्दू कम हो तो कोई हर्ज नही या मुसलमान ज्यादा हो गये तो उनको कोई फायदा हो रहा हैं | बड़ा सवाल यह है कि अगर इन सारे लोगो के दिमाग में यही सवाल भरा रहे तो यह पूरा मुल्क मर जाएगा | मगर यही विकल्प है कि हिन्दू कम हो जायेंगे और इससे हिन्दुओ की संख्या को नुक्सान पहुचेगा |जब तक हम परिवार नियोजन को स्वेच्छा पर छोड़े हुए हैं तब तक खतरा एक दूसरा हैं जो जितना शिक्षित और उन्नत होंगे जो जितना सम्पन्न है जिसकी बुद्धि विकसित हैं , वह तो आज परिवार नियोजन के लिए राजी हो जाएगा | बुद्धिमान तो राजी होंगे ही ; कयोकी परिवार नियोजन से उसके बच्चे ज्यादा सुखी होंगे ज्यादा शिक्षित होंगे | लेकिन खतरा तो यह है कि जो बुद्दिहींन वर्ग है - उसको न कोई शिक्षा है न कोई ज्ञान है न कोई सवाल है - वे समझ ही न पायेंगे और बच्चे पैदा करते चले जाए इसलिए परिवार नियोजन की बात धीरे धीरे अनिवार्य हो जानी चाहिए |
सरकार समझाने की कोशिश करेंगी और देखती रहे | डाका भी आज उतना खतरनाक नही हैं हत्या भी उतना खतरनाक नही हैं जितना जनसंख्या का बढना शक्ति के सारे मापदंड बदल गये हैं यह हमे ठीक से समझ लेना चाहिए | आज शक्तिशाली वह है जो सम्पन्न है और सम्पन्न वह है जिसके पास जनसंख्या कम है और उत्पादन के साधन ज्यादा हैं | आज मनुष्य न तो उत्पादन का साधन है न शक्ति का साधन हैं | आज मनुष्य सिर्फ भोक्ता है कंज्यूमर हैं | मशीन पैदा करती है जमीन पैदा करती है मनुष्य खा रहा है और धीरे धीरे जैसे तक्नितिकी विकसित होती जा रही हैं आदमी की शक्ति का सारा मूल्य समाप्त हुआ जा रहा हैं हिरोशिमा में एक लाख आदमी मारा हो तो अब एक आदमी उन्हें मार सकता हैं कल यह भी हो सकता एक आदमी को भी जाना न पड़े | कम्प्युराइज्ड आदेश एक आदमी भर देगा मशीन में काम हो जाएगा | आदमी की जनसंख्या बिलकुल महत्वहीन हो गयी हैं |


सुनील दत्ता - स्वतंत्र पत्रकार - समीक्षक - साभार - ओशो वर्ल्ड

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-07-2019) को ", काहे का अभिसार" (चर्चा अंक- 3387) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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