Friday, October 9, 2015

वाह रे जुठनालय तेरी भी कहानी बड़ी अजीब है 9-10-15

अपना शहर
मगरुवा पहुच गया जुठनालय -------


वाह रे जुठनालय तेरी भी कहानी बड़ी अजीब है
अतीत से वर्तमान का संवाद ------
वाह रे जुठनालय तेरी भी कहानी बड़ी अजीब है यह जुठनालय कभी पुराने स्टेट बैंक के पास हुआ करता था पिछले पचास बरस से रैदोपुर में है | जूठन से जब कोई ग्राहक मिठाई की शिकायत करता तो जूठन बड़े प्यार से कह देते थे अरे राजा साहब हमार करेजवा ले ला हो तोहके हम खराब मिठाई खियाईब ----
जुठनालय की पहली टेबल बहुत ही महत्वपूर्ण है यह टेबल अतीत में घटे घटनाओ का साक्षी है उन्ही इतिहास के पन्नो में अतीत से लेकर वर्तमान तक के बातो का सिलसिला चल निकला जब केशव बाबा दिल्ली से आजमगढ़ आये उस संवाद में दीपनारायण के साथ स्वंय मैं भी शामिल था मस्त दिखे केशव बाबा वही पुराणी ठेट मुस्कराहट और अंदाज वही पुराना साथ में उनका पुत्र भी था आजकल वो भी अख़बार में है | संजय ने अतीत को कुरेदा कभी इस टेबल पर दक्षिणपंथी आदरणीय कलराज प्रखर समाजवादी विचारक आदरणीय मोहन सिंह - पूर्व सांसद हर्षवर्धन समाजवादी विचारक के साथ जनसत्ता में सम्पादक रहे श्री रामबहादुर राय समाजवादी धारा के पथिक व वर्तमान में काग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश काशी हिन्दू विश्विद्यालय के प्रखर अध्यक्ष रहे चंचल भाई , गोरखपुर विश्व विद्यालय के ओजस्वी नेता पूर्व विधायक जगदीश लाल , और अतीत के बचे लोगो में मधु लिमये व जार्ज के सहयोगी रहे विजय नारायण जी प्रयाग विश्व विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष बड़े भाई रामाधीन सिंह एवं सर्वोप्रिय आदरणीय बलराम यादव व बड़े भाई यशवत सिंह भी इस मिनी संसद के सक्रिय सदस्यों में रहे है |
मगरुवा ने तपाक से पूछा संजय बाबू तब में आज में का अंतर बा बतावा जरा संजय बड़ी तेज हँसने ओकरे पहिले गिरीश बाबा जे कर्मचारी यूनियन के सयोजक हऊये फट्टे बोल देहने पहली कलराज मिश्र इह बैठत रहने अब राघवेद्र मिश्र बैठत ह पाहिले रामप्यारे उपध्याय बैठते थे अब वेद उपाध्याय पहिले स्व० राधेश्याम यादव बैठते थे अब दीना यादव डेरा जमाते है मगरू तोके पता ह की न इहा एक जनी ऐसन बैठे ने जे के अगर सुबह देख लेएहला तो दुनिया के साईत खराब हो जाई |

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-10-2015) को "चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज" (चर्चा अंक-2125) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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