जब्तशुदा साहित्य ---
पत्रों और पत्रकारों के बलिदान
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन और राष्ट्र के नव जागरण में देश की पत्र - पत्रिकाओं तथा उनके संपादको ने जो महान योगदान किया है , वह राष्ट्र के इतिहास में चिरस्मरणीय है | बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ तथा प्रथम दशक के विभिन्न भागो तथा भाषाओं में जो अनेक समाचारपत्र प्रकाशित हुए , वस्तुत: वे स्वाधीनता आन्दोलन के मुख्य केन्द्र थे | सन 1920 में भारतीय राजनितिक रंगमंच पर महात्मा गांधी के अवतरण के पूर्व सशस्त्र क्रान्ति द्वारा देश की स्वाधीनता को अग्रसर करना राष्ट्रीय - पत्रों की नीति थी और सम्पादक क्रांतिकारी आन्दोलन के सूत्रधार थे |
पत्रों और पत्रकारों के बलिदान
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन और राष्ट्र के नव जागरण में देश की पत्र - पत्रिकाओं तथा उनके संपादको ने जो महान योगदान किया है , वह राष्ट्र के इतिहास में चिरस्मरणीय है | बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ तथा प्रथम दशक के विभिन्न भागो तथा भाषाओं में जो अनेक समाचारपत्र प्रकाशित हुए , वस्तुत: वे स्वाधीनता आन्दोलन के मुख्य केन्द्र थे | सन 1920 में भारतीय राजनितिक रंगमंच पर महात्मा गांधी के अवतरण के पूर्व सशस्त्र क्रान्ति द्वारा देश की स्वाधीनता को अग्रसर करना राष्ट्रीय - पत्रों की नीति थी और सम्पादक क्रांतिकारी आन्दोलन के सूत्रधार थे |
सर्वप्रथम राष्ट्रीय पत्र
सन 1857 में ही '' पयामे -- आजादी '' नामक पत्र दिल्ली से प्रकाशित हुआ |
यह देवनागरी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित होता था | इसी में सम्राट बहादुर शाह की ऐतिहासिक घोषणा पत्र प्रकाशित हुई थी जिनकी कतिपय पक्तिया इस प्रकार है -----------
'' हिन्दुस्तान के हिन्दुओ और मुसलमानों , उठो ! भाइयो , उठो ! खुदा ने इनसान को जितनी बरकते अदा की है इनमे सबसे कीमती बरकत आजादी की है ........... | ''
स्मरणीय है कि इस पत्र का एक मराठी संस्करण झाँसी से निकलता था | इस पत्र को प्रारम्भ करने की योजना इसके मुख्य सयोजक नाना साहब धुन्धुपन्त के मंत्री और परामर्शदाता तथा '' 57 की क्रान्ति के सेनानी श्री अजीमुल्ला ने बनाई थी |
'' पयामे आजादी '' का राष्ट्रीय पत्रकारिता में ऐतिहासिक स्थान है |
प्रस्तुती --- सुनील दत्ता
सन 1857 में ही '' पयामे -- आजादी '' नामक पत्र दिल्ली से प्रकाशित हुआ |
यह देवनागरी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित होता था | इसी में सम्राट बहादुर शाह की ऐतिहासिक घोषणा पत्र प्रकाशित हुई थी जिनकी कतिपय पक्तिया इस प्रकार है -----------
'' हिन्दुस्तान के हिन्दुओ और मुसलमानों , उठो ! भाइयो , उठो ! खुदा ने इनसान को जितनी बरकते अदा की है इनमे सबसे कीमती बरकत आजादी की है ........... | ''
स्मरणीय है कि इस पत्र का एक मराठी संस्करण झाँसी से निकलता था | इस पत्र को प्रारम्भ करने की योजना इसके मुख्य सयोजक नाना साहब धुन्धुपन्त के मंत्री और परामर्शदाता तथा '' 57 की क्रान्ति के सेनानी श्री अजीमुल्ला ने बनाई थी |
'' पयामे आजादी '' का राष्ट्रीय पत्रकारिता में ऐतिहासिक स्थान है |
प्रस्तुती --- सुनील दत्ता
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