नेपोलियन का पत्र डिजायरी के नाम
(नेपोलियन: जिसने प्यार और युद्ध दोनों में मैदान जीते...असंभव शब्द जिसके कोश में नहीं था...वही प्यार के सम्मुख किस तरह घुटने टेककर गिड़गिड़ाता है)
प्रिये,
मैं एविग्नान बहुत ही उदास मन लेकर पहुंचा हूं क्योंकि इतनी दिनों तक मुझे तुमसे अलग रहना पड़ा है। यह यात्रा मुझे बहुत ही कठिन लगी है। मेरी प्यारी अकसर अपने प्रिय की याद करती होगी और जैसा कि उसने वादा किया है, वह उसे प्यार करती रहेगी। बस, यही आस मेरे दु:ख को कम कर सकती है और मेरी स्थिति को थोड़ा बेहतर बना देती है।मुझे तुम्हारा कोई भी पत्र पेरिस पहुंचने से पहले नहीं मिल पायेगा। यह बात मुझे प्रेरित करेगी कि मैं और तेज भागूं और वहां पहुंचकर देखूं कि तुम्हारे समाचार मेरा इंतजार कर रहे हैं।ड्यूरेंस में बाढ़ आ जाने के कारण मैं इस जगह पर जल्दी नहीं पहुंच सका. कल शाम तक मैं लियंस पहुंच जाऊंगा. मेरी प्यारी! मेरी रानी, विदा. मुझे कभी भी भूलना मत. हमेशा उसे प्यार करती रहना जो जीवन-भर के लिए तुम्हारा है.
नेपोलियन बोनापार्ट
(नेपोलियन: जिसने प्यार और युद्ध दोनों में मैदान जीते...असंभव शब्द जिसके कोश में नहीं था...वही प्यार के सम्मुख किस तरह घुटने टेककर गिड़गिड़ाता है)
प्रिये,
मैं एविग्नान बहुत ही उदास मन लेकर पहुंचा हूं क्योंकि इतनी दिनों तक मुझे तुमसे अलग रहना पड़ा है। यह यात्रा मुझे बहुत ही कठिन लगी है। मेरी प्यारी अकसर अपने प्रिय की याद करती होगी और जैसा कि उसने वादा किया है, वह उसे प्यार करती रहेगी। बस, यही आस मेरे दु:ख को कम कर सकती है और मेरी स्थिति को थोड़ा बेहतर बना देती है।मुझे तुम्हारा कोई भी पत्र पेरिस पहुंचने से पहले नहीं मिल पायेगा। यह बात मुझे प्रेरित करेगी कि मैं और तेज भागूं और वहां पहुंचकर देखूं कि तुम्हारे समाचार मेरा इंतजार कर रहे हैं।ड्यूरेंस में बाढ़ आ जाने के कारण मैं इस जगह पर जल्दी नहीं पहुंच सका. कल शाम तक मैं लियंस पहुंच जाऊंगा. मेरी प्यारी! मेरी रानी, विदा. मुझे कभी भी भूलना मत. हमेशा उसे प्यार करती रहना जो जीवन-भर के लिए तुम्हारा है.
नेपोलियन बोनापार्ट
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-12-2014) को "6 दिसंबर का महत्व..भूल जाना अच्छा है" (चर्चा-1820) पर भी होगी।
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सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriya babuji
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