Tuesday, December 2, 2014

रोटी

यह अजब है रोटी का खेल
यह गजब है रोटी का खेल
कभी हंसाती है रोटिया
कभी रुलाती है रोटिया
अमीरों कि शान है रोटिया
अमीरों कि खिलवाड़ है रोटिया
हाड़तोड़ मेहनत कराती है रोटिया
फिर भी नसीब नही होती दो जून कि रोटिया
अमीरों के पास रहने का इसे है शगल
गरीबो कि अस्मत बेचती है रोटिया
यह अजब है रोटी का खेल
यह गजब है रोटी का खेल
कभी हंसाती है रोटिया
कभी रुलाती है रोटिया
मेहनतकश इंसानों का पसीना
लहू बनाकर खाती है रोटिया
आदमियों को एक जिन्दा लाश बनाती है रोटिया
कभी दिखाती है सपने यह रोटिया
कभी तोडती है सपने यह रोटिया
कभी तो सुंदर होगी यह दुनिया
यह एहसास दिलाती है रोटिया
सुनील दत्ता

No comments:

Post a Comment