Monday, January 19, 2015

अनूठी दुनिया ----------------------- 20-1-15

प्रकृति ने दुनिया बनाई और लोगो ने उसे टुकडो में बाटकर देश बना लिया . यह दुनिया अनूठेपन से भरी हुई है | विभिन्न देशो की परम्परा और संस्कृति से जुडी चीजे एक बार फिर यूनेस्को की सूची में शामिल हो गयी | तुर्की की आयल रेसलिंग से लेकर नाइजर लोगो का हास्यबोध और ला - गोमेरा की सीटियो की भाषा अनूठी है |
अगर कोई कहे कि फ्रेंच फ्राइज भी किसी देश की धरोहर बन सकते है , तो हैरान होने की जरूरत नही है | यूनेस्को ने बेल्जियम के फ्रेज फ्राइज को जब सांस्कृतिक धरोहर की अपनी सूची में शामिल किया , तो हैरान होना लाजिमी था | हैरान करने वाली ऐसी तमाम चीजे दुनिया भर में मौजूद है . जिनके बारे में हमे जानकारी नही है | बात तुर्की के कहानीकारों की हो या फिर अफ्रिका के अका पिग्मी समुदाय के जनजातीय बंजारों की . दुनिया भर में ऐसे अनूठे सांस्कृतिक समूह बहुत कम बचे है | यूनेस्को ने अपनी सूची में दुनिया भर की 281 सांस्कृतिक धरोहरों को शामिल किया है , ताकि इनके महत्व के बारे में लोगो को बताया जा सके | उत्तर - पूर्वी चीन में कोरियाई मूल के किसानो का नृत्य एक ऐसी धरोहर है , जिसमे समुदाय के बड़े - बूढ़े नई पीढ़ी को किसानी परम्परा सौपते है |
स्पेन में यह परम्परा एक पीढ़ी नृत्य के दौरान उसी तरह के हावभाव और एक्शन किये जाते है , जैसा कि खेती करते वक्त होते है | इसी तरह स्पेन में ला -- गोमेरा द्दीप के लोग अपने बच्चे को सीटी बजाकर बातचीत करने की भाषा विरासत में जरुर सिखाते है | स्पेन में शौकिया तौर पर बनाये जाने वाले ह्युमन टावर भी खूब आकर्षित करते है | जिस तरह महाराष्ट्र के गोविन्दाओ की टोली दही -- हाड़ीफोड़ने के लिए एक दुसरे के कंधे पर खड़े होकर मीनार बनाती है , यह कुछ वैसा ही है | स्पेन में यह परम्परा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सिखाई जाती है |
19 वी सदी के मध्य में काफी बीन्स की ढुलाई करने वाली कोस्टारिका की पारम्परिक बैलगाड़ियो का महत्व अज भी कम नही हुआ है | बैलगाड़िया उस जमाने में शानो - शौकत का प्रतीक होती थी | इसीलिए उनकी बनावट और साज -- सज्जा बेहद ख़ास तरीके से की जाती थी | कहते है , इन बैलगाड़ियो की सजावट की परम्परा 20 वी सदी में शुरू हुई थी |
यहाँ के विभिन्न क्षेत्रो में इन बैलगाड़ियो की सजावट ख़ास तरीके से की जाती थी , जिससे बैलगाड़ी चलाने वाले व्यक्ति का मूल पता चल जाता था | यही नही , बैलगाड़ियो में कई तरह की ग्घ्न्तिया लगी होती थी , जिससे बैलगाड़ी के हिलने - डुलने पर एक ख़ास आवाज आती | एक परम्परा की पहचान रही इन बैलगाड़ियो को बनाने वाले कलाकार आज कम हो रहे है | यही कारण है कि यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर की सूचि में शामिल किया है |
इन सबसे अलग नाइजर क्षेत्र में एक भाषाई समूह ऐसा भी है , जो अपने मजाकिया अंदाज के लिए जाना जाता है | यहाँ एक समुदाय के लोग दुसरे समुदाय के लोगो से रिश्तो में मिठास और सहयोग बनाये रखने के लिए मजाकिया लहजे में बात करते है |

----------------------------------------------------------------साभार 14 जनवरी 15 अमर उजाला

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