कर्तव्य में चूक
चीन का एक अमीर च्यांग भेड़ पालने का धंधा करता था | उसके बाड़े में बहुत -- सी भेड़े थी | वह उनके खान - पान का पूरा ध्यान रखता | धीरे - धीरे उसके बाड़े में भेड़े इतनी बढ़ गयी कि उन्हें अकेले संभालना मुश्किल हो गया | उसने भेड़ो का ध्यान रखने के लिए दो लडको को नियुक्त किया | भेड़ो को भी दो हिस्सों में बाट दिया गया और उन लडको को काम दिया गया कि वे अपने - अपने हिस्से की भेड़ो का पूरा ख्याल रखेगे और नियत समय पर मैदान में चराने के लिए ले जायेगे तथा वापस लायेगे | अमीर च्यांग अपनी भेड़ो को उनके भरोसे छोड़ यात्रा पर निकल गया | कुछ दिनों बाद वह जब लौटकर आया तो उसने बाड़े में जाकर भेड़ो का मुआयना किया | वहा पर भेड़ो की स्थिति देख उसे बहुत दुःख हुआ | भेड़े दुबली भी हो गयी थी और उनमे से कुछ मर भी गयी थी | अमीर ने इसके लिए उन चरवाहे लडको को जिम्मेदार ठहराया | उसने इस बात की छानबीन की कि आखिर किस वजह से भेड़ो की इतनी हानि हो गयी | छानबीन से पता लगा कि दोनों लड़के अपने - अपने व्यसनों में लगे रहते थे | एक को जुआ खेलने की आदत थी | जहा कही भी वह जुए की बाजी लगते हुए देखता . वही डाव लगाने के लिए बैठ जाता | इस चक्कर में भेड़े कही से कही जा पहुचती और भूखी - प्यासी रहते हुए कष्ट पाती | दुसरे लड़के का मामला थोड़ा अलग था | वह पूजा पाठ का व्यसनी था | इस चकर में वह भी भेड़ो पर ज्यादा ध्यान नही देता और अपनी रूचि के काम में ही लगा रहता | अमीर उन दोनों लडको को पकड़कर एक न्यायाधीश के समक्ष ले गया | न्यायाधीश ने पुरे मामले को गौर - से सूना और दोनों को समान रूप से दण्डित किया | यह सुनकर दूसरा लड़का न्यायाधीश से बोला -- ' माना कि मुझसे चुक हुई | लेकिन मैं इस लड़के की तरह जुआरी तो नही हूँ | मैं तो पूजा - पाठ करने वाला सदाचारी व्यक्ति हूँ | फिर मुझे इसके समान दंड क्यों दिया जा रहा है ? न्यायाधीश ने कहा -- ' माना कि तुम दोनों के कारणों में भेद है | लेकिन कर्तव्यपालन की उपेक्षा के लिए तुम भी उसके समान दोषी हो | कर्तव्य -- भाव के बगैर जो किया जाता है , वह व्यसन है | व्यसन में जुआ खेला या पूजा की , लेकिन कर्तव्य की उपेक्षा तो की ही | उसी का दंड दिया गया है |
चीन का एक अमीर च्यांग भेड़ पालने का धंधा करता था | उसके बाड़े में बहुत -- सी भेड़े थी | वह उनके खान - पान का पूरा ध्यान रखता | धीरे - धीरे उसके बाड़े में भेड़े इतनी बढ़ गयी कि उन्हें अकेले संभालना मुश्किल हो गया | उसने भेड़ो का ध्यान रखने के लिए दो लडको को नियुक्त किया | भेड़ो को भी दो हिस्सों में बाट दिया गया और उन लडको को काम दिया गया कि वे अपने - अपने हिस्से की भेड़ो का पूरा ख्याल रखेगे और नियत समय पर मैदान में चराने के लिए ले जायेगे तथा वापस लायेगे | अमीर च्यांग अपनी भेड़ो को उनके भरोसे छोड़ यात्रा पर निकल गया | कुछ दिनों बाद वह जब लौटकर आया तो उसने बाड़े में जाकर भेड़ो का मुआयना किया | वहा पर भेड़ो की स्थिति देख उसे बहुत दुःख हुआ | भेड़े दुबली भी हो गयी थी और उनमे से कुछ मर भी गयी थी | अमीर ने इसके लिए उन चरवाहे लडको को जिम्मेदार ठहराया | उसने इस बात की छानबीन की कि आखिर किस वजह से भेड़ो की इतनी हानि हो गयी | छानबीन से पता लगा कि दोनों लड़के अपने - अपने व्यसनों में लगे रहते थे | एक को जुआ खेलने की आदत थी | जहा कही भी वह जुए की बाजी लगते हुए देखता . वही डाव लगाने के लिए बैठ जाता | इस चक्कर में भेड़े कही से कही जा पहुचती और भूखी - प्यासी रहते हुए कष्ट पाती | दुसरे लड़के का मामला थोड़ा अलग था | वह पूजा पाठ का व्यसनी था | इस चकर में वह भी भेड़ो पर ज्यादा ध्यान नही देता और अपनी रूचि के काम में ही लगा रहता | अमीर उन दोनों लडको को पकड़कर एक न्यायाधीश के समक्ष ले गया | न्यायाधीश ने पुरे मामले को गौर - से सूना और दोनों को समान रूप से दण्डित किया | यह सुनकर दूसरा लड़का न्यायाधीश से बोला -- ' माना कि मुझसे चुक हुई | लेकिन मैं इस लड़के की तरह जुआरी तो नही हूँ | मैं तो पूजा - पाठ करने वाला सदाचारी व्यक्ति हूँ | फिर मुझे इसके समान दंड क्यों दिया जा रहा है ? न्यायाधीश ने कहा -- ' माना कि तुम दोनों के कारणों में भेद है | लेकिन कर्तव्यपालन की उपेक्षा के लिए तुम भी उसके समान दोषी हो | कर्तव्य -- भाव के बगैर जो किया जाता है , वह व्यसन है | व्यसन में जुआ खेला या पूजा की , लेकिन कर्तव्य की उपेक्षा तो की ही | उसी का दंड दिया गया है |
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (24-01-2015) को "लगता है बसन्त आया है" (चर्चा-1868) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रेरक कथा।
ReplyDeleteडा० हेमंत जी शुक्रिया
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