94 साल बाद खत्म हुआ निष्कासन -
ये शायद ही किसी कालेज में होता हो कि वह बर्खास्त किये गये छात्र को वापस बहाल कर दे , लेकिन हर कालेज से निकाला छात्र राष्ट्रीय हीरो नही होता | 94 साल बाद कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज ने सुभाष चन्द्र बोस के निष्कासन को खत्म कर दिया |
उनके ये कार्यवाही एक ब्रिटिश टीचर पर हमला करने के आरोप में की गयी थी | दरअसल हमला सुभाष ने नही किया था , लेकिन कालेज प्रशासन के सामने उन्होंने आरोपित छात्रो का बचाव जरुर किया था | दरअसल अग्रेज प्रोफ़ेसर की अभद्रता से कालेज के छात्र परेशान थे | वह कई बार उन्हें अपमानित करने वाली हरकते कर चुका था | लिहाजा एक दिन कुछ छात्र ने उस पर बल प्रयोग कर दिया | काफी हंगामा मचा , जिस विभाग के छात्रो ने ये किया था , सुभाष उस विभाग के छात्र प्रतिनिधि थे | उन्होंने कालेज प्रशासन के सामने उन स्थितियों का असरदार ढंग से तर्क रखा , जिसमे ये सब हुआ | फिर स्थितिया कुछ ऐसी हुई कि सरकार ने कालेज के प्रिसिपल को ही बर्खास्त कर दिया , पर उसने जाते -- जाते कुछ छात्रो को काली सूचि में डालकर उन्हें रेस्टिकेट करने की सिफारिश कर दी | अब प्रेसिडेसी कालेज अपनी इस गलती को सुधार रहा है | कालेज में न केवल सुभाष की अर्धप्रतिमा लगाई जायेगी , बल्कि उनका सम्मान भी किया जाएगा | नेता जी कालेज के बेहद मेधावी छात्रो में थे | उन्होंने बंगाल में मैट्रिक परीक्षा में मेरिट लिस्ट में दूसरे नम्बर पर रहते हुए कोलकाता के प्रेसिडेंसी कालेज में प्रवेश लिया था | हालाकि इस कालेज से निष्कासित किये जाने के बाद कोलकाता विश्व विद्यालय ने उन्हें दूसरे कालेज में प्रवेश की अनुमति दे दी थी | उन्हें स्कोटिश कालेज में दाखिला मिला था और उन्होंने 1919 में दर्शन शास्त्र से मास्टर डिग्री की परीक्षा में विश्व विद्यालय में दूसरी पोजीशन हासिल की थी |
ये शायद ही किसी कालेज में होता हो कि वह बर्खास्त किये गये छात्र को वापस बहाल कर दे , लेकिन हर कालेज से निकाला छात्र राष्ट्रीय हीरो नही होता | 94 साल बाद कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज ने सुभाष चन्द्र बोस के निष्कासन को खत्म कर दिया |
उनके ये कार्यवाही एक ब्रिटिश टीचर पर हमला करने के आरोप में की गयी थी | दरअसल हमला सुभाष ने नही किया था , लेकिन कालेज प्रशासन के सामने उन्होंने आरोपित छात्रो का बचाव जरुर किया था | दरअसल अग्रेज प्रोफ़ेसर की अभद्रता से कालेज के छात्र परेशान थे | वह कई बार उन्हें अपमानित करने वाली हरकते कर चुका था | लिहाजा एक दिन कुछ छात्र ने उस पर बल प्रयोग कर दिया | काफी हंगामा मचा , जिस विभाग के छात्रो ने ये किया था , सुभाष उस विभाग के छात्र प्रतिनिधि थे | उन्होंने कालेज प्रशासन के सामने उन स्थितियों का असरदार ढंग से तर्क रखा , जिसमे ये सब हुआ | फिर स्थितिया कुछ ऐसी हुई कि सरकार ने कालेज के प्रिसिपल को ही बर्खास्त कर दिया , पर उसने जाते -- जाते कुछ छात्रो को काली सूचि में डालकर उन्हें रेस्टिकेट करने की सिफारिश कर दी | अब प्रेसिडेसी कालेज अपनी इस गलती को सुधार रहा है | कालेज में न केवल सुभाष की अर्धप्रतिमा लगाई जायेगी , बल्कि उनका सम्मान भी किया जाएगा | नेता जी कालेज के बेहद मेधावी छात्रो में थे | उन्होंने बंगाल में मैट्रिक परीक्षा में मेरिट लिस्ट में दूसरे नम्बर पर रहते हुए कोलकाता के प्रेसिडेंसी कालेज में प्रवेश लिया था | हालाकि इस कालेज से निष्कासित किये जाने के बाद कोलकाता विश्व विद्यालय ने उन्हें दूसरे कालेज में प्रवेश की अनुमति दे दी थी | उन्हें स्कोटिश कालेज में दाखिला मिला था और उन्होंने 1919 में दर्शन शास्त्र से मास्टर डिग्री की परीक्षा में विश्व विद्यालय में दूसरी पोजीशन हासिल की थी |
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